रायगढ़. जिले के 10 वीं बोर्ड के परिणाम हैरान करने वाले रहे हैं। खासकर सरकारी
स्कूलों की स्थिति पर गौर करें तो यहां अध्यापन की व्यवस्था रेंगती सी
दिखाई पड़ती है।
शहर के तीन प्रमुख सरकारी स्कूलों का परिणाम 50 प्रतिशत के अंाकड़े को भी छू नहीं सका है। इसके बाद भी हद तब हो जाती है जब विभाग यह कहता है कि पिछले साल की तुलना में सुधार हुआ है।
जब इस सुधार के आंकड़े पर गौर करें तो जिस पांच प्रतिशत का सुधार का दावा किया जा रहा है उसमें निजी स्कूल भी शामिल हैं और परिणमों का आंकड़ा भी इस बात की गवाही दे रहा है,
फिर भी सुधार पर चिंतन की बजाए पीठ थपथपाई जा रही है।माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा घोषित दसवीं के परिणाम में जिले का स्थान प्रदेश में 13 वें स्थान पर है।
टॉप टेन क ी सूची में भी देखा जाए तो जिले से इकलौते छात्र का नाम आया है वो भी प्रायवेट स्कूल का है। परिणाम आने के बाद जब
जिले की शिक्षा व्यवस्था की पोल खुली तो विभाग और जिला प्रशासन कुल परिणाम को लेकर अपना पीठ थपथपा रहा है, लेकिन इस तथ्य को छुपाने की कोशिश हो रही है कि कुल परिणाम में प्रायवेट स्कूल भी शामिल हैं।
वहीं दसवीं के खराब परिणाम आने के बाद अब बारहवीं में अच्छे परिणाम की उम्मीद की जा रही है। सरकारी और प्रायवेट स्कूल का समीक्षा किए बगैर ही विभाग और प्रशासन ने अपना पीठ
खुद ही थप-थपाना शुरू कर दिया है। सिर्फ रायगढ़ ब्लाक की ही बात की जाए तो 80 प्रतिशत से अधिक परिणाम वाले 9 स्कूल हैं जिसमें 6 स्कूल प्रायवेट है मात्र 3 स्कूल ही सरकारी हैं।
इसी प्रकार 60 प्रतिशत से कम परिणाम वाले स्कूलों में 14 सरकारी स्कूल हैं जबकि इसमें मात्र 8 प्रायवेट स्कूल हैं।
61 से 79 प्रतिशत वाले परिणाम में गौर किया जाए तो 7 स्कूल प्रायवेट हैं और 15 सरकारी हैं। कुलमिलाकर रायगढ़ ब्लाक में 50 प्रतिशत से कुछ अधिक स्कूलों का ही परिणाम सुधरा है
बाकी अपने पुराने स्थिति में ही है। सूत्र बताते हैं कि इसीप्रकार जिले के परिणाम पर स्कूलवार गौर किया जाए तो सरकारी स्कूल ही आगे हैं।
50 प्रतिशत से अधिक बच्चे हुए फेल
सरकारी स्कूल में शहर के सबसे बड़े स्कूल के रूप में नटवर स्कूल को माना जाता है। यहां इस बार 10 वीं में 521 बच्चों ने परीक्षा दिया था जिसमें 300 छात्र फेल हो गए।
19 छात्र सप्ली आ गए हैं। शहर में नटवर स्कूल के अलावा नगर पालिका स्कूल का परिणाम 24.79 प्रतिशत, चक्रधर नगर स्कूल का 44 प्रतिशत और शासकीय कन्या विद्यालय का 37 प्रतिशत परिणाम रहा है।
सीडी चली नहीं और योजना बता रहे सफल
कठिन विषयों को लेकर पॉयलट प्रोजेक्ट के तहत जिले के सरकारी स्कूलों में विषय विशेषज्ञों द्वारा तैयार की गई सीडी स्कूलों में वितरित की गई थी।
अब यदि हालात पर गौर फरमाएं तो इस सीडी को देखने के लिए स्कूलों में न तो टीवी है न ही लैपटॉप फिर भी विभाग को बोर्ड के परिणाम में इसका सहयोग मिला है ऐसी बात कही जा रही है।
एक का भी रिजल्ट शत प्रतिशत नहीं
यह माना जाता है कि मुख्यालय में उच्च अधिकारियों के रहने का लाभ संबंधितों को मिलता है। लेकिन मुख्यालय में संचालित स्कूलों का परिणाम ही खराब है।
यही नहीं रायगढ़ ब्लाक की बात की जाए तो इस ब्लाक में एक भी सरकारी स्कूलों का परिणाम शत प्रतिशत नहीं गया है।
पिछले साल जिले से चार स्कूलों का परिणाम शत प्रतिशत था जिसमें रायगढ़ ब्लाक गायब था।
शिक्षकों की कमी भी है प्रमुख कारण
शिक्षाविद अबरार हुसैन के अनुसार जिले के सरकारी स्कूलों का परिणाम कुछ प्रतिशत सुधरा है। बाकी टॉप टेन व टॉप स्कूलों में देखा जाए तो प्रायवेट स्कूलों ने सरकारी को पीछे छोड़ा है।
इसके पीछे प्रमुख कारण जिले के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की संख्या में कमी है। एक शिक्षक को कई विषयों का अध्यन कराना पड़ रहा है।
शिक्षकों की भर्ती होने चाहिए। वर्तमान में जिले में ही 1 हजार से अधिक टेट पास व बीएड, व डीएड पास लोग है जिनको अवसर नहीं मिल पा रहा है।
शहर के तीन प्रमुख सरकारी स्कूलों का परिणाम 50 प्रतिशत के अंाकड़े को भी छू नहीं सका है। इसके बाद भी हद तब हो जाती है जब विभाग यह कहता है कि पिछले साल की तुलना में सुधार हुआ है।
जब इस सुधार के आंकड़े पर गौर करें तो जिस पांच प्रतिशत का सुधार का दावा किया जा रहा है उसमें निजी स्कूल भी शामिल हैं और परिणमों का आंकड़ा भी इस बात की गवाही दे रहा है,
फिर भी सुधार पर चिंतन की बजाए पीठ थपथपाई जा रही है।माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा घोषित दसवीं के परिणाम में जिले का स्थान प्रदेश में 13 वें स्थान पर है।
टॉप टेन क ी सूची में भी देखा जाए तो जिले से इकलौते छात्र का नाम आया है वो भी प्रायवेट स्कूल का है। परिणाम आने के बाद जब
जिले की शिक्षा व्यवस्था की पोल खुली तो विभाग और जिला प्रशासन कुल परिणाम को लेकर अपना पीठ थपथपा रहा है, लेकिन इस तथ्य को छुपाने की कोशिश हो रही है कि कुल परिणाम में प्रायवेट स्कूल भी शामिल हैं।
वहीं दसवीं के खराब परिणाम आने के बाद अब बारहवीं में अच्छे परिणाम की उम्मीद की जा रही है। सरकारी और प्रायवेट स्कूल का समीक्षा किए बगैर ही विभाग और प्रशासन ने अपना पीठ
खुद ही थप-थपाना शुरू कर दिया है। सिर्फ रायगढ़ ब्लाक की ही बात की जाए तो 80 प्रतिशत से अधिक परिणाम वाले 9 स्कूल हैं जिसमें 6 स्कूल प्रायवेट है मात्र 3 स्कूल ही सरकारी हैं।
इसी प्रकार 60 प्रतिशत से कम परिणाम वाले स्कूलों में 14 सरकारी स्कूल हैं जबकि इसमें मात्र 8 प्रायवेट स्कूल हैं।
61 से 79 प्रतिशत वाले परिणाम में गौर किया जाए तो 7 स्कूल प्रायवेट हैं और 15 सरकारी हैं। कुलमिलाकर रायगढ़ ब्लाक में 50 प्रतिशत से कुछ अधिक स्कूलों का ही परिणाम सुधरा है
बाकी अपने पुराने स्थिति में ही है। सूत्र बताते हैं कि इसीप्रकार जिले के परिणाम पर स्कूलवार गौर किया जाए तो सरकारी स्कूल ही आगे हैं।
50 प्रतिशत से अधिक बच्चे हुए फेल
सरकारी स्कूल में शहर के सबसे बड़े स्कूल के रूप में नटवर स्कूल को माना जाता है। यहां इस बार 10 वीं में 521 बच्चों ने परीक्षा दिया था जिसमें 300 छात्र फेल हो गए।
19 छात्र सप्ली आ गए हैं। शहर में नटवर स्कूल के अलावा नगर पालिका स्कूल का परिणाम 24.79 प्रतिशत, चक्रधर नगर स्कूल का 44 प्रतिशत और शासकीय कन्या विद्यालय का 37 प्रतिशत परिणाम रहा है।
सीडी चली नहीं और योजना बता रहे सफल
कठिन विषयों को लेकर पॉयलट प्रोजेक्ट के तहत जिले के सरकारी स्कूलों में विषय विशेषज्ञों द्वारा तैयार की गई सीडी स्कूलों में वितरित की गई थी।
अब यदि हालात पर गौर फरमाएं तो इस सीडी को देखने के लिए स्कूलों में न तो टीवी है न ही लैपटॉप फिर भी विभाग को बोर्ड के परिणाम में इसका सहयोग मिला है ऐसी बात कही जा रही है।
एक का भी रिजल्ट शत प्रतिशत नहीं
यह माना जाता है कि मुख्यालय में उच्च अधिकारियों के रहने का लाभ संबंधितों को मिलता है। लेकिन मुख्यालय में संचालित स्कूलों का परिणाम ही खराब है।
यही नहीं रायगढ़ ब्लाक की बात की जाए तो इस ब्लाक में एक भी सरकारी स्कूलों का परिणाम शत प्रतिशत नहीं गया है।
पिछले साल जिले से चार स्कूलों का परिणाम शत प्रतिशत था जिसमें रायगढ़ ब्लाक गायब था।
शिक्षकों की कमी भी है प्रमुख कारण
शिक्षाविद अबरार हुसैन के अनुसार जिले के सरकारी स्कूलों का परिणाम कुछ प्रतिशत सुधरा है। बाकी टॉप टेन व टॉप स्कूलों में देखा जाए तो प्रायवेट स्कूलों ने सरकारी को पीछे छोड़ा है।
इसके पीछे प्रमुख कारण जिले के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की संख्या में कमी है। एक शिक्षक को कई विषयों का अध्यन कराना पड़ रहा है।
शिक्षकों की भर्ती होने चाहिए। वर्तमान में जिले में ही 1 हजार से अधिक टेट पास व बीएड, व डीएड पास लोग है जिनको अवसर नहीं मिल पा रहा है।