कवर्धा। अपने ही स्कूलों में लगातार विभागीय भेदभाव के शिकार होते आए
शिक्षक पंचायत संवर्ग को एक बार फिर इसका शिकार होना पड़ा है। छत्तीसगढ़ शासन
स्कूल शिक्षा विभाग के 27 दिसम्बर को जारी आदेश से पता चलता है, जिसमें
पहले जारी आदेश को पलटते हुए नियमित व्याख्याता को ही हाई व हायर सेकेण्डरी
स्कूलों का प्रभार देने का निर्देश दिया है।
इसके पहले बीते 10 नवम्बर को जारी आदेश में हाईस्कूल व हायर सेकेण्डरी स्कूलों में प्राचार्य के अवकाश पर अथवा मुख्यालय से बाहर रहने की अवधि में स्कूल में पदस्थ वरिष्ठतम व्याख्याता पंचायत या नियमित को प्रभार देने का निर्देश दिया गया था, जिसका पंचायत शिक्षकों ने स्वागत किया था। लेकिन इस आदेश को डेढ़ माह से भी कम समय में बदले जाने से पंचायत शिक्षकों में नाराजगी जाहिर की है। साथ ही संघ ने इसका कड़ा विरोध करते हुए 10 नवंबर 2016 के शला प्रभार संबंधी आदेश को यथावत रखने की मांग किया है।
संघ के जिलाध्यक्ष रमेश कुमार चंद्रवंशी एवं प्रांतीय महासचिव विनोद गुप्ता ने कहा कि पंचायत शिक्षक नियुक्ति के समय से ही विभागीय भेदभाव के शिकार होते हैं।
संघ पदाधिकारियों ने बताया कि वर्तमान पद में आने की तिथि के आधार पर वरिष्ठता के निर्धारण में किसी प्रकार का कोई अड़चन नहीं है। इसकी पुष्टि छत्तीसगढ़ शासन स्कूल शिक्षा विभाग के 27 दिसम्बर को जारी आदेश से होता है, क्योंकि इसके माध्यम से 10 नवम्बर को जारी परिपत्र के केवल कंडिका-3 को ही विलोपित किया गया है। शेष कंडिका यथावत रखा गया है। योग्यता व वरिष्ठता को दरकिनार करते हुए एक ही स्कूल में कार्यरत शिक्षकों के बीच भेदभाव करते हुए केवल एक विभाग विशेष के शिक्षकों को संस्था का प्रभार दिए जाने से आपसी मनमुटाव की स्थिति फिर से पैदा हो गई है। इसका शैक्षणिक गुणवत्ता पर विपरीत असर पड़ेगा। संघ ने विभागीय भेदभावपूर्ण नीति को अविलम्ब समाप्त करने की मांग किया है।
इसके पहले बीते 10 नवम्बर को जारी आदेश में हाईस्कूल व हायर सेकेण्डरी स्कूलों में प्राचार्य के अवकाश पर अथवा मुख्यालय से बाहर रहने की अवधि में स्कूल में पदस्थ वरिष्ठतम व्याख्याता पंचायत या नियमित को प्रभार देने का निर्देश दिया गया था, जिसका पंचायत शिक्षकों ने स्वागत किया था। लेकिन इस आदेश को डेढ़ माह से भी कम समय में बदले जाने से पंचायत शिक्षकों में नाराजगी जाहिर की है। साथ ही संघ ने इसका कड़ा विरोध करते हुए 10 नवंबर 2016 के शला प्रभार संबंधी आदेश को यथावत रखने की मांग किया है।
संघ के जिलाध्यक्ष रमेश कुमार चंद्रवंशी एवं प्रांतीय महासचिव विनोद गुप्ता ने कहा कि पंचायत शिक्षक नियुक्ति के समय से ही विभागीय भेदभाव के शिकार होते हैं।
संघ पदाधिकारियों ने बताया कि वर्तमान पद में आने की तिथि के आधार पर वरिष्ठता के निर्धारण में किसी प्रकार का कोई अड़चन नहीं है। इसकी पुष्टि छत्तीसगढ़ शासन स्कूल शिक्षा विभाग के 27 दिसम्बर को जारी आदेश से होता है, क्योंकि इसके माध्यम से 10 नवम्बर को जारी परिपत्र के केवल कंडिका-3 को ही विलोपित किया गया है। शेष कंडिका यथावत रखा गया है। योग्यता व वरिष्ठता को दरकिनार करते हुए एक ही स्कूल में कार्यरत शिक्षकों के बीच भेदभाव करते हुए केवल एक विभाग विशेष के शिक्षकों को संस्था का प्रभार दिए जाने से आपसी मनमुटाव की स्थिति फिर से पैदा हो गई है। इसका शैक्षणिक गुणवत्ता पर विपरीत असर पड़ेगा। संघ ने विभागीय भेदभावपूर्ण नीति को अविलम्ब समाप्त करने की मांग किया है।