रायपुर। निप्र राज्य सरकार शिक्षकों को पढ़ाने लायक बनाने में
फिसड्डी साबित हुई है। शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत शिक्षकों को 31
मार्च, 2015 तक प्रशिक्षित करना था, लेकिन अभी भी प्राइमरी स्कूलों में
पढ़ा रहे करीब 1 लाख शिक्षकों में 40 हजार से अधिक शिक्षक बच्चों को पढ़ाने
लायक नहीं हैं।
लिहाजा राज्य सरकार ने शिक्षकों को प्रशिक्षित करने के लिए केंद्र से समय मांगा है। बताया जाता है कि अब यह डेडलाइन 2020 तक बढ़ाई जा सकती है। केंद्र सरकार की राइट टू एजुकेशन के पैमाने के लिए हिसाब से सरकार ने पिछले पांच सालों में केवल एक फीसदी शिक्षकों को ही प्रशिक्षित किया है। 35 हजार 325 प्राइमरी स्कूल 25 लाख से अधिक बच्चे पढ़ते हैं और इनमें 1 लाख से अधिक शिक्षक पढ़ा रहे हैं। डाइस के मुताबिक केवल 59 फीसदी शिक्षक ही बच्चों को पढ़ाने के लिए क्वालीफाइड हैं। बाकी शिक्षकों को भी प्रशिक्षित करने की जरूरत है।
यह है आरटीई का नियम
आरटीई के तहत सरकारी और निजी स्कूलों में अप्रशिक्षित शिक्षकों को प्रशिक्षित होने की समय सीमा 31 मार्च 2015 को खत्म चुकी है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम एक अप्रैल 2010 को राज्य में लागू हुआ था। इसके तहत सभी स्कूलों में शिक्षकों को 5 साल के अंदर बीएड, डीएड के जरिए प्रशिक्षित करना था, लेकिन यह लक्ष्य अभी तक अधूरा है।
नए शिक्षक भी अप्रशिक्षित
पुराने की शिक्षकों की बात तो दूर राज्य में नए शिक्षक भी अभी तक प्रशिक्षित नहीं हो पाए हैं। 2010 के बाद राज्य में 14 हजार करीब शिक्षकों की नियुक्ति हुई है, जिनमें 5 हजार से अधिक ऐसे शिक्षक हैं, जिन्होंने टीईटी पास नहीं की है। राज्य में 2 लाख 50 हजार करीब शिक्षक हैं। इनमें 1 लाख 70 हजार सिर्फ शिक्षाकर्मी हैं ,जबकि 79 हजार करीब शिक्षकों के पद खाली बताए जा रहे हैं। राज्य में निजी और सरकारी स्कूलों में 27 हजार 529 शिक्षक ऐसे हैं, जिन्होंने डीएड, बीएड नहीं किया है। सरकारी स्कूलों में 5147 और अनुदान प्राप्त स्कूलों में 964 अप्रशिक्षित शिक्षक हैं।
वर्जन
- जिन शिक्षकों को तय सीमा में प्रशिक्षित नहीं किया गया है उनके लिए केंद्र सरकार से डेडलाइन बढ़ाने की मांग की है। - विकास शील , सचिव, स्कूल शिक्षा
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31 संदीप 03 समय 6ः40 बजे
सं. आरकेडी
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लिहाजा राज्य सरकार ने शिक्षकों को प्रशिक्षित करने के लिए केंद्र से समय मांगा है। बताया जाता है कि अब यह डेडलाइन 2020 तक बढ़ाई जा सकती है। केंद्र सरकार की राइट टू एजुकेशन के पैमाने के लिए हिसाब से सरकार ने पिछले पांच सालों में केवल एक फीसदी शिक्षकों को ही प्रशिक्षित किया है। 35 हजार 325 प्राइमरी स्कूल 25 लाख से अधिक बच्चे पढ़ते हैं और इनमें 1 लाख से अधिक शिक्षक पढ़ा रहे हैं। डाइस के मुताबिक केवल 59 फीसदी शिक्षक ही बच्चों को पढ़ाने के लिए क्वालीफाइड हैं। बाकी शिक्षकों को भी प्रशिक्षित करने की जरूरत है।
यह है आरटीई का नियम
आरटीई के तहत सरकारी और निजी स्कूलों में अप्रशिक्षित शिक्षकों को प्रशिक्षित होने की समय सीमा 31 मार्च 2015 को खत्म चुकी है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम एक अप्रैल 2010 को राज्य में लागू हुआ था। इसके तहत सभी स्कूलों में शिक्षकों को 5 साल के अंदर बीएड, डीएड के जरिए प्रशिक्षित करना था, लेकिन यह लक्ष्य अभी तक अधूरा है।
नए शिक्षक भी अप्रशिक्षित
पुराने की शिक्षकों की बात तो दूर राज्य में नए शिक्षक भी अभी तक प्रशिक्षित नहीं हो पाए हैं। 2010 के बाद राज्य में 14 हजार करीब शिक्षकों की नियुक्ति हुई है, जिनमें 5 हजार से अधिक ऐसे शिक्षक हैं, जिन्होंने टीईटी पास नहीं की है। राज्य में 2 लाख 50 हजार करीब शिक्षक हैं। इनमें 1 लाख 70 हजार सिर्फ शिक्षाकर्मी हैं ,जबकि 79 हजार करीब शिक्षकों के पद खाली बताए जा रहे हैं। राज्य में निजी और सरकारी स्कूलों में 27 हजार 529 शिक्षक ऐसे हैं, जिन्होंने डीएड, बीएड नहीं किया है। सरकारी स्कूलों में 5147 और अनुदान प्राप्त स्कूलों में 964 अप्रशिक्षित शिक्षक हैं।
वर्जन
- जिन शिक्षकों को तय सीमा में प्रशिक्षित नहीं किया गया है उनके लिए केंद्र सरकार से डेडलाइन बढ़ाने की मांग की है। - विकास शील , सचिव, स्कूल शिक्षा
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31 संदीप 03 समय 6ः40 बजे
सं. आरकेडी
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