प्राइमरी से हायर सेकंडरी तक शिक्षकों की कमी अब तक दूर नहीं हो पाई है। सबसे ज्यादा समस्या प्राइमरी और मिडिल स्कूलों में है। अधिकांश स्कूल एक या दो शिक्षकों के भरोसे चल रहे हैं। युक्तियुक्तकरण के बाद भी समस्या को शिक्षा विभाग और प्रशासन ने दूर नहीं किया है।
शिक्षा गुणवत्ता वर्ष के बीच इस वर्ष भी शिक्षकों की भर्ती किए बगैर पढ़ाई शुरू करा दी गई और अब त्रैमासिक परीक्षा भी हो गई।
शिक्षकों की मांग काे लेकर पालकों के अलावा शाला विकास समिति व वहां के जनप्रतिनिधि एड़ी-चोटी एक कर रहे हैं। जनपद, जिला पंचायत, डीईओ कार्यालय सहित प्रशासन को भी आवेदन सौंप रहे हैं। शिक्षकों की कमी के कारण स्कूलों में पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हो रही है। जिले के 230 से अधिक प्राइमरी व मिडिल स्कूलों में हेड मास्टर भी नहीं
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हैं और शिक्षकों के 600 से अधिक पद खाली हैं।
स्वच्छता पर फोकस: कुछ शिक्षकों व जनप्रतिनिधियों ने कहा कि शासन-प्रशासन स्कूलों में गुणवत्ता वर्ष मना रहा है, लेकिन सारा फोकस स्वच्छता पर है। शौचालय निर्माण और सफाई पर ही ध्यान केंद्रित है, जबकि ज्यादा जरूरी शिक्षकों की कमी को दूर करना है। इस गंभीर समस्या को लेकर कोई भी अधिकारी गंभीर नहीं है। यही कारण है कि बीते वर्ष शिक्षा गुणवत्ता जांच में अधिकांश स्कूलों को सी और डी ग्रेड मिले थे।
इस हफ्ते व्यवस्था कर लेंगे
स्कूलों में शिक्षकों की कमी दूर करने के लिए कलेक्टर के निर्देश पर कमेटी बनाई गई है। जहां ज्यादा समस्या है, वहां पहले शिक्षकों की व्यवस्था करेंगे। इस सप्ताह तक कई स्कूलों की समस्या दूर कर लेंगे। 50 से अधिक पति-प|ी प्रकरण के शिक्षक तथा 54 शिक्षक व्यवस्थापन के तहत रिजर्व हैं। इन्हें संबंधित स्कूलों में पदस्थ करेंगे। हेडमास्टर के पदों की पूर्ति फिलहाल संभव नहीं है। प्रवाससिंह बघेल, डीईओ धमतरी
इन स्कूलों से आ चुकी है 100 शिक्षकों की मांग
सरकारी प्रायमरी व मिडिल स्कूलों में शिक्षकों की मांग को लेकर अब तक 100 से अधिक आवेदन आ चुके हैं। जनदर्शन में हर हफ्ते 5 से 7 आवेदन मिल रहे हैं। अब तक बेधवापारा, माकरदोना, परसापानी, बाजार कुर्रीडीह, गेदरापारा, जोरातराई सी, देवपुर सहित विभिन्न गांवों के स्कूलों शिक्षकों की मांग हो चुकी है।
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शिक्षा गुणवत्ता वर्ष के बीच इस वर्ष भी शिक्षकों की भर्ती किए बगैर पढ़ाई शुरू करा दी गई और अब त्रैमासिक परीक्षा भी हो गई।
शिक्षकों की मांग काे लेकर पालकों के अलावा शाला विकास समिति व वहां के जनप्रतिनिधि एड़ी-चोटी एक कर रहे हैं। जनपद, जिला पंचायत, डीईओ कार्यालय सहित प्रशासन को भी आवेदन सौंप रहे हैं। शिक्षकों की कमी के कारण स्कूलों में पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हो रही है। जिले के 230 से अधिक प्राइमरी व मिडिल स्कूलों में हेड मास्टर भी नहीं
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हैं और शिक्षकों के 600 से अधिक पद खाली हैं।
स्वच्छता पर फोकस: कुछ शिक्षकों व जनप्रतिनिधियों ने कहा कि शासन-प्रशासन स्कूलों में गुणवत्ता वर्ष मना रहा है, लेकिन सारा फोकस स्वच्छता पर है। शौचालय निर्माण और सफाई पर ही ध्यान केंद्रित है, जबकि ज्यादा जरूरी शिक्षकों की कमी को दूर करना है। इस गंभीर समस्या को लेकर कोई भी अधिकारी गंभीर नहीं है। यही कारण है कि बीते वर्ष शिक्षा गुणवत्ता जांच में अधिकांश स्कूलों को सी और डी ग्रेड मिले थे।
इस हफ्ते व्यवस्था कर लेंगे
स्कूलों में शिक्षकों की कमी दूर करने के लिए कलेक्टर के निर्देश पर कमेटी बनाई गई है। जहां ज्यादा समस्या है, वहां पहले शिक्षकों की व्यवस्था करेंगे। इस सप्ताह तक कई स्कूलों की समस्या दूर कर लेंगे। 50 से अधिक पति-प|ी प्रकरण के शिक्षक तथा 54 शिक्षक व्यवस्थापन के तहत रिजर्व हैं। इन्हें संबंधित स्कूलों में पदस्थ करेंगे। हेडमास्टर के पदों की पूर्ति फिलहाल संभव नहीं है। प्रवाससिंह बघेल, डीईओ धमतरी
इन स्कूलों से आ चुकी है 100 शिक्षकों की मांग
सरकारी प्रायमरी व मिडिल स्कूलों में शिक्षकों की मांग को लेकर अब तक 100 से अधिक आवेदन आ चुके हैं। जनदर्शन में हर हफ्ते 5 से 7 आवेदन मिल रहे हैं। अब तक बेधवापारा, माकरदोना, परसापानी, बाजार कुर्रीडीह, गेदरापारा, जोरातराई सी, देवपुर सहित विभिन्न गांवों के स्कूलों शिक्षकों की मांग हो चुकी है।
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