जिले में अतिशेष शिक्षकों के ट्रांसफर आर्डर के बाद 293 शिक्षाकर्मी बीमार हो गए हैं। दूसरे जिलों में जाने से बचने के लिए शिक्षाकर्मियों ने थाेक में मेडिकल सर्टिफिकेट बनवाकर जनपदों एवं बीइओ कार्यालय में जमा कराए हैं । जिला प्रशासन अब इसकी जांच कराने की बात कह रहा है।
वर्ष 2011-12 में जिले के मेडिकल बोर्ड द्वारा लगभग 300 शिक्षाकर्मियों को फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट जारी किए जाने के मामले में तत्कालीन सीएस को निलंबित किया गया था। इस मामले से सबक न लेते हुए डाक्टरों ने बड़ी संख्या में शिक्षाकर्मियों के सर्टिफिकेट बनाए और बीईओ ने उसे स्वीकार भी कर लिया।
रायगढ़ जिले में जिन 564 शिक्षकों को दूसरे जिलों में ट्रांसफर करने के लिए रिलीविंग आर्डर जारी किए गए थे। उनमें से करीब 300 शिक्षक बीमार हो गए हैं और इसके लिए शिक्षकों ने एमबीबीएस डॉक्टर से लेकर बीएएमएस डाक्टर एवं प्राइवेट डाक्टरों से भी जैसे-तैसे मेेडिकल सर्टिफिकेट बनवाकर अपने आवेदन जमा कराए हैं। जिले के विभिन्न जनपद पंचायत कार्यालयों एवं बीइओ कार्यालयों में जमा हुए इन आवेदनों में ज्यादातर फर्जी हैं। रिलीव होने की प्रक्रिया से बचने के लिए इन फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट का सहारा शिक्षकों ने लिया है। रिकार्ड के अनुसार शिक्षकों द्वारा सौंपे गए मेडिकल सर्टिफिकेट का प्रारूप एवं बीमारी एक जैसी है और कहीं कहीं तो इन्हें जारी करने वाले डाक्टर भी एक ही हैं। बरमकेला में अतिशेष शिक्षकों को फटकारने के हफ्ते भर बाद पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री अजय चंद्राकर ने फोन से निर्देश देकर सीइओ को ट्रांसफर से पहले पदोन्नति करने की बात कही है, जबकि स्कूल शिक्षा विभाग ने लिखित आदेश जारी कर पहले अतिशेष का समायोजन कर बाद में पदोन्नति करने वाला आर्डर जारी किया हुआ है। जिसके बाद जिला प्रशासन ने भी शासन से इस संबंध में मार्गदर्शन मांगा है।
फाइल फोटो
डाॅक्टर ने कैसे बनाया और आखिर अधिकारियों ने स्वीकार कैसे किया
लगभग चार वर्ष पूर्व शिक्षाकर्मियों के स्थानांतरण के लिए जिले के मेडिकल बोर्ड द्वारा कथित रूप से फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट बनाए गए थे। इसकी शिकायत व मीडिया में खबर आई तो हेल्थ डायरेक्टरेट की तरफ से जांच बिठाई गई। जांच में तत्कालीन सीएस डा. अनिल गुप्ता को गलत सर्टिफिकेट जारी करने के लिए जिम्मेदार पाया और उन्हें सस्पेंड कर दिया गया। अब एक बार फिर सरकारी व निजी चिकित्सकों द्वारा बड़ी संख्या में मेडिकल सर्टिफिकेट बनाया गया है। स्पष्ट है कि शासन या प्रशासन की कार्रवाई की इन्हें परवाह नहीं है। माना जाता है कि अगर एक ही वर्ग के लोग किसी डाक्टर से कोई सर्टिफिकेट बनवाने पहुंचते हैं तो उनपर संदेह कर जांच कराई जाती है लेकिन शिक्षाकर्मियों को अनफिट बताने सर्टिफिकेट कैसे जारी कर दिए गए। दिलेरी जनपद पंचायत व बीईओ ने दिखाई है जिन्होंने सर्टिफिकेट के साथ आवेदन रिसिव भी कर लिए।
इतनी बड़ी संख्या में शिक्षकों के बीमार पड़ना आश्चर्यजनक है। अतिशेष शिक्षकों द्वारा दिए गए मेडिकल सर्टिफिकेट की जांच की जाएगी और गलत हाेने पर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। दीपक कुमार अग्रवाल, सीइओ, जिपं रायगढ़
पुसौर से करीब 44 शिक्षकों ने मेडिकल सर्टिफिकेट साैंपकर अवकाश के लिए आवेदन दिया है। अब ये आवेदन ट्रांसफर से बचने के लिए हैं या बीमारी के हैं। इसके बारे में उच्चाधिकारी ही बता सकते हैं। जीडी पैंकरा, बीइओ पुसौर
सारंगढ़ में शिक्षकों की ओर से मेडिकल लीव के लिए करीब 82 आवेदन मिले हैं। हमने इसकी जानकारी प्रशासन को दे दी है । जो भी निर्देश मिलेंगे, उसके अनुसार जांच या कार्रवाई करेंगे। एसवी तिवारी, सीइओ, सारंगढ़ जनपद
एक साथ बीमार हुए
अतिशेष शिक्षक
विकासखंड अतिशेष की प्राप्त मेडिकल संख्या सर्टिफिकेट
रायगढ़ 119 54
सारंगढ़ 162 82
बरमकेला 81 57
पुसौर 120 44
खरसिया 47 12
तमनार 18 00
घरघोड़ा 17 00
कुल 564 293
अतिशेष शिक्षकों द्वारा दिए गए मेडिकल सर्टफिकेट में ज्यादातर तो एक ही फार्मेट में हैं और इनमें डाक्टर भी एक ही हैं। रायगढ़ जिले में इएनटी स्पेशलिस्ट डा. आरएन मंडावी की ओर से सबसे अधिक मेडिकल सर्टिफिकेट जारी किए गए हैं।
शासन के निर्देश पर जिले में 18 अप्रैल काे अतिशेष शिक्षकों के ट्रांसफर आर्डर जारी किए गए थे और इसके बाद स्कूलों से रिलीव करने की भनक लगते ही अतिशेष शिक्षकों ने बीमारियों का बहाना बनाकर मेडिकल सर्टिफिकेट का सहारा लेना शुरू कर दिया और जनपद कार्यालयों में ऐसे आवेदनों की कतार लग गई।
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वर्ष 2011-12 में जिले के मेडिकल बोर्ड द्वारा लगभग 300 शिक्षाकर्मियों को फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट जारी किए जाने के मामले में तत्कालीन सीएस को निलंबित किया गया था। इस मामले से सबक न लेते हुए डाक्टरों ने बड़ी संख्या में शिक्षाकर्मियों के सर्टिफिकेट बनाए और बीईओ ने उसे स्वीकार भी कर लिया।
रायगढ़ जिले में जिन 564 शिक्षकों को दूसरे जिलों में ट्रांसफर करने के लिए रिलीविंग आर्डर जारी किए गए थे। उनमें से करीब 300 शिक्षक बीमार हो गए हैं और इसके लिए शिक्षकों ने एमबीबीएस डॉक्टर से लेकर बीएएमएस डाक्टर एवं प्राइवेट डाक्टरों से भी जैसे-तैसे मेेडिकल सर्टिफिकेट बनवाकर अपने आवेदन जमा कराए हैं। जिले के विभिन्न जनपद पंचायत कार्यालयों एवं बीइओ कार्यालयों में जमा हुए इन आवेदनों में ज्यादातर फर्जी हैं। रिलीव होने की प्रक्रिया से बचने के लिए इन फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट का सहारा शिक्षकों ने लिया है। रिकार्ड के अनुसार शिक्षकों द्वारा सौंपे गए मेडिकल सर्टिफिकेट का प्रारूप एवं बीमारी एक जैसी है और कहीं कहीं तो इन्हें जारी करने वाले डाक्टर भी एक ही हैं। बरमकेला में अतिशेष शिक्षकों को फटकारने के हफ्ते भर बाद पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री अजय चंद्राकर ने फोन से निर्देश देकर सीइओ को ट्रांसफर से पहले पदोन्नति करने की बात कही है, जबकि स्कूल शिक्षा विभाग ने लिखित आदेश जारी कर पहले अतिशेष का समायोजन कर बाद में पदोन्नति करने वाला आर्डर जारी किया हुआ है। जिसके बाद जिला प्रशासन ने भी शासन से इस संबंध में मार्गदर्शन मांगा है।
फाइल फोटो
डाॅक्टर ने कैसे बनाया और आखिर अधिकारियों ने स्वीकार कैसे किया
लगभग चार वर्ष पूर्व शिक्षाकर्मियों के स्थानांतरण के लिए जिले के मेडिकल बोर्ड द्वारा कथित रूप से फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट बनाए गए थे। इसकी शिकायत व मीडिया में खबर आई तो हेल्थ डायरेक्टरेट की तरफ से जांच बिठाई गई। जांच में तत्कालीन सीएस डा. अनिल गुप्ता को गलत सर्टिफिकेट जारी करने के लिए जिम्मेदार पाया और उन्हें सस्पेंड कर दिया गया। अब एक बार फिर सरकारी व निजी चिकित्सकों द्वारा बड़ी संख्या में मेडिकल सर्टिफिकेट बनाया गया है। स्पष्ट है कि शासन या प्रशासन की कार्रवाई की इन्हें परवाह नहीं है। माना जाता है कि अगर एक ही वर्ग के लोग किसी डाक्टर से कोई सर्टिफिकेट बनवाने पहुंचते हैं तो उनपर संदेह कर जांच कराई जाती है लेकिन शिक्षाकर्मियों को अनफिट बताने सर्टिफिकेट कैसे जारी कर दिए गए। दिलेरी जनपद पंचायत व बीईओ ने दिखाई है जिन्होंने सर्टिफिकेट के साथ आवेदन रिसिव भी कर लिए।
इतनी बड़ी संख्या में शिक्षकों के बीमार पड़ना आश्चर्यजनक है। अतिशेष शिक्षकों द्वारा दिए गए मेडिकल सर्टिफिकेट की जांच की जाएगी और गलत हाेने पर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। दीपक कुमार अग्रवाल, सीइओ, जिपं रायगढ़
पुसौर से करीब 44 शिक्षकों ने मेडिकल सर्टिफिकेट साैंपकर अवकाश के लिए आवेदन दिया है। अब ये आवेदन ट्रांसफर से बचने के लिए हैं या बीमारी के हैं। इसके बारे में उच्चाधिकारी ही बता सकते हैं। जीडी पैंकरा, बीइओ पुसौर
सारंगढ़ में शिक्षकों की ओर से मेडिकल लीव के लिए करीब 82 आवेदन मिले हैं। हमने इसकी जानकारी प्रशासन को दे दी है । जो भी निर्देश मिलेंगे, उसके अनुसार जांच या कार्रवाई करेंगे। एसवी तिवारी, सीइओ, सारंगढ़ जनपद
एक साथ बीमार हुए
अतिशेष शिक्षक
विकासखंड अतिशेष की प्राप्त मेडिकल संख्या सर्टिफिकेट
रायगढ़ 119 54
सारंगढ़ 162 82
बरमकेला 81 57
पुसौर 120 44
खरसिया 47 12
तमनार 18 00
घरघोड़ा 17 00
कुल 564 293
अतिशेष शिक्षकों द्वारा दिए गए मेडिकल सर्टफिकेट में ज्यादातर तो एक ही फार्मेट में हैं और इनमें डाक्टर भी एक ही हैं। रायगढ़ जिले में इएनटी स्पेशलिस्ट डा. आरएन मंडावी की ओर से सबसे अधिक मेडिकल सर्टिफिकेट जारी किए गए हैं।
शासन के निर्देश पर जिले में 18 अप्रैल काे अतिशेष शिक्षकों के ट्रांसफर आर्डर जारी किए गए थे और इसके बाद स्कूलों से रिलीव करने की भनक लगते ही अतिशेष शिक्षकों ने बीमारियों का बहाना बनाकर मेडिकल सर्टिफिकेट का सहारा लेना शुरू कर दिया और जनपद कार्यालयों में ऐसे आवेदनों की कतार लग गई।
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