रायपुर। कॉलेजों में कितना पाठ पढ़ाया गया है, सिलेबस कितना बाकी है, सिलेबस पूरा नहीं हुआ तो प्राचार्य ने शिक्षक की व्यवस्था क्यों नहीं की, इन सारे मुद्दों को लेकर इस साल सरकार कॉलेजों का अकादमिक ऑडिट करेगी। कमजोर परफॉर्मेंस पाने वाले कॉलेज के प्राचार्य की गोपनीय चरित्रावली (सीआर) भी बिगड़ सकती है।
खासकर जिन कॉलेजों के प्राचार्य ने अपने कॉलेज की ग्रेडिंग नैक से कराने के लिए प्रयास नहीं किया है। उनका सीआर तो खराब हो ही सकता है। राज्य सरकार ने एक जुलर्इा से कॉलेजों में पढ़ाई की शुरुआत होने से पहले ही गुणवत्ता बढ़ाने के लिए पंचमुखी विकास कार्यक्रम की शुरुआत की है। इसके लिए उच्च शिक्षा विभाग ने सभी सरकारी और गैर सरकारी कॉलेज प्रबंधकों को काम करने के लिए पत्र भेज दिया है। पंचमुखी विकास कार्यक्रम में हर कॉलेज में स्वच्छ शौचालय, स्वच्छ पेयजल, रंग-रोगन, अकादमिक ऑडिट और वाई-फाई सुविधा होना अनिवार्य है।
कुंजी-गाइड से पढ़ाया तो खैर नहीं
उच्च शिक्षा विभाग ने अकादमिक कैलेंडर का पालन करते हुए अध्यापन कार्य हो, छात्र-छात्राओं, प्राध्यापकों, सहायक प्राध्यापकों और कर्मचारियों की नियमित उपस्थिति सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी प्राचार्यों को दी है। निर्देश में कॉलेजों में किसी भी विषय की कुंजी अथवा गाइड का उपयोग वर्जित किया गया है। इसके उल्लंघन की शिकायत मिलने पर संबंधित प्राचार्य की जवाबदारी सुनिश्चित कर कार्रवाई की जाएगी। अगर कॉलेज में किसी विषय-विशेष के प्राध्यापक या सहायक प्राध्यापक नहीं है तो नजदीक के अन्य कॉलेज से सप्ताह में एक या दो दिन के लिए उनकी सेवाएं लेकर पाठ्यक्रम पूर्ण कराने की गाइडलाइन बनाई गई है।
कक्षा में महापुरुष, प्रयोगशाला में वैज्ञानिकों का फोटो
कॉलेज प्रबंधकों को कक्षा के हर हर कमरे में महानविभूतियों की तस्वीरें लगाने और प्रेरक स्लोगन लिखने के लिए कहा गया है। प्रयोगशालाओं में संबंधित विषयों के वैज्ञानिकों की तस्वीर लगाने कहा गया है। इसके अलावा कॉलेज भवनों में कैंटीन, लाइब्रेरी, छात्रावास तथा कॉलेज के सभी कमरों का नियमित रंग-रोगन करने के लिए कहा गया है। कॉलेज का नाम ग्लो-साइन बोर्ड में स्पष्ट नजर आना चाहिए। कॉलेजों के खिड़की दरवाजे, फर्श आदि की मरम्मत भी आवश्यकतानुसार करवा ली जाए। प्राचार्य यह सुनिश्चित करेंगे कि कॉलेज के हर कमरे में बिजली और पंखे की उचित व्यवस्था हो।
वाई-फाई पहला एजेंडा
राज्य सरकार 50 कॉलेजों में वाई-फाई सुविधा देने के लिए अपने उपक्रम चिप्स को जिम्मेदारी है। सरकारी कॉलेजों में एनएमआईईसीटी योजना के तहत ब्रॉडबैंड की सुविधा दी जा जा रही है। शहर के छत्तीसगढ़ कॉलेज, साइंस कॉलेज में क हने के लिए तो वाई-फाई की सुविधा, लेकिन छात्र हमेशा परेशान रहते हैं। ऐसे में उच्च शिक्षा विभाग प्राचार्यों से कहा है वाई-फाई चल रहा है या नहीं इसकी जिम्मेदारी खुद देखें। कई कॉलेजों ने अपने संसाधनों से वाई -फाई की सुविधा शुरू की है। इस सुविधा के लिए सम्पूर्ण परिसर को वाई-फाई करना जरूरी नहीं है।
शौचालय में गंदगी तो खैर नहीं
कॉलेजों में स्वच्छ वातावरण के लिए खासकर शौचालय को साफ-सुथरा रखने के लिए कहा गया है। राजधानी के कई कॉलेजों में शौचालयों में पानी की व्यवस्था भी नहीं रहती है। इसकी शिकायत साइंस कॉलेज के छात्र कई बार कर भी चुके हैं। इससे गंदगी होने के साथ ही कॉलेज के परिवेश पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। पंचमुखी विकास कार्यक्रम के तहत कॉलेजों में पुरुष और महिलाओं के लिए अलग-अलग शौचालयों की व्यवस्था अनिवार्य रूप से हो और उनमें लगातार जल आपूर्ति भी सुनिश्चित की जाए। शौचालयों में पर्याप्त प्रकाश व्यवस्था, वेनटिलेशन और एयर प्यूरीफायर की भी उचित व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए हैं।
पहली बार कॉलेजों की पढ़ाई का अकादमिक ऑडिट करने के लिए कहा गया है। यह जिम्मेदारी प्राचार्य की होगी कि पढ़ाई पूरी करवाई गई या नहीं।
- डॉ. बीएल अग्रवाल, सचिव, उच्च शिक्षा
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