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Govt Jobs : Opening

toilet में होती है बच्चों की पढ़ाई, यहां है आजाद भारत का अनोखा स्कूल

जबलपुर। भानतलैया के शासकीय शाला के अंदर नगर निगम के जिम्मेदारों ने सार्वजनिक शौचालय बना दिया  है। इसको लेकर शिक्षा विभाग और स्कूल प्रबंधन ने विरोध भी किया, लेकिन सारी शिकायतों को दरकिनार कर
निगम ने मनमानी करके अध्ययन वाली जगह पर सार्वजनिक इस्तेमाल के लिए टॉयलेट बना दिए। आलम यह है कि शौचालय की दुर्गंध की वजह से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है।

भानतलैया स्थित शासकीय शाला में प्राथमिक व माध्यमिक शाला एक साथ संचालित हो रही है। इस शाला परिसर में क्षेत्रीय लोगों के लिए नगर निगम ने सार्वजनिक शौचालय बना दिया है, जिससे स्कूल के अंदर लोगों के साथ ही नशेडि़यों का भी आना-जाना है। स्कूल प्रबंधन के मुताबिक इससे बच्चों पर बुरा असर पड़ रहा है। इस स्थिति को देखते हुए कुछ अभिभावकों ने अपने बच्चों को नाम स्कूल से कटाकर अन्य स्कूल में दाखिला करा दिया है।
तीन साल पहले बना शौचालय
स्कूल परिसर में पांच शौचालय बनाए गए हैं। बताया जाता है कि ये शौचालय तीन वर्ष पहले बनाए गए थे। जिस समय इन शौचालयों का नगर निगम द्वारा निर्माण कराया जा रहा था उस दौरान स्कूल के शिक्षकों ने आपत्ति उठाई थी, लेकिन ठेकेदार एवं निगम प्रशासन के जिम्मेदारों ने टेंडर हो जाने की बात कहकर शिकायत को दरकिनार कर दिया।
पहुंच रहे नशेड़ी
स्कूल की एक शिक्षिका ने बताया कि क्षेत्र में नशा करने वाले एकांत की जगह तलाशते हैं। सार्वजनिक शौचालय की आड़ लेकर यहां नशा करने वाले पहुंच रहे हैं। शाम के बाद पूरे परिसर में नशेडि़यों का जमघट लग जाता है।
दुर्गंध से बेहाल
शासकीय शाला में बने शौचालय की दुर्दशा हो गई है। शौचालय की साफ-सफाई नहीं की जाती। इससे परिसर में दुर्गंध से बच्चे-शिक्षक बेहाल हो गए हैं। परिसर में शौचालय से संक्रमण का खतरा है।
बंद नहीं होता स्कूल का गेट
स्कूल के द्वार पर लोहे का दरवाजा लगा हुआ है। यह दरवाजा २४ घंटे खुला रहता है। दरअसल शौचालय होने के कारण स्कूल प्रबंधन चाहकर भी दरवाजा बंद नहीं कर पाता। इससे रात के समय शाला का प्रांगण का इस्तेमाल अनैतिक कार्यो के लिए किया जा रहा है, स्कूल में चोरी होने की संभावना भी बनी रहती है।

नगर निगम ने मनमानी करते हुए यहां सार्वजनिक शौचालय बनाया है। स्कूल प्रबंधन ने अधिकारियों से शौचालय का निर्माण बंद कराने कहा था, लेकिन किसी ने भी इसे गंभीरता से नहीं लिया। जिसका परिणाम है कि बच्चों को समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। अवांछित तत्व स्कूल के अंदर आ रहे हैं।
- डीके मेहरा, एचएम, भानतलैया शासकीय स्कूल 

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