शासन की लगातार हठधर्मिता और वादाखिलाफी के खिलाफ और अपने अधिकार, हक व सम्मान के समर्थन में सोमवार को सरगुजा जिले के समस्त शिक्षक संवर्ग ने हड़ताल पर रहकर विकासखण्ड मुख्यालयों में रैली और धरना-प्रदर्शन कर अपनी आवाज बुलंद की.
छत्तीसगढ़ के सभी 146 विकासखंडों में एक साथ यह आंदोलन किया गया. सरगुजा जिले के 1330 प्रायमरी स्कूल, 565 मिडिल स्कूल, 155 हाई स्कूल और हायर सेकंडरी स्कूल के लगभग 5600 शिक्षक पंचायत संवर्ग हड़ताल में शामिल हुए. इससे जिले के 90 प्रतिशत स्कूलों में तालाबन्दी की स्थिति रही.
आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ के प्रमुख 5 संघों ने एक मोर्चा छत्तीसगढ़ शिक्षक पंचायत नगरी निकाय मोर्चा बनाया है, जिसके बैनर तले शिक्षक आंदोलनरत हैं. इस धरना प्रदर्शन व रैली के माध्यम से उन्होंने अपनी नौ सूत्रीय मांग जैसे संविलियन, मूल पदों पर शासकीयकरण, क्रमोन्नति, सहायक शिक्षक पंचायत की वेतन विसंगति, स्पष्ट स्थानांतरण नीति आदि को लेकर अनुभागीय दंडाधिकारी, तहसीलदार के माध्यम से मुख्यमंत्री सहित समस्त विभागीय मंत्रियों व सचिवों के नाम से ज्ञापन सौंपा.
इस बार शिक्षक संवर्ग ने 'आरपार की लड़ाई' और 'अभी नहीं तो कभी नहीं' के लिए कमर कस ली है. मोर्चा के जिला संचालक सर्वजीत पाठक ने कहा कि हम 20 साल से अपनी मांगों के लिए संघर्ष कर रहे हैं. अब हम सेवानिवृत्ति के कगार पर पहुँच गए हैं, पर हमारी मांगों पर ठोस पहल नहीं हुई है. 3 बार से पंचवर्षीय सत्ता सुख भोगने वाली वर्तमान सरकार में इच्छाशक्ति की कमी स्पष्ट नजर आती है. अगर शासन 15 नवम्बर तक हमारी नौ सूत्रीय मांगों पर सकारात्मक निर्णय नहीं लेती तो 20 नवम्बर से हम अनिश्चितकालीन आन्दोलन पर बैठ जाएंगे, जिसकी केवल और केवल जवाबदेही वर्तमान भाजपा सरकार की होगी.
छत्तीसगढ़ के सभी 146 विकासखंडों में एक साथ यह आंदोलन किया गया. सरगुजा जिले के 1330 प्रायमरी स्कूल, 565 मिडिल स्कूल, 155 हाई स्कूल और हायर सेकंडरी स्कूल के लगभग 5600 शिक्षक पंचायत संवर्ग हड़ताल में शामिल हुए. इससे जिले के 90 प्रतिशत स्कूलों में तालाबन्दी की स्थिति रही.
आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ के प्रमुख 5 संघों ने एक मोर्चा छत्तीसगढ़ शिक्षक पंचायत नगरी निकाय मोर्चा बनाया है, जिसके बैनर तले शिक्षक आंदोलनरत हैं. इस धरना प्रदर्शन व रैली के माध्यम से उन्होंने अपनी नौ सूत्रीय मांग जैसे संविलियन, मूल पदों पर शासकीयकरण, क्रमोन्नति, सहायक शिक्षक पंचायत की वेतन विसंगति, स्पष्ट स्थानांतरण नीति आदि को लेकर अनुभागीय दंडाधिकारी, तहसीलदार के माध्यम से मुख्यमंत्री सहित समस्त विभागीय मंत्रियों व सचिवों के नाम से ज्ञापन सौंपा.
इस बार शिक्षक संवर्ग ने 'आरपार की लड़ाई' और 'अभी नहीं तो कभी नहीं' के लिए कमर कस ली है. मोर्चा के जिला संचालक सर्वजीत पाठक ने कहा कि हम 20 साल से अपनी मांगों के लिए संघर्ष कर रहे हैं. अब हम सेवानिवृत्ति के कगार पर पहुँच गए हैं, पर हमारी मांगों पर ठोस पहल नहीं हुई है. 3 बार से पंचवर्षीय सत्ता सुख भोगने वाली वर्तमान सरकार में इच्छाशक्ति की कमी स्पष्ट नजर आती है. अगर शासन 15 नवम्बर तक हमारी नौ सूत्रीय मांगों पर सकारात्मक निर्णय नहीं लेती तो 20 नवम्बर से हम अनिश्चितकालीन आन्दोलन पर बैठ जाएंगे, जिसकी केवल और केवल जवाबदेही वर्तमान भाजपा सरकार की होगी.