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15 दिन में स्कूल पहुंचता है शिक्षक, सफाई कर्मी पढ़ाता है बच्चों को

देवभोग। मेरा जब मन हो, तब मैं आऊंगा और जब जाने का मन हो तब जाऊंगा। यह एक शिक्षक के शब्द है, जो उस स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के पालक और गांव के लोगों को कहता है। शिक्षक की मनमानी से त्रस्त ग्रामीण जब उसे स्कूल समझाने पहुंचते है, तो शिक्षक ग्रामीणों की बात सुनना तो दूर उल्टा उन्हें ही जवाब दे देता है।
कई बार समझाने के बाद भी शिक्षक के नहीं मानने के बाद अब ग्रामीणों ने कुछ कहना ही छोड़ दिया है। ये स्थिति मैनपुर ब्लॉक के भरूवामुड़ा पूर्व माध्यमिक शाला है। जहां 47 बच्चों के लिए पदस्थ एक शिक्षक खीरसिंग नेताम स्कूल में पखवाड़े भर में एक बार पहुंचता है।
ग्रामीण श्यामसुंदर नागेश बताते हैं लगभग एक महीने बीत गए, उसके बाद भी शिक्षक अब तक स्कूल नहीं पहुंचा है। श्यामसुंदर के मुताबिक शिक्षक को कई बार समझाने की कोशिश की गई, लेकिन वह मानने को तैयार नहीं है। ऐसे में यहां एक बार फिर कहा जा सकता है कि रमन की शिक्षा व्यवस्था की जमीनी हकीकत क्या है। क्या ऐसे में रमन सिंह का गुणवत्ता अभियान सफल हो पाएगा। मामले में बीईओ और डीईओ का पक्ष जानने के लिए उनसे संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उनका संपर्क नंबर लग नहीं पाया।
पंचायत की ओर से रखी गई शिक्षिका
भरूवामुड़ा का सरपंच मुकुन्द कोमर्रा ने बताया कि शिक्षक खीरसिंग नेताम बहुत ज्यादा लापरवाह है। उसकी लापरवाही के चलते 47 बच्चों का भविष्य दांव पर है। सरपंच की माने तो पहले बच्चे आकर सिर्फ स्कूल में बैठकर किसी भी समय निकल जाते थे। इसी के मद्देनजर पंचायत में विचार-विमर्श कर पंचायत की ओर से एक शिक्षिका लोचनी नागेश को रखा गया। किसी तरह लोचनी द्वारा आज पूर्व माध्यमिक के बच्चों की शैक्षणिक व्यवस्था संपन्ना कराई जा रही है।
ग्रामीण करेंगे बीईओ से शिकायत
निवर्तमान सचिव उपेन्द्र नेताम ने बताया कि मामले में कई बार शिक्षक को समझाने की कोशिश की गई, लेकिन वह स्कूल अपनी मनमाने ढंग से ही आता है। वहीं संकुल समन्वयक को भी जानकारी दी गई, लेकिन उसने भी सिर्फ खानापूर्ति कार्रवाई ही की। जिसके चलते शिक्षक की लापरवाही ही हदें बढ़ती चली गई। वहीं ग्रामीण खिरसिंदुर बघेल के अनुसार अब शिक्षक के लापरवाही के चलते गांव के बच्चों का भविष्य खतरे पर है। ऐसे में हम ग्रामीण बीईओ से मुलाकात कर शिक्षक को हटाने की मांग करेंगे।
सफाईकर्मी अध्यापन कार्य में दे रहा समय
मामले में स्कूल के पड़ताल के दौरान दिखा कि स्कूल में पदस्थ सफाईकर्मी डमरूधर बघेल भी अध्यापन कार्य पूरा करवाने में अपना समय दे रहा है। मामले में डमरूधर से बात करने की कोशिश की गई तो उसने दबी जुबान में बताया कि नेताम गुरुजी कभी-कभार आते हैं, इसी के चलते यहां अध्यापन कार्य में बच्चों को परेशानी होती है। इसी के मद्देनजर ही किसी तरह वह भी बच्चों को अध्यापन कार्य में सहयोग देता है।
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