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Budget 2018: छत्तीसगढ़ के लोग चाहते हैं राज्य की सेहत में हो सुधार, पर्यावरण प्रदूषण से मिले मुक्ति

रायपुर . केन्द्रीय वित्त मंत्री आज संसद में आम बजट पेश कर रहे हें। इसे लेकर राज्य के आम लोगों में उम्मीदें बढ़ गई हैं। यहां की जनता बच्चों व युवाओं का भविष्य सुरक्षित करने के लिए शिक्षकों की कमी दूर करने और स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ाने की जरूरत हैं, ताकि यहां के अस्पताल रेफर सेंटर बनकर न रह जाए।
राज्य के माथे पर माओवाद रूपी कलंक को मिटाने के लिए ठोस उपाय और धूल व धुएं से मुक्ति के लिए प्रदूषणरहित औद्योगिक विकास के लिए बजट में विशेष प्रावधान की उम्मीद लगा रखी हैं। राज्य में आज भी कई इलाकों में संचार व सड़क सुविधाएं मयस्सर नहीं हैं। उन तक बुनियादी सुविधाएं पहुंचाकर सबका साथ सबका विकास और अंतिम व्यक्ति का उदय के नारे को जमीनी हकीकत में उतारने की आशा आशा यहां की लोगों ने बजट से लगा रखी हैं।
शिक्षकों की कमी हो दूर तो बढ़े शिक्षा का स्तर
शिक्षकों की भर्ती और उसके माध्यम से शिक्षा के स्तर में सुधार राज्य सरकार की प्राथमिकताओं में होना चाहिए। राज्य के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों का टोटा है। माओवादग्रस्त जिलों के विद्यालयों में शिक्षकों की अनुपस्थिति हमेशा से गंभीर समस्या रही है। राज्य के उच्चतर माध्यमिक स्कूलों में प्रिंसिपल के 2380 पदों में से 926 पद खाली हैं। इसी तरह पूर्व माध्यमिक स्कूलो में शिक्षकों के 13009 स्वीकृत पदों में से 8713 शिक्षक ही हैं। प्राथमिक स्कूलों में प्रिंसिपल के 30235 स्वीकृत पद हैं, जिसमें 18363 पद खाली हैं। बस्तर में स्कूलों में 75 फीसदी से ज्यादा शिक्षकों के पद खाली हैं। शिक्षकों की कमी से शिक्षा का स्तर भी प्रभावित हो रहा है। असर की रिपोर्ट बताती है कि पिछले 6 वर्षों में शिक्षा का स्तर घटा है। इसलिए बेहद जरुरी है कि राज्य में शिक्षकों के रिक्त पदों पर तत्काल भर्तियां की जाएं।
स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार
राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं में ढांचागत सुधार की जरुरत है। राज्य में 22 फीसदी चिकित्साधिकारियों की कमी है, जिसमें से बस्तर संभाग में सबसे ज्यादा 56 फीसदी कमी है, इसी तरह से स्टाफ नर्सों के पद भी खाली हैं। निस्संदेह अगर बुनियादी ढांचे को ठीक किया जाएगा तो स्वास्थ्य ***** भी ठीक होते चले जाएंगे। गर्भवती महिलाओं और बच्चों का स्वास्थ्य राज्य में हमेशा से एक गंभीर समस्या रहा है। राज्य में 6-59 माह के 41 फीसदी बच्चे एनीमिया से प्रभावित हैं। गर्भवती महिलाओं तक प्रसव पूर्व मिलने वाली सुविधाओं की पहुच भी संतोषजनक नहीं है। ऐसे में जरुरी है कि समूची स्वास्थ्य व्यवस्था में आमूल-चूल परिवर्तन किया जाए, रिक्त पदों को भरा जाए, चिकित्सकों का अस्पताल में जाना सुनिश्चित किया जाए। मुख्यमंत्री द्वारा हाल ही में बुजुर्गों के लिए स्मार्ट कार्ड द्वारा 80 हजार रूपए तक का मुफ्त इलाज मुहैया करना एक स्वागतयोग्य कदम है।
बेहतर कनेक्टिविटी की जरुरत
छत्तीसगढ़ के ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में ही नहीं शहरी क्षेत्रों में भी कनेक्टिविटी हमेशा से एक बड़ी समस्या रही है। राज्य में अगर रेल मार्गों और सडकों का समुचित विकास हो तो आम नागरिकों का जीवन स्तर तो सुधरेगा ही राज्य के विकास की भी दिशा तय हो सकेगी। माओवादग्रस्त जिलों में सड़क निर्माण के कार्य में तेजी आए यह बेहद जरुरी है। प्रदेश के आदिवासी ग्रामीण अंचलों के मध्य सड़क कनेक्टिविटी को बेहतर करने के लिए बजट में प्रावधान किये जाने चाहिए। देश के तमाम राज्यों को कोयले की आपूर्ति करने वाले छत्तीसगढ़ में रेल कनेक्टिविटी का हमेशा से अभाव रहा है। तमाम इलाके सड़क मार्ग से भी वंचित है। बेहद जरूरी है कि सरगुजा और बस्तर संभाग को रायपुर मुख्यालय से जोडऩे के लिए रेल सुविधाओं का विस्तार हो ज्यादा से ज्यादा ट्रेने चलाई जाएं। काफी समय से लंबित पड़ी कोरबा अम्बिकापुर से यूपी को जोडऩे वाली रेलवे लाइन को बिछाए जाने की जरुरत है।
बेहतर कनेक्टिविटी की जरुरत
छत्तीसगढ़ के ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में ही नहीं शहरी क्षेत्रों में भी कनेक्टिविटी हमेशा से एक बड़ी समस्या रही है। राज्य में अगर रेल मार्गों और सडकों का समुचित विकास हो तो आम नागरिकों का जीवन स्तर तो सुधरेगा ही राज्य के विकास की भी दिशा तय हो सकेगी। माओवादग्रस्त जिलों में सड़क निर्माण के कार्य में तेजी आए यह बेहद जरुरी है। प्रदेश के आदिवासी ग्रामीण अंचलों के मध्य सड़क कनेक्टिविटी को बेहतर करने के लिए बजट में प्रावधान किये जाने चाहिए। देश के तमाम राज्यों को कोयले की आपूर्ति करने वाले छत्तीसगढ़ में रेल कनेक्टिविटी का हमेशा से अभाव रहा है। तमाम इलाके सड़क मार्ग से भी वंचित है। बेहद जरूरी है कि सरगुजा और बस्तर संभाग को रायपुर मुख्यालय से जोडऩे के लिए रेल सुविधाओं का विस्तार हो ज्यादा से ज्यादा ट्रेने चलाई जाएं। काफी समय से लंबित पड़ी कोरबा अम्बिकापुर से यूपी को जोडऩे वाली रेलवे लाइन को बिछाए जाने की जरुरत है।

विकास के नाम पर सेहत से न हो खिलवाड़
छत्तीसगढ़ में ज़बरदस्त औद्योगिक विकास हो रहा है, यह देश के चुनिंदा राज्यों में से है जहां बिजली ज़रुरत से अधिक बनती है, लेकिन फिर भी लोग प्रदूषण से बेजार हैं। हाल में सुप्रीम कोर्ट ने भी राज्य में प्रदूषण की भयावह स्थिति पर टिप्पणी की है। कोयले और कच्चे लोहे के चलते राज्य में एक के बाद एक बिजली घर और इस्पात संयंत्र स्थापित होते जा रहे। चूना पत्थर के कारण राज्य में सीमेंट संयंत्रों की भी कतार लगी हुई है। स्पांज आयरन संयंत्रों की संख्या सौ से अधिक जा पहुंची है। फिर फ़ेरो अलॉयज़ संयंत्र और री-रोलिंग मिल अलग। इन सभी संयंत्रों में कच्चे लोहे के अलावा कोयले का उपयोग होता है। यह जरुरी है कि सभी कारखानों में कड़ाई के साथ निर्धुम संयंत्र (ईएसपी) लगाए जाएं, उद्योगों को शहरी, ग्रामीण और फसली आबादी से दूर रखना होगा। यह जरुरी है कि राज्य कार्बन रेटिंग में सुधार लाये। इसके लिए सरकार के साथ-साथ आम जनता को भी अपनी भूमिका निभानी होगी। प्रदूषण से जुड़े कानूनों को राज्य में सख्ती से लागू करना होगा।

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