भास्कर न्यूज | जांजगीर-चांपा शिक्षकों को पढ़ाने का तरीका सिखाने राज्य शासन ने द टीचर एप लांच किया
है। इसे अपने स्मार्ट फोन पर डाउनलोड कर शिक्षक अध्यापन की विधि सीख
सकेंगे।
एप सभी शिक्षकों के लिए अनिवार्य किया गया है, ताकी समझ की कमी के चलते बच्चे विषयों से चूक न जाएं। इसी एप से बायो मैट्रिक हाजिरी भी शिक्षक भरेंगे।
जिले में संकुल स्तरीय बैठक में शिक्षकों को टीचर एप की जानकारी दी जा रही है। सरकारी स्कूलों में शिक्षा के स्तर को बढ़ाने शिक्षा विभाग ने द टीचर एप की शुरुआत की है। विभाग के अघिकारियों का दावा है कि इस एप में अक्षर ज्ञान से लेकर गणित व विज्ञान के फार्मूलों को भी कक्षा वार शामिल किया गया है। जिससे किसी भी कक्षा को पढ़ाने वाले शिक्षक एप की मदद से अपने अध्यापन का ढंग बदल सकते हैं। खासकर प्राइमरी के बच्चों को पढ़ाने के साथ-साथ अन्य गतिविधियों को सिखाने के लिए भी एप में हर तरह की सुविधा दी गई है। एनसीईआरटी ने इसे सबसे पहले अलग-अलग राज्यों के लिए अनिवार्य किया था। शिक्षा गुणवत्ता अभियान चलाने के बावजूद कई प्राइमरी व मिडिल स्कूल सी व डी ग्रेड में शामिल हो रहे हैं। इन स्कूलों के स्तर को सुधारने के लिए भी अभियान चलाया जा रहा है। इसके अलावा कुछ ट्रेनिंग कैंप भी होंगे। ऐसे स्कूलों में एप के अलावा पहले भी प्रोजेक्टर से कार्टून फिल्म से पढ़ाई की तैयारी की गई है। डीईओ जीपी भास्कर ने बताया कि ट्रेनिंग के माध्यम से शिक्षकों को एप की जानकारी दी जा रही है। नवाचार की दिशा में यह एप सभी शिक्षकों के लिए अनिवार्य है। इसे डाउनलोड करते ही इसकी जानकारी संकुल व ब्लाक मुख्यालय में देनी होगी। इसी आधार पर एप में टीचरों को कोड भी जारी किया जाएगा। इसी कोड से वे अपनी हाजिरी भरेंगे। हालांकि स्थानीय तौर पर चलने वाले मैनुअल अटेंडेंस भी जारी रहेंगे।
एप में हाई स्कूल व प्राइमरी को सबसे अधिक फोकस किया गया है। इसमें प्राइमरी के बच्चों को क्लास के बाहर खेल-खेल में सिखाने की विधि शामिल की गई है। साथ ही हाई स्कूल के बच्चों को आसानी से गणित व विज्ञान सिखाने के लिए इसमें करीब 30 प्रकार के फार्मूले तय किए गए हैं। जिले में कई शिक्षकों ने इसे डाउनलोड कर नवाचार सीख रहे हैं। तिलई संकुल समन्वयक तिलई अनुभव तिवारी ने बताया कि नवाचार की दिशा में टीचर एप काफी मददगार साबित होगा। संकुल के 60 प्रतिशत शिक्षक टीचर एप को डाउनलोड कर चुके हैं। सभी शिक्षकों को इसकी जानकारी देकर डाउनलोड कराया जा रहा है। इससे शिक्षक खेल-खेल में पढ़ाई के तौर-तरीके सीख रहे हैं और बच्चों को भी सहज, सरल भाषा में अध्यापन करा सकते हैं।
एप सभी शिक्षकों के लिए अनिवार्य किया गया है, ताकी समझ की कमी के चलते बच्चे विषयों से चूक न जाएं। इसी एप से बायो मैट्रिक हाजिरी भी शिक्षक भरेंगे।
जिले में संकुल स्तरीय बैठक में शिक्षकों को टीचर एप की जानकारी दी जा रही है। सरकारी स्कूलों में शिक्षा के स्तर को बढ़ाने शिक्षा विभाग ने द टीचर एप की शुरुआत की है। विभाग के अघिकारियों का दावा है कि इस एप में अक्षर ज्ञान से लेकर गणित व विज्ञान के फार्मूलों को भी कक्षा वार शामिल किया गया है। जिससे किसी भी कक्षा को पढ़ाने वाले शिक्षक एप की मदद से अपने अध्यापन का ढंग बदल सकते हैं। खासकर प्राइमरी के बच्चों को पढ़ाने के साथ-साथ अन्य गतिविधियों को सिखाने के लिए भी एप में हर तरह की सुविधा दी गई है। एनसीईआरटी ने इसे सबसे पहले अलग-अलग राज्यों के लिए अनिवार्य किया था। शिक्षा गुणवत्ता अभियान चलाने के बावजूद कई प्राइमरी व मिडिल स्कूल सी व डी ग्रेड में शामिल हो रहे हैं। इन स्कूलों के स्तर को सुधारने के लिए भी अभियान चलाया जा रहा है। इसके अलावा कुछ ट्रेनिंग कैंप भी होंगे। ऐसे स्कूलों में एप के अलावा पहले भी प्रोजेक्टर से कार्टून फिल्म से पढ़ाई की तैयारी की गई है। डीईओ जीपी भास्कर ने बताया कि ट्रेनिंग के माध्यम से शिक्षकों को एप की जानकारी दी जा रही है। नवाचार की दिशा में यह एप सभी शिक्षकों के लिए अनिवार्य है। इसे डाउनलोड करते ही इसकी जानकारी संकुल व ब्लाक मुख्यालय में देनी होगी। इसी आधार पर एप में टीचरों को कोड भी जारी किया जाएगा। इसी कोड से वे अपनी हाजिरी भरेंगे। हालांकि स्थानीय तौर पर चलने वाले मैनुअल अटेंडेंस भी जारी रहेंगे।
एप में हाई स्कूल व प्राइमरी को सबसे अधिक फोकस किया गया है। इसमें प्राइमरी के बच्चों को क्लास के बाहर खेल-खेल में सिखाने की विधि शामिल की गई है। साथ ही हाई स्कूल के बच्चों को आसानी से गणित व विज्ञान सिखाने के लिए इसमें करीब 30 प्रकार के फार्मूले तय किए गए हैं। जिले में कई शिक्षकों ने इसे डाउनलोड कर नवाचार सीख रहे हैं। तिलई संकुल समन्वयक तिलई अनुभव तिवारी ने बताया कि नवाचार की दिशा में टीचर एप काफी मददगार साबित होगा। संकुल के 60 प्रतिशत शिक्षक टीचर एप को डाउनलोड कर चुके हैं। सभी शिक्षकों को इसकी जानकारी देकर डाउनलोड कराया जा रहा है। इससे शिक्षक खेल-खेल में पढ़ाई के तौर-तरीके सीख रहे हैं और बच्चों को भी सहज, सरल भाषा में अध्यापन करा सकते हैं।