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शिवराज के बाद क्या बदलेगा रमन का मन, पूरी होगी शिक्षाकर्मियों की सालों की मांग ?

रायपुर। मध्यप्रदेश में सीएम शिवराज ने शिक्षाकर्मियों के आंदोलन के आगे हार मानते हुए संविलियन की मांग मान ली है। ऐसे छत्तीसगढ़ में सालों से संविलियन की मांग को लेकर आंदोलन करते आ रहे शिक्षाकर्मियों की नजर अब सीएम रमन पर टिक गई है कि क्या अब वो भी संविलियन का तोहफा देंगे?


छत्तीसगढ़ में शिक्षाकर्मी सालों से शिक्षा विभाग में संविलियन की मांग करते आ रहे हैं। लेकिन सरकार के संविलियन नहीं करने पर साल 2017 में शिक्षाकर्मियों के सब्र का बांध टूटा और शिक्षाकर्मियों ने ऐसा आंदोलन किया जिसने शिक्षा व्यवस्था से लेकर सरकार तक को हिलाकर रख दिया।

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ये आंदोलन राज्य में शिक्षाकर्मियों का अब तक के बड़े आंदोलनों में से एक था। शिक्षाकर्मी लंबे समय से शिक्षा विभाग में संविलियन, समान काम समान वेतन के साथ 9 सूत्रीय मांगें करते आ रहे थे, लेकिन मांगों पर कोई आश्वासन और काम ना होता देख शिक्षाकर्मी धीरे-धीरे भड़क रहे थे।

संविलियन की मांग को लेकर शिक्षाकर्मियों के अंदोलन पर एक नजर

शिक्षक पंचायत एवं नगरीय निकाय मोर्चा ने 10 सितंबर को 2 अक्टूबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा की। शिक्षाकर्मी संघ ने रायपुर में बैठक के बाद ये निर्णय लिया। हालांकि इसे बाद में टाल दिया गया। शिक्षाकर्मी संघ ने 27 सितंबर को रायपुर में बैठक करके 20 नवंबर से हड़ताल पर जाने का ऐलान कर दिया। इस बीच शिक्षाकर्मियों और सरकार के बीच कई बार वार्ता की कोशिश हुई, लेकिन कोई भी कोशिश आंदोलन को रोकने में कामयाब नहीं हो सकी।

हड़ताल पर गए शिक्षाकर्मी
20 नवंबर को प्रदेशभर के शिक्षाकर्मी स्कूल में पढ़ाना छोड़कर सड़कों पर उतर आए और बेमियादी हड़ताल शुरु कर दी। इसी बीच रमन कैबिनेट की बैठक हुई उम्मीद जताई जा रही थी कि कैबिनेट में शिक्षाकर्मियों की मांगों पर विचार कर उन्हें माना जा सकता है और आंदोलन खत्म हो सकता है। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।

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सरकार ने उठाया सख्त कदम
आंदोलन से सरकार से लेकर शिक्षा व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हो रही थी। स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से ठप थी ऐसे में सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए शिक्षाकर्मियों के जिला स्तरीय और राज्य स्तरीय नेताओं को बर्खास्त करने का आदेश जारी कर दिया। आदेश जारी होने के बाद 40 से ज्यादा शिक्षाकर्मियों को बर्खास्त भी कर दिया गया। इनमें शिक्षाकर्मी नेता वीरेंद्र दुबे और संजय शर्मा भी शामिल थे।

4 दिसंबर की रात अचानक वापस ली हड़ताल
बड़ी संख्या में शिक्षाकर्मियों के बर्खास्त होने पर 4 दिसंबर की रात को एकाएक शिक्षाकर्मी मोर्चे ने हड़ताल वापस ले ली। इसके बाद मोर्चे के प्रतिनिधिमंडल ने सरकार से मिलकर अपनी मांगें रखी। जिस पर सरकार ने पंचायत एवं नगरीय निकाय संवर्ग के शिक्षकों के वेतन भत्ते, पदोन्नति, अनुकम्पा नियुक्ति और स्थानांतरण नीति से संबंधित मांगों पर विचार के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में समिति का गठन किया। यह समिति तीन माह के भीतर राज्य सरकार को अपना प्रतिवेदन सौंपेगी।

बर्खास्त शिक्षाकर्मी बहाल
आंदोलन के बाद सरकार ने बर्खास्त किए गए सभी शिक्षाकर्मियों के बहाली के आदेश जारी कर दिए साथ ही हड़ताल के दौरान अवकाश के लिए आवेदन देने वाले शिक्षाकर्मियों का वेतन भी नहीं काटा।

आंदोलन वापस लिया लेकिन मांग अभी भी वही
शिक्षाकर्मियों ने आंदोलन तो वापस ले लिया था और हड़ताल खत्म कर स्कूलों में लौट गए हैं लेकिन उनके मन में अभी भी संविलियन की मांग को लेकर वही जोश बना हुआ है। शिक्षाकर्मी नेता वीरेंद्र दुबे ने मध्यप्रदेश में जाकर शिक्षाकर्मियों से मुलाकात की और आंदोलन की रणनीति भी बनाई।

रमन पर टिकी नजर
इसके बाद मध्यप्रदेश में शिक्षाकर्मियों के आंदोलन के बाद मध्यप्रदेश सरकार ने उनकी संविलियन की मांग को मान लिया। ऐसे में अब छत्तीसगढ़ में आंदोलन करने वाले शिक्षाकर्मियों के मन में भी आस जागी है कि शायद अब मुख्यमंत्री रमन सिंह उनकी संविलियन की मांग को मानते हैं या नहीं ?

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