जांजगीर-चांपा.
सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को अब मूल्यांकन के दौर से गुजरना होगा। शिक्षा
विभाग द्वारा जिले के शिक्षकों का रिपोर्ट कार्ड तैयार कराया जाएगा,
जिसमें उनके सालभर की गतिविधियों का आंकलन होगा।जिले में संचालित सरकारी
स्कूलों की दशा संवारने तथा वहां के अध्यापन स्तर को दुरूस्त करने केन्द्र व
राज्य सरकार हरसंभव प्रयास कर रही है।
शिक्षा से जुड़ी विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन के एवज में सालाना अरबों रुपए खर्च हो रहे हैं, बावजूद इसके अध्यापन स्तर में कोई सुधार नहीं हो पा रहा है।
शिक्षा के स्तर को बढ़ाने पिछले साल से शाला गुणवत्ता उन्नयन अभियान की शुरूआत की गई है। इसके तहत शासकीय विभागों के अधिकारियों से लेकर निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की जवाबदेही तय की गई है, ताकि वे उन स्कूलों पर विशेष निगरानी रखते हुए शिक्षा के स्तर को ऊंचा उठाने ठोस प्रयास करें। पिछले साल ग्रेडिंग में सैकड़ों स्कूल फिसड्डी साबित हुए थे।
इधर, 18 जुलाई से शिक्षा गुणवत्ता अभियान एक बार फिर शुरू हो रहा है। इसी कड़ी में राज्य शासन अब यह जानने की कोशिश कर रहा है कि स्कूलों के शिक्षा के स्तर में सुधार नहीं आने को लेकर खामी आखिर कहां पर है। इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए राज्य शासन अब शिक्षकों का मूल्यांकन करना चाहता है। इसके बाद प्रत्येक शिक्षकों का रिपोर्ट कार्ड बनाया जाएगा। शिक्षा विभाग के अधिकारियों का मानना है कि इससे यह पता चल जाएगा कि शिक्षक ने स्कूल व बच्चों का स्तर सुधारने के लिए क्या प्रयास किया है। यदि शिक्षक का रिपोर्ट कार्ड संतोषजनक नहीं रहता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
इसलिए मूल्यांकन
अधिकांश गांवों से शिकायत मिलती है शिक्षक नियमित रूप से विद्यालय नहीं पहुंचते, यदि पहुंचते भी हैं तो समय से पूर्व घर चले जाते हैं। इस तरह की शिकायतों को ही आधार मानकर शासन से शिक्षकों का मूल्यांकन करने का निर्णय लिया है।
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शिक्षा से जुड़ी विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन के एवज में सालाना अरबों रुपए खर्च हो रहे हैं, बावजूद इसके अध्यापन स्तर में कोई सुधार नहीं हो पा रहा है।
शिक्षा के स्तर को बढ़ाने पिछले साल से शाला गुणवत्ता उन्नयन अभियान की शुरूआत की गई है। इसके तहत शासकीय विभागों के अधिकारियों से लेकर निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की जवाबदेही तय की गई है, ताकि वे उन स्कूलों पर विशेष निगरानी रखते हुए शिक्षा के स्तर को ऊंचा उठाने ठोस प्रयास करें। पिछले साल ग्रेडिंग में सैकड़ों स्कूल फिसड्डी साबित हुए थे।
इधर, 18 जुलाई से शिक्षा गुणवत्ता अभियान एक बार फिर शुरू हो रहा है। इसी कड़ी में राज्य शासन अब यह जानने की कोशिश कर रहा है कि स्कूलों के शिक्षा के स्तर में सुधार नहीं आने को लेकर खामी आखिर कहां पर है। इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए राज्य शासन अब शिक्षकों का मूल्यांकन करना चाहता है। इसके बाद प्रत्येक शिक्षकों का रिपोर्ट कार्ड बनाया जाएगा। शिक्षा विभाग के अधिकारियों का मानना है कि इससे यह पता चल जाएगा कि शिक्षक ने स्कूल व बच्चों का स्तर सुधारने के लिए क्या प्रयास किया है। यदि शिक्षक का रिपोर्ट कार्ड संतोषजनक नहीं रहता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
इसलिए मूल्यांकन
अधिकांश गांवों से शिकायत मिलती है शिक्षक नियमित रूप से विद्यालय नहीं पहुंचते, यदि पहुंचते भी हैं तो समय से पूर्व घर चले जाते हैं। इस तरह की शिकायतों को ही आधार मानकर शासन से शिक्षकों का मूल्यांकन करने का निर्णय लिया है।
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