दुर्ग। ब्यूरो बजट मंजूर नहीं होने से शिक्षा विभाग की दर्जनभर
योजनाएं अटक गई हैं। तीन महीने पहले राज्य परियोजना कार्यालय को इसका
प्रस्ताव भेजा गया है। करीब 60 करोड़ रुपए की योजनाएं पैसे के अभाव में शुरू
नहीं हो पा रही हैं।
सर्वशिक्षा मिशन के तहत वर्ष 2016-17 की कार्ययोजना बना ली गई है। दुर्ग जिले के सरकारी स्कूलों को इसी कार्ययोजना के हिसाब से अपडेट किया जाना है। योजनाओं के लिए बजट मंजूर नहीं होने से मिशन का काम ठप है।
नहीं खुल रहे आवासीय व गैरआवासीय स्कूल
घुमंतू और शाला त्यागी बच्चों सहित विकलांग बच्चों के लिए आवासीय व गैरआवासीय विद्यालय खोला जाना है। बजट नहीं आने से ऐसे स्कूलों को शुरू नहीं किया जा सका है, जबकि बच्चे चिन्हांकित हैं।
शिक्षकों को ट्रेनिंग नहीं
जिले के 2286 प्राइमरी और 1694 मिडिल स्कूल के शिक्षकों को विषयवार प्रशिक्षण देना है। हेडमास्टरों, संकुल समंवयक, बीआरसी, बीआरपी को भी प्रशिक्षण दिया जाना है। स्कूल शुरू हो गया है, लेकिन ट्रेनिंग नहीं दे पा रहे हैं।
करोड़ों का निर्माण कार्य अटका
जिले में 62 प्राइमरी और मिडिल स्कूलों में अतिरिक्त कमरा बनाना है। इसके अलावा 27 स्कूलों में मरम्मत की जरूरत है। निर्माण के साथ ही फर्नीचर जैसे संसाधन जुटाना है।
चॉक-डस्टर व रजिस्टर की जरूरत
स्कूलों में शिक्षकों के पढ़ाने के लिए चॉक चाहिए। रोजाना अध्यापन गतिविधियों को दर्ज करने रजिस्टर सहित अन्य सामग्री की जरूरत है। मदरसों के लिए कंप्यूटर आदि की व्यवस्था नहीं कर पा रहे।
स्किल डेवलपमेंट ट्रेनिंग के लिए इंतजार
मिशन ने इस बार आंगनबाड़ी के बच्चों को उपयोगी सामान बनाने के लिए प्रशिक्षण करने की योजना बनाई है। सरकारी स्कूल की बालिकाओं को भी वोकेशनल प्रशिक्षण देना है। जिले के 96 हजार बच्चों का यूनिफार्म का इतंजाम नहीं हो पाया है।
इस बार बजट देने में देरी
'हर साल बजट का आवंटन जून में होता रहा है। इस बार देरी हुई है। जब तक बजट नहीं आएगा योजनाओं का क्रियान्वयन नहीं हो पाएगा।'
-श्रीमती छबिदास, जिला परियोजना समन्वयक
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सर्वशिक्षा मिशन के तहत वर्ष 2016-17 की कार्ययोजना बना ली गई है। दुर्ग जिले के सरकारी स्कूलों को इसी कार्ययोजना के हिसाब से अपडेट किया जाना है। योजनाओं के लिए बजट मंजूर नहीं होने से मिशन का काम ठप है।
नहीं खुल रहे आवासीय व गैरआवासीय स्कूल
घुमंतू और शाला त्यागी बच्चों सहित विकलांग बच्चों के लिए आवासीय व गैरआवासीय विद्यालय खोला जाना है। बजट नहीं आने से ऐसे स्कूलों को शुरू नहीं किया जा सका है, जबकि बच्चे चिन्हांकित हैं।
शिक्षकों को ट्रेनिंग नहीं
जिले के 2286 प्राइमरी और 1694 मिडिल स्कूल के शिक्षकों को विषयवार प्रशिक्षण देना है। हेडमास्टरों, संकुल समंवयक, बीआरसी, बीआरपी को भी प्रशिक्षण दिया जाना है। स्कूल शुरू हो गया है, लेकिन ट्रेनिंग नहीं दे पा रहे हैं।
करोड़ों का निर्माण कार्य अटका
जिले में 62 प्राइमरी और मिडिल स्कूलों में अतिरिक्त कमरा बनाना है। इसके अलावा 27 स्कूलों में मरम्मत की जरूरत है। निर्माण के साथ ही फर्नीचर जैसे संसाधन जुटाना है।
चॉक-डस्टर व रजिस्टर की जरूरत
स्कूलों में शिक्षकों के पढ़ाने के लिए चॉक चाहिए। रोजाना अध्यापन गतिविधियों को दर्ज करने रजिस्टर सहित अन्य सामग्री की जरूरत है। मदरसों के लिए कंप्यूटर आदि की व्यवस्था नहीं कर पा रहे।
स्किल डेवलपमेंट ट्रेनिंग के लिए इंतजार
मिशन ने इस बार आंगनबाड़ी के बच्चों को उपयोगी सामान बनाने के लिए प्रशिक्षण करने की योजना बनाई है। सरकारी स्कूल की बालिकाओं को भी वोकेशनल प्रशिक्षण देना है। जिले के 96 हजार बच्चों का यूनिफार्म का इतंजाम नहीं हो पाया है।
इस बार बजट देने में देरी
'हर साल बजट का आवंटन जून में होता रहा है। इस बार देरी हुई है। जब तक बजट नहीं आएगा योजनाओं का क्रियान्वयन नहीं हो पाएगा।'
-श्रीमती छबिदास, जिला परियोजना समन्वयक
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