जशपुरनगर.
परिवीक्षा अवधि पूरी कर लेने वाले शिक्षाकर्मियों का शासकीयकरण, क्रमोन्नति
और संविलियिन आदि करने की दर्जनों मांगों को लेकर मंगलवार को जिले भर के
शिक्षाकर्मियों ने हुंकार रैली निकाली। नगरीय निकाय शिक्षाकर्मी संघ के
बैनर तले हुए इस आंदोलन में लगभग 1000 से अधिक की संख्या में
शिक्षाकर्मियों ने हिस्सा लिया और शासन के खिलाफ नारे बाजी की।
शिक्षाकर्मियों ने हुंकार रैली शुरू करने से पहले रणजीता स्टेडियम के सामने बनाए गए शिक्षार्मियो के पंडाल में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए शासन के खिलाफ आवाज बुलंद की। मंगलवार की सुबह 10 बजे से पंडाल में उपस्थित होकर शिक्षाकर्मियों ने अपनी मांगों को लेकर आवाज बुलंद किया और अपने वेतनविसंगतियों की मांगों को प्रशासन के सामने रखा।
रैली निकालकर कलक्टर को ज्ञापन सौंपा गया। आंदोलन के दौरान शिक्षाकर्मियों ने माइक में अपने साथ हो रहे उचित और अनुचित व्यवहारों के बारे में अपने साथियों को बताया। नगरीय निकाय शिक्षाकर्मी संघ के जिलाध्यक्ष अनिल श्रीवास्तव ने शिक्षाकर्मियों द्वारा आयोजित सभा को संबोधित करते हुए कहा कि विभागों में उनके कार्यों को करने और उनकी नौकरी से संबंधित फाइलों को आगे बढ़ाने के दौरान भी उन्हें घुमाकर परेशान किया जाता है। शासकीयकरण और संविलियन किए जाने के लिए शासन की ओर से बनाए गए नियम व शर्तों को पूरा करने वाल शिक्षाकर्मियों को भी इसका लाभ नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि शिक्षाकर्मियों को शोषण करते हुए उनसे मशीन की तरह काम कराया जा रहा है। नियमों के मुताबिक वेतन और प्रमोशन न देने के बाद भी शिक्षाकर्मियों पर शिक्षा गुणवत्ता के लिए आवश्यकता से भी अधिक दबाव बनाया जाता है।
इन मांगों को लेकर हो रही है बहस
शिक्षाकर्मी संघ ने रैली निकालकर परिवीक्षा अवधि पूर्ण कर चुके शिक्षाकर्मियों को 6वां वेतनमान, शासकीयकरण और संविलियन करने की मांग के साथ ही क्रमोन्नति, समयावेतन मान, प्रवरश्रेणी वेतनमान, एक ही पद पर 7 वर्ष सेवा देने वालों को क्रमोन्नति और समयामान का लाभ देते हुए 7 वर्ष में प्रथम और 14 वर्ष में द्वितीय क्रमोन्नति व समयामान का निर्धारण कर वेतन देने व व्याख्याता और व्यायाम शिक्षक के लिए वेतनमान निर्धारित करने की मांग की है। शिक्षाकर्मियों ने कहा कि सरकार उनकी मांगों को पूरा करने पर ध्यान नहीं देती है। इसलिए पढ़ाई बाधित कर सड़कों में उतरना पड़ रहा है।
गुणवत्ता अभियान पर उठाए सवाल
शिक्षाकर्मी संघ के सदस्यों ने कहा कि सरकार शिक्षाकर्मियों के लिए बनाए गए नियमों को लागू करने में पीछे हट रही है। उन्होंने कहा कि शिक्षाकर्मियों को छोड़कर बाकि अन्य कर्मचारियों व अधिकारियों के लिए बनाए गए नियमों का पालन करने में सरकार देरी नहीं करती। और शिक्षाकर्मियों को कुछ दिए बिना ही उनपर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने का भारी दबाव बनाया जाता है।
नगाड़ा बजाकर निकाली रैली
शिक्षाकर्मियों ने सोए हुए शासन और प्रशासन को जगाने के लिए रैली में नगाड़ा का सहारा लिया। हजारों की संख्या में उपस्थित शिक्षाकर्मियों की रैली में सामने शादी का रस्म की तरह नगाड़ा बजाया ज रहा था। रणजीता स्टेडियम से रैली निकलकर बिजली ऑफिस होते हुए जिला पंचायत तक पहुंची। जिला पंचायत के सामने लगभग 15 मिनट तक शिक्षाकर्मी संघ के सदस्य रूककर शासन-प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की। संघ के सदस्यों ने अपनी मांगे पूरी करने की आवाज बुलंद की और हाथ में तख्तियां लेकर विरोध प्रदर्शन किया।
शिक्षाकर्मियों ने हुंकार रैली शुरू करने से पहले रणजीता स्टेडियम के सामने बनाए गए शिक्षार्मियो के पंडाल में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए शासन के खिलाफ आवाज बुलंद की। मंगलवार की सुबह 10 बजे से पंडाल में उपस्थित होकर शिक्षाकर्मियों ने अपनी मांगों को लेकर आवाज बुलंद किया और अपने वेतनविसंगतियों की मांगों को प्रशासन के सामने रखा।
रैली निकालकर कलक्टर को ज्ञापन सौंपा गया। आंदोलन के दौरान शिक्षाकर्मियों ने माइक में अपने साथ हो रहे उचित और अनुचित व्यवहारों के बारे में अपने साथियों को बताया। नगरीय निकाय शिक्षाकर्मी संघ के जिलाध्यक्ष अनिल श्रीवास्तव ने शिक्षाकर्मियों द्वारा आयोजित सभा को संबोधित करते हुए कहा कि विभागों में उनके कार्यों को करने और उनकी नौकरी से संबंधित फाइलों को आगे बढ़ाने के दौरान भी उन्हें घुमाकर परेशान किया जाता है। शासकीयकरण और संविलियन किए जाने के लिए शासन की ओर से बनाए गए नियम व शर्तों को पूरा करने वाल शिक्षाकर्मियों को भी इसका लाभ नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि शिक्षाकर्मियों को शोषण करते हुए उनसे मशीन की तरह काम कराया जा रहा है। नियमों के मुताबिक वेतन और प्रमोशन न देने के बाद भी शिक्षाकर्मियों पर शिक्षा गुणवत्ता के लिए आवश्यकता से भी अधिक दबाव बनाया जाता है।
इन मांगों को लेकर हो रही है बहस
शिक्षाकर्मी संघ ने रैली निकालकर परिवीक्षा अवधि पूर्ण कर चुके शिक्षाकर्मियों को 6वां वेतनमान, शासकीयकरण और संविलियन करने की मांग के साथ ही क्रमोन्नति, समयावेतन मान, प्रवरश्रेणी वेतनमान, एक ही पद पर 7 वर्ष सेवा देने वालों को क्रमोन्नति और समयामान का लाभ देते हुए 7 वर्ष में प्रथम और 14 वर्ष में द्वितीय क्रमोन्नति व समयामान का निर्धारण कर वेतन देने व व्याख्याता और व्यायाम शिक्षक के लिए वेतनमान निर्धारित करने की मांग की है। शिक्षाकर्मियों ने कहा कि सरकार उनकी मांगों को पूरा करने पर ध्यान नहीं देती है। इसलिए पढ़ाई बाधित कर सड़कों में उतरना पड़ रहा है।
गुणवत्ता अभियान पर उठाए सवाल
शिक्षाकर्मी संघ के सदस्यों ने कहा कि सरकार शिक्षाकर्मियों के लिए बनाए गए नियमों को लागू करने में पीछे हट रही है। उन्होंने कहा कि शिक्षाकर्मियों को छोड़कर बाकि अन्य कर्मचारियों व अधिकारियों के लिए बनाए गए नियमों का पालन करने में सरकार देरी नहीं करती। और शिक्षाकर्मियों को कुछ दिए बिना ही उनपर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने का भारी दबाव बनाया जाता है।
नगाड़ा बजाकर निकाली रैली
शिक्षाकर्मियों ने सोए हुए शासन और प्रशासन को जगाने के लिए रैली में नगाड़ा का सहारा लिया। हजारों की संख्या में उपस्थित शिक्षाकर्मियों की रैली में सामने शादी का रस्म की तरह नगाड़ा बजाया ज रहा था। रणजीता स्टेडियम से रैली निकलकर बिजली ऑफिस होते हुए जिला पंचायत तक पहुंची। जिला पंचायत के सामने लगभग 15 मिनट तक शिक्षाकर्मी संघ के सदस्य रूककर शासन-प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की। संघ के सदस्यों ने अपनी मांगे पूरी करने की आवाज बुलंद की और हाथ में तख्तियां लेकर विरोध प्रदर्शन किया।