प्रदेश भर में दस हजार से ज्यादा अप्रशिक्षित शिक्षक सरकारी स्कूलों में
पढ़ा रहे हैं। सिर्फ दुर्ग जिले में ही 310 अप्रशिक्षित शिक्षक हैं। उनके
अप्रशिक्षित होने का असर सरकारी स्कूल की शिक्षा की गुणवत्ता पर पड़ रहा है।
उन्हें विभागीय प्रशिक्षण उपलब्ध कराने के लिए समय-समय पर एससीईआरटी पत्र तो जारी करती है पर वे चाहकर भी प्रशिक्षण नहीं ले पाते। क्योंकि प्रदेश भर के हजारों अप्रशिक्षित शिक्षकों के लिए सिर्फ 120 सीट ही आरक्षित है जो कि रायपुर व बिलासपुर के शासकीय महाविद्यालय में ही है।
निजी कॉलेजों कोे अनुमति मिले तो समस्या हल होगी
प्रदेश के बीएड कॉलेजों में एडमिशन की आखरी काउंसलिंग भी समाप्त हो चुकी है। तीसरी काउंसलिंग में आबंटित कॉलेजों में प्र्रवेश लेने की आखिरी तारीख 5 सितंबर निर्धारित की गई है। जिसके बाद रिक्त सीटों की घोषणा की जाएगी। दूसरे चरण की काउंसलिंग के अनुसार अब भी प्रदेश में साढ़े छह हजार सीटें खाली रह गई हैं। शासकीय बीएड कॉलेजों में सिर्फ 120 सीटें हैं और प्रदेश भर में लगभग दस हजार अप्रशिक्षित सरकारी शिक्षक हैं।
सीटें कम होने की वजह से नहीं मिल पाता मौका
सिर्फ दुर्ग जिले में ही अगर देखें तो 310 अप्रशिक्षित शिक्षक विभिन्न सरकारी स्कूलों में पढ़ा रहे हैं। जिन्हें विभागीय बीएड प्रशिक्षण उपलब्ध कराने समय समय पर एससीईआरटी द्वारा पत्र जारी किया जाता है। लेकिन आवेदन करने के बाद भी इनका नंबर नहीं आता। क्योंकि प्रदेश भर से आवेदन दोनों महाविद्यालय में आते हैं। लेकिन सीटें कम होने की वजह से सभी को प्रशिक्षण लेने का मौका नहीं मिल पाता है।
प्रशिक्षितों को भर्ती में मिलती है प्राथमिकता
सरकारी स्कूलों में भर्ती के लिए बीएड व डीएड प्रशिक्षण अनिवार्य नहीं है। हालांकि सरकार भर्ती के दौरान प्रशिक्षित शिक्षकों को प्राथमिकता देती है। फिर भी ऐसे हजारों शिक्षक हैं जो बगैर प्रशिक्षण के लिए नौकरी पा जाते हैं। इस वजह से वर्तमान में प्रदेश में दस हजार से ज्यादा अप्रशिक्षित शिक्षक सरकारी स्कूलों में पढ़ा रहे हैं। उन्हें बीएड प्रशिक्षण देने के लिए सरकार ने विभागीय प्रशिक्षण का प्रावधान रखा है। जिसके तहत वे सरकारी बीएड कॉलेजों में एडमिशन ले कर प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं।
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उन्हें विभागीय प्रशिक्षण उपलब्ध कराने के लिए समय-समय पर एससीईआरटी पत्र तो जारी करती है पर वे चाहकर भी प्रशिक्षण नहीं ले पाते। क्योंकि प्रदेश भर के हजारों अप्रशिक्षित शिक्षकों के लिए सिर्फ 120 सीट ही आरक्षित है जो कि रायपुर व बिलासपुर के शासकीय महाविद्यालय में ही है।
निजी कॉलेजों कोे अनुमति मिले तो समस्या हल होगी
प्रदेश के बीएड कॉलेजों में एडमिशन की आखरी काउंसलिंग भी समाप्त हो चुकी है। तीसरी काउंसलिंग में आबंटित कॉलेजों में प्र्रवेश लेने की आखिरी तारीख 5 सितंबर निर्धारित की गई है। जिसके बाद रिक्त सीटों की घोषणा की जाएगी। दूसरे चरण की काउंसलिंग के अनुसार अब भी प्रदेश में साढ़े छह हजार सीटें खाली रह गई हैं। शासकीय बीएड कॉलेजों में सिर्फ 120 सीटें हैं और प्रदेश भर में लगभग दस हजार अप्रशिक्षित सरकारी शिक्षक हैं।
सीटें कम होने की वजह से नहीं मिल पाता मौका
सिर्फ दुर्ग जिले में ही अगर देखें तो 310 अप्रशिक्षित शिक्षक विभिन्न सरकारी स्कूलों में पढ़ा रहे हैं। जिन्हें विभागीय बीएड प्रशिक्षण उपलब्ध कराने समय समय पर एससीईआरटी द्वारा पत्र जारी किया जाता है। लेकिन आवेदन करने के बाद भी इनका नंबर नहीं आता। क्योंकि प्रदेश भर से आवेदन दोनों महाविद्यालय में आते हैं। लेकिन सीटें कम होने की वजह से सभी को प्रशिक्षण लेने का मौका नहीं मिल पाता है।
प्रशिक्षितों को भर्ती में मिलती है प्राथमिकता
सरकारी स्कूलों में भर्ती के लिए बीएड व डीएड प्रशिक्षण अनिवार्य नहीं है। हालांकि सरकार भर्ती के दौरान प्रशिक्षित शिक्षकों को प्राथमिकता देती है। फिर भी ऐसे हजारों शिक्षक हैं जो बगैर प्रशिक्षण के लिए नौकरी पा जाते हैं। इस वजह से वर्तमान में प्रदेश में दस हजार से ज्यादा अप्रशिक्षित शिक्षक सरकारी स्कूलों में पढ़ा रहे हैं। उन्हें बीएड प्रशिक्षण देने के लिए सरकार ने विभागीय प्रशिक्षण का प्रावधान रखा है। जिसके तहत वे सरकारी बीएड कॉलेजों में एडमिशन ले कर प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं।
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