प्रदेश के शिक्षा कर्मियों का मुद्दा बुधवार को संसद में गूंजा। दुर्ग सांसद
ताम्रध्वज साहू ने शिक्षाकर्मियों का संविलियन का मुद्दा उठाया। सांसद
साहू ने शिक्षाकर्मियों की समस्या पर चिंता जताते हुए सरकार से निराकरण की
मांग की है।
उन्होंने ने कहा कि, देश में शिक्षाकर्मियों द्वारा बच्चों की पढ़ाई के अलावा चुनाव, जनगणना जैसे अन्य कार्यों में ड्यूटी लगाई जाती है। छत्तीसगढ़ में नियमित शिक्षकों की भर्ती बंद है। शिक्षाकर्मी ही प्राचार्य, व्याख्याता, शिक्षक का कार्य कर रहे हैं। उन्हें पंचायत कर्मी भी कहा जाता है। शिक्षाकर्मियों को समतुल्य वेतन व भत्ते नहीं मिलने के कारण उन्हें परिवार चलाने के लिए मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। शिक्षाकर्मियों की प्रमुख मांग संविलियन की हैं। क्योंकि कई वर्ष बीत जाने के बाद भी राज्य की सरकार ने इनकी जायज मांगों के निराकरण के लिए अब तक पहल नहीं की। शिक्षाकर्मी हड़ताल पर हैं। शिक्षा के क्षेत्र में सरकार की हठधर्मिता के कारण अधिकांश समय स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती है। इसके कारण छात्र -छात्राओं की पढ़ाई का स्तर गिरता जा रहा है। जो बच्चों के भविष्य के साथ राज्य सरकार का असंवेदनशील रवैया चिंता का विषय है। सांसद ने केंद्र सरकार से आग्रह करते हुए कहा कि, शिक्षाकर्मियों की गंभीर प्रकरण पर निजी तौर पर संज्ञान लेते हुए विचार कर जल्द से जल्द निराकरण किया जाए।
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