रायपुर। नईदुनिया प्रतिनिधि प्रदेश
में शिक्षकों के करीब 25 हजार पद खाली हैं। विज्ञान, वाणिज्य, गणित और
अंगे्रजी शिक्षकों के मामले में तो स्थिति और भी खराब है। प्रदेश के करीब 7
हजार प्राथमिक स्कूलों में प्रधानपाठक नहीं हैं। बस्तर और सरगुजा के आठ
विकासखंडों में विषय विशेषज्ञों की आउटसोर्सिंग के बाद भी 4457 पद खाली
हैं। प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था ध्वस्त होने की कगार पर बताई जा रही है।
मंगलवार को राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में सामान्य प्रशासन विभाग ने प्रस्ताव दिया था कि मैदानी इलाकों में विषय शिक्षकों की नियमित नियुक्ति की जाए। मुद्दा उठा तो मंत्रिपरिषद के अधिकांश सदस्य प्रदेश में चरमराती शिक्षा व्यवस्था पर नाराज हो गए। इस पर लंबी बहस चली और आखिरकार यह निर्णय हुआ कि अगली बैठक में शिक्षा विभाग इस मामले में प्रजेंटेशन प्रस्तुत करे। अब शिक्षा विभाग प्रजेंटेशन बना रहा है, हालांकि शिक्षकों की नियुक्ति कैसे होगी इस पर अब भी सवाल बना हुआ है। वित्त विभाग ने नई नियुक्तियों पर प्रतिबंध लगा रखा है। हालांकि विभाग के अफसर कह रहे कोई न कोई रास्ता निकाला जाएगा।
शिक्षा विभाग ने पिछले साल बस्तर और सरगुजा में विज्ञान, गणित, वाणिज्य, अंग्रेजी आदि विषयों के विशेषज्ञ शिक्षकों की नियुक्ति के लिए दो प्लेसमेंट एजेंसियों को ठेका दिया था। काल मी सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड रायपुर और वर्क फोर्स प्राइम वन भोपाल के माध्यम से करीब 17 सौ शिक्षकों की नियुक्ति की गई। आउटसोर्सिंग से आए इन शिक्षकों को विद्या मितान नाम दिया गया है। इन्हें करीब 35 हजार मानदेय दिया जाता है। दोनों प्लेसमेंट एजेंसियों की नियुक्ति ग्लोबल टेंडर के जरिए की गई थी। इस साल इनका टेंडर एक साल के लिए बढ़ाया गया है। कैबिनेट की बैठक में प्रस्ताव आया था कि रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर व राजनांदगांव के आदिवासी बहुल 21 विकासखंडों में बस्तर और सरगुजा की तरह आउटसोर्सिंग से 1882 शिक्षकों की पदस्थापना की जाए। अधिकांश मंत्रियों ने इस पर कहा कि खाली आदिवासी विकासखंडों में ही क्यों, बाकी जगहों पर भी व्यवस्था की जाए। शिक्षा विभाग के अफसरों का कहना है कि प्रदेश के दूसरे जिलों में भी शिक्षकों की नियुक्ति इन एजेंसियों के जरिए की जा रही है। महासमुंद में दो दिन पहले ही कुछ नियुक्तियां भी की गई हैं। बैठक में यह भी कहा गया कि मैदानी इलाकों में तो शिक्षक मिल रहे तो फिर नियमित नियुक्ति पर क्यों न विचार किया जाए। प्रदेश में प्रधानपाठक और लेक्चरर के 8 हजार पद खाली हैं।
कला संकाय के शिक्षक ज्यादा
हाल ही में उच्च श्रेणी नियमित शिक्षकों का प्रमोशन हुआ है। इनके 2 हजार पदों की काउंसिलिंग चल रही है। दिक्कत यह है कि इनमें 90 फीसदी से ज्यादा कला संकाय के शिक्षक हैं। विज्ञान के शिक्षकों की कमी प्रमोशन के बाद भी बनी रहेगी। प्रदेश में प्राथमिक शालाओं की संख्या लगभग 37 हजार है। मिडिल स्कूल 17 हजार और हाई तथा हायर सेकेंडरी स्कूलों की संख्या करीब 45 सौ है। अधिकांश स्कूलों में प्रभारी शिक्षकों को प्राचार्य तथा प्रधान पाठक का दायित्व दिया गया है। वर्तमान में 22 फीसदी नियमित शिक्षक ही बचे हैं। आने वाले सालों में पूरी व्यवस्था शिक्षाकर्मियों के हवाले हो जाएगी।
दस साल तक नहीं मिलेंगे विज्ञान के शिक्षक-
जानकारों का कहना है कि हमारे प्रदेश की नीति ऐसी है जिससे शिक्षकों की कमी आने वाले 10 सालों में भी बनी रहेगी। यहां मनमानी निजी इंजीनियरिंग कालेज खोले गए जिससे बीएससी और एमएससी करने वाले छात्रों की कमी हो गई। शिक्षक कहां से मिलेंगे। निजी विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले छात्रों की दक्षता पर भी सवाल उठ रहे हैं।
वर्शन-
शिक्षा विभाग में शिक्षकों सहित करीब 50 हजार पद रिक्त हैं। विशेषज्ञ शिक्षकों की भी कमी है। सरकारी स्कूलों का परिणाम बेहतर रहा है। कमी सुधारने की कोशिश की जा रही है।
-केदार कश्यप, स्कूल शिक्षा मंत्री छत्तीसगढ़
24 अनिल 01
7.13
मंगलवार को राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में सामान्य प्रशासन विभाग ने प्रस्ताव दिया था कि मैदानी इलाकों में विषय शिक्षकों की नियमित नियुक्ति की जाए। मुद्दा उठा तो मंत्रिपरिषद के अधिकांश सदस्य प्रदेश में चरमराती शिक्षा व्यवस्था पर नाराज हो गए। इस पर लंबी बहस चली और आखिरकार यह निर्णय हुआ कि अगली बैठक में शिक्षा विभाग इस मामले में प्रजेंटेशन प्रस्तुत करे। अब शिक्षा विभाग प्रजेंटेशन बना रहा है, हालांकि शिक्षकों की नियुक्ति कैसे होगी इस पर अब भी सवाल बना हुआ है। वित्त विभाग ने नई नियुक्तियों पर प्रतिबंध लगा रखा है। हालांकि विभाग के अफसर कह रहे कोई न कोई रास्ता निकाला जाएगा।
शिक्षा विभाग ने पिछले साल बस्तर और सरगुजा में विज्ञान, गणित, वाणिज्य, अंग्रेजी आदि विषयों के विशेषज्ञ शिक्षकों की नियुक्ति के लिए दो प्लेसमेंट एजेंसियों को ठेका दिया था। काल मी सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड रायपुर और वर्क फोर्स प्राइम वन भोपाल के माध्यम से करीब 17 सौ शिक्षकों की नियुक्ति की गई। आउटसोर्सिंग से आए इन शिक्षकों को विद्या मितान नाम दिया गया है। इन्हें करीब 35 हजार मानदेय दिया जाता है। दोनों प्लेसमेंट एजेंसियों की नियुक्ति ग्लोबल टेंडर के जरिए की गई थी। इस साल इनका टेंडर एक साल के लिए बढ़ाया गया है। कैबिनेट की बैठक में प्रस्ताव आया था कि रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर व राजनांदगांव के आदिवासी बहुल 21 विकासखंडों में बस्तर और सरगुजा की तरह आउटसोर्सिंग से 1882 शिक्षकों की पदस्थापना की जाए। अधिकांश मंत्रियों ने इस पर कहा कि खाली आदिवासी विकासखंडों में ही क्यों, बाकी जगहों पर भी व्यवस्था की जाए। शिक्षा विभाग के अफसरों का कहना है कि प्रदेश के दूसरे जिलों में भी शिक्षकों की नियुक्ति इन एजेंसियों के जरिए की जा रही है। महासमुंद में दो दिन पहले ही कुछ नियुक्तियां भी की गई हैं। बैठक में यह भी कहा गया कि मैदानी इलाकों में तो शिक्षक मिल रहे तो फिर नियमित नियुक्ति पर क्यों न विचार किया जाए। प्रदेश में प्रधानपाठक और लेक्चरर के 8 हजार पद खाली हैं।
कला संकाय के शिक्षक ज्यादा
हाल ही में उच्च श्रेणी नियमित शिक्षकों का प्रमोशन हुआ है। इनके 2 हजार पदों की काउंसिलिंग चल रही है। दिक्कत यह है कि इनमें 90 फीसदी से ज्यादा कला संकाय के शिक्षक हैं। विज्ञान के शिक्षकों की कमी प्रमोशन के बाद भी बनी रहेगी। प्रदेश में प्राथमिक शालाओं की संख्या लगभग 37 हजार है। मिडिल स्कूल 17 हजार और हाई तथा हायर सेकेंडरी स्कूलों की संख्या करीब 45 सौ है। अधिकांश स्कूलों में प्रभारी शिक्षकों को प्राचार्य तथा प्रधान पाठक का दायित्व दिया गया है। वर्तमान में 22 फीसदी नियमित शिक्षक ही बचे हैं। आने वाले सालों में पूरी व्यवस्था शिक्षाकर्मियों के हवाले हो जाएगी।
दस साल तक नहीं मिलेंगे विज्ञान के शिक्षक-
जानकारों का कहना है कि हमारे प्रदेश की नीति ऐसी है जिससे शिक्षकों की कमी आने वाले 10 सालों में भी बनी रहेगी। यहां मनमानी निजी इंजीनियरिंग कालेज खोले गए जिससे बीएससी और एमएससी करने वाले छात्रों की कमी हो गई। शिक्षक कहां से मिलेंगे। निजी विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले छात्रों की दक्षता पर भी सवाल उठ रहे हैं।
वर्शन-
शिक्षा विभाग में शिक्षकों सहित करीब 50 हजार पद रिक्त हैं। विशेषज्ञ शिक्षकों की भी कमी है। सरकारी स्कूलों का परिणाम बेहतर रहा है। कमी सुधारने की कोशिश की जा रही है।
-केदार कश्यप, स्कूल शिक्षा मंत्री छत्तीसगढ़
24 अनिल 01
7.13