जांजगीर-चांपा.
राजीव गांधी शिक्षा मिशन के अफसरों द्वारा स्कूलों में विद्युतीकरण के नाम
पर एक फर्म को किए गए 30 लाख रुपए के भुगतान के मामले में नया मोड़ आ गया
है। भुगतान को लेकर अनुमोदन संबंधी नोटशीट पर मिशन के अफसरों ने तत्कालीन
कलक्टर और जिला पंचायत सीईओ के फर्जी हस्ताक्षर किए हैं।
जांच टीम के समक्ष प्रस्तुत की गई नोटशीट की मूल कापी नहीं मिल रही है। इसी वजह से कलक्टर के निर्देश पर मिशन के परियोजना दफ्तर को मंगलवार की देर शाम सील किया गया था। जांजगीर एसडीएम की टीम ने गुरूवार की शाम पुलिस बल के साथ दफ्तर पहुंचकर विद्युतीकरण की पूरी फाइल खंगाली, लेकिन नोटशीट की मूल कापी नहीं मिली।
जानकारी के अनुसार, मिशन में सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत वर्ष 2012-13 में जिले के 501 विद्यालयों में प्रति विद्यालय तीस हजार रुपए की दर से बिजली फिटिंग कार्य के लिए कलक्टर के अनुमोदन के बाद डेढ़ करोड़ रुपए ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग जांजगीर को कार्य एजेंसी बनाकर जारी किया गया था। जांजगीर के एक ठेकेदार ने जैजैपुर क्षेत्र के स्कूलों में बिजली फिटिंग के आदेशित कार्य को पूरा नहीं कराया।
कलक्टर के निर्देश पर ग्रामीण यांत्रिकी विभाग ने 25 मई 2015 को तीस लाख नब्बे हजार रुपए विभाग को वापस कर दिया, लेकिन तत्कालीन एपीसी एमडी दीवान ने उक्त राशि के लिए प्राप्त डीडी को करीब दो माह तक अपने कब्जे में रखा। डीडी को 10 अगस्त 2015 को बैंक में जमा कराया गया। इसके कुछ दिनों बाद वर्तमान डीएमसी ने तीस लाख 90 हजार रुपए जांजगीर के फर्म राजेश अग्रवाल को एक्सिस बैंक चांपा से डीडी बनाकर भुगतान कर दिया। इस मामले को पत्रिका ने लगातार उठाया, तब कलक्टर डॉ. एस भारतीदासन ने शिक्षा मिशन से संबंधित सभी मामलों में जांच के आदेश दिए।
अपर कलक्टर डीके सिंह ने जब मिशन के सारे दस्तावेज खंगलाने शुरू किए तो उन्हें नोटशीट में संदेह हुआ। मिशन के डीएमसी पीके आदित्य ने जो नोटशीट की फोटोकाफी पेश की है, उसमें तत्कालीन कलक्टर ओपी चौधरी और जिला पंचायत सीईओ विश्वेश कुमार के अनुमोदन पाए गए हैं, जबकि मूल नोटशीट मिशन दफ्तर से गायब हो गई है।
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जांच टीम के समक्ष प्रस्तुत की गई नोटशीट की मूल कापी नहीं मिल रही है। इसी वजह से कलक्टर के निर्देश पर मिशन के परियोजना दफ्तर को मंगलवार की देर शाम सील किया गया था। जांजगीर एसडीएम की टीम ने गुरूवार की शाम पुलिस बल के साथ दफ्तर पहुंचकर विद्युतीकरण की पूरी फाइल खंगाली, लेकिन नोटशीट की मूल कापी नहीं मिली।
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कलक्टर के निर्देश पर ग्रामीण यांत्रिकी विभाग ने 25 मई 2015 को तीस लाख नब्बे हजार रुपए विभाग को वापस कर दिया, लेकिन तत्कालीन एपीसी एमडी दीवान ने उक्त राशि के लिए प्राप्त डीडी को करीब दो माह तक अपने कब्जे में रखा। डीडी को 10 अगस्त 2015 को बैंक में जमा कराया गया। इसके कुछ दिनों बाद वर्तमान डीएमसी ने तीस लाख 90 हजार रुपए जांजगीर के फर्म राजेश अग्रवाल को एक्सिस बैंक चांपा से डीडी बनाकर भुगतान कर दिया। इस मामले को पत्रिका ने लगातार उठाया, तब कलक्टर डॉ. एस भारतीदासन ने शिक्षा मिशन से संबंधित सभी मामलों में जांच के आदेश दिए।
अपर कलक्टर डीके सिंह ने जब मिशन के सारे दस्तावेज खंगलाने शुरू किए तो उन्हें नोटशीट में संदेह हुआ। मिशन के डीएमसी पीके आदित्य ने जो नोटशीट की फोटोकाफी पेश की है, उसमें तत्कालीन कलक्टर ओपी चौधरी और जिला पंचायत सीईओ विश्वेश कुमार के अनुमोदन पाए गए हैं, जबकि मूल नोटशीट मिशन दफ्तर से गायब हो गई है।
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