दंतेवाड़ा। शिक्षाकर्मियों का आंदोलन समाप्त होने के
दूसरे दिन भी स्कूलों में पढ़ाई लय पर नहीं आई है। पिछले 15 दिनों की तरह
बच्चे अपने धुन में रहे। स्कूलों में सभी शिक्षाकर्मियों की मौजूदगी नहीं
रही। कुछ आवेदन छोड़ दिया तो कुछ उपस्थिति देकर लौट गए। बुधवार को अनेक
स्कूल एक ही शिक्षक के भरोसे चला।
नि:शर्त आंदोलन समाप्त करने के बाद शिक्षाकर्मियों ने दफ्तर और स्कूलों में ज्वाइनिंग दे दी है। लेकिन पढ़ाई व्यवस्था अभी भी बेपटरी है। बुधवार को स्कूलों में बच्चे पिछले 15 दिनों की तरह ही समय बिताया। मध्यान्ह भोजन और खेलकूद के बाद कक्षाओं में जरूर बैठे पर पढ़ाई औपचारिकता रही।
ज्वाइनिंग के बाद शिक्षाकर्मी पढ़ाने में रूचि नहीं दिखा रहे थे। अनेक स्कूलों में शिक्षाकर्मी पहुंचने के बाद रजिस्टर मेनटेंस और दीगर कार्यों समय बिताया। जहां दो या इससे अधिक शिक्षाकर्मी या शिक्षक पदस्थ हैं। वहां से उनकी गैरमौजूदगी नजर आईं। खासकर महिला शिक्षाकर्मियों की।
वे ज्वाइनिंग देने के बाद सहयोगी के भरोसे स्कूल छोड़ घर लौट आई या फिर एक-दो दिन का अवकाश पत्र थमा दिया। यह स्थिति नगर और आसपास के स्कूलों में आसानी से नजर आया। नगर से लगे पातररास प्राथमिक शाला की बात करें तो यहां एचएम अशोक विश्वकर्मा पांच कक्षाओं के 14 बच्चों को एक ही कक्ष में पढ़ाते मिले।
कुल 17 बच्चों में से बुधवार को 14 की उपस्थिति रही। बचेली रोड में स्थित यह विद्यालय मॉडल स्कूल के रुप में भी जाना जाता है। एचएम विश्वकर्मा ने बताया कि शिक्षाकर्मियों के हड़ताल के चलते वे 15 दिनों से इसी तरह क्लास ले रहे हैं। स्कूल में उनके सहयोग के लिए एक शिक्षाकर्मी रानी प्रधान भी पदस्थ हैं, जो आज अवकाश का आवेदन पत्र दिया है। बच्चों ने बताया कि मेडम मंगलवार को भी स्कूल नहीं पहुंची थी।
इसी तरह से कारली, बालूद, मसेनार के स्कूलों में भी देखने को मिला। जहां शिक्षाकर्मी नदारत मिले। नगर और करीबी सड़क किनारे स्थित स्कूलों में बुधवार को यह हाल रहा तो दूरस्थ क्षेत्रों के स्कूलों की स्थिति क्या होगी, यह सहज अंदाजा लगाया जा सकता है। स्कूलों में मौजूद शिक्षाकर्मियों को अब अर्द्धवार्षिक परीक्षा की तैयारी और परिणाम की चिंता भी सता रही है। मुख्यालय से मिल रहे नए दिशा-निर्देशों के पालन के लिए भी वे एक-दूसरे से मार्गदर्शन लेने में उलझे हुए हैं।
नि:शर्त आंदोलन समाप्त करने के बाद शिक्षाकर्मियों ने दफ्तर और स्कूलों में ज्वाइनिंग दे दी है। लेकिन पढ़ाई व्यवस्था अभी भी बेपटरी है। बुधवार को स्कूलों में बच्चे पिछले 15 दिनों की तरह ही समय बिताया। मध्यान्ह भोजन और खेलकूद के बाद कक्षाओं में जरूर बैठे पर पढ़ाई औपचारिकता रही।
ज्वाइनिंग के बाद शिक्षाकर्मी पढ़ाने में रूचि नहीं दिखा रहे थे। अनेक स्कूलों में शिक्षाकर्मी पहुंचने के बाद रजिस्टर मेनटेंस और दीगर कार्यों समय बिताया। जहां दो या इससे अधिक शिक्षाकर्मी या शिक्षक पदस्थ हैं। वहां से उनकी गैरमौजूदगी नजर आईं। खासकर महिला शिक्षाकर्मियों की।
वे ज्वाइनिंग देने के बाद सहयोगी के भरोसे स्कूल छोड़ घर लौट आई या फिर एक-दो दिन का अवकाश पत्र थमा दिया। यह स्थिति नगर और आसपास के स्कूलों में आसानी से नजर आया। नगर से लगे पातररास प्राथमिक शाला की बात करें तो यहां एचएम अशोक विश्वकर्मा पांच कक्षाओं के 14 बच्चों को एक ही कक्ष में पढ़ाते मिले।
कुल 17 बच्चों में से बुधवार को 14 की उपस्थिति रही। बचेली रोड में स्थित यह विद्यालय मॉडल स्कूल के रुप में भी जाना जाता है। एचएम विश्वकर्मा ने बताया कि शिक्षाकर्मियों के हड़ताल के चलते वे 15 दिनों से इसी तरह क्लास ले रहे हैं। स्कूल में उनके सहयोग के लिए एक शिक्षाकर्मी रानी प्रधान भी पदस्थ हैं, जो आज अवकाश का आवेदन पत्र दिया है। बच्चों ने बताया कि मेडम मंगलवार को भी स्कूल नहीं पहुंची थी।
इसी तरह से कारली, बालूद, मसेनार के स्कूलों में भी देखने को मिला। जहां शिक्षाकर्मी नदारत मिले। नगर और करीबी सड़क किनारे स्थित स्कूलों में बुधवार को यह हाल रहा तो दूरस्थ क्षेत्रों के स्कूलों की स्थिति क्या होगी, यह सहज अंदाजा लगाया जा सकता है। स्कूलों में मौजूद शिक्षाकर्मियों को अब अर्द्धवार्षिक परीक्षा की तैयारी और परिणाम की चिंता भी सता रही है। मुख्यालय से मिल रहे नए दिशा-निर्देशों के पालन के लिए भी वे एक-दूसरे से मार्गदर्शन लेने में उलझे हुए हैं।