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आरटीई के तहत भर्ती प्रक्रिया को शासन ने बदला, पढि़ए खबर अब किस हिसाब से बच्चों को मिलेगा दाखिला

कोरबा . किलोमीटर के दायरे के हिसाब से नहीं बल्की अब मोहल्लों के हिसाब से तय होगा आरटीई के तहत किस बच्चे का किस स्कूल में एडमिशन होगा। आरटीई के तहत भर्ती प्रक्रिया को शासन ने अब बदल दिया है। पूरी प्रक्रिया अब ऑनलाइन कर दी गई है।

आरटीई के तहत निजी स्कूलों में रिजर्व 25 फीसदी सीटों में एडमिशन में शासन द्वारा अब और भी सरल और पारदर्शिता लाई जा रही है। अब भर्ती की शुरू से लेकर अंतिम प्रक्रिया तक ऑनलाइन ही होगी। एडमिशन से पहले ही स्कूलों को ऑनलाइन बताना होगा कि उनके स्कूल में आरटीई के तहत कितनी सीटें उपलब्ध है।
अब तक निजी स्कूल अपने सीटों को सार्वजनिक नहीं करते थे। किस स्कूल में कितनी सीटें है इसकी जानकारी ना तो सहायक नोडल केन्द्र को होती थी न ही अभिभावकों को। इस वजह से अभिभावक अधिक संख्या में आवेदन नहीं करते थे। जितनी भी सीटों में एडमिशन होता था उसके बाद सीटें फुल होने का तर्क देकर भर्ती बंद कर दी जाती थी। इस पर शिक्षा विभाग द्वारा भी नकेल नहीं कसा जा रहा था।
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शिक्षा विभाग द्वारा अब आरटीई के तहत भर्ती को लेकर पोर्टल बनाया गया है। अब तक दो किलोमीटर के दायरे मेें आने वाले स्कूल में एडमिशन के प्रावधान को भी शासन ने बदल दिया है। जिस स्कूल में बच्चे का आवास है, उसके आसपास अगर कोई स्कूल है तो मोहल्ले के हिसाब से एडमिशन प्राथमिकता के आधार पर दी जाएगी। आने वाले आवेदनों की मोहल्लेवार स्क्रूटनी की जाएगी।
सुविधाविहीन स्कूलों पर विभाग मेहरबान
विभाग सुविधाविहीन स्कूलों पर शिक्षा विभाग के अधिकारी लगातार मेहरबानी दिखाते आ रहे हैं। शहर में दो तीन कमरों मेंं स्कूल संचालित हो रहे हैं। यहां तक की बेजाकब्जा वाले स्कूलों में आरटीई के तहत एडमिशन हो रहा है। विद्यार्थियों को स्कूल में बैठने के लिए पर्याप्त सुविधा नहीं है और उन्हें पढ़ाने के लिए पर्याप्त संख्या में सभी विषयों के योग्यताधारी शिक्षक तक नहीं हैं।
16 मार्च तक स्कूलों को करना होगा डेटा लिंकबेस
शुक्रवार को रायपुर लोक शिक्षण संचालनालय के संचालक एस प्रकाश ने वीडियो कांफ्रेंस में निर्देश दिया गया है कि नोडल अधिकारी निजी स्कूलों का ऑनलाइन रजिस्टे्रशन करेंगे। स्कूलों का डाटा जोडऩे के लिए विकासखंड स्तर पर जिन निजी स्कूलों का नाम सूची में नाम नहीं है वह संचालनालय से संपर्क कर अपना नाम जुड़वाएंगे। फिर निजी स्कूलों से नर्सरी और पहली कक्षा की सीट की जानकारी लेंगे। १६ मार्च तक एजूकेशनल पोर्टल एजूपोर्टल पर निजी स्कूलों का डेटाबेस लिंक करने के लिए कहा गया है। इसके बाद अप्रैल से दाखिला शुरू होगा।
पिछले साल स्कूलों में 1900 सीटें रह गई थी खाली
शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत पिछले साल 4 हजार की तुलना में महज २१०० सीटों पर एडमिशन हो सका था। विभाग के ढुलमुल रवैये की वजह से ही 1900 सीटें खाली रह गई थी। विभाग पिछली बार से सबक नहीं लेते हुए इस बार वही रवैय्या अपना रहा है। विभाग की ओर से कोई तैयारी अब तक शुरू नहीं हो सकी है। लेकिन पिछले साल यह पूरी प्रक्रिया काफी सुस्त रही।
एडमिशन के लिए विभाग की ओर से ना तो कोई प्रचार किया गया। ना ही नोडल के माध्यम से प्रक्रिया में तेजी लाई गई। कम आवेदन आने की वजह से पिछले साल कुछ स्कूलों को छोड़कर शेष में तो ड्रा निकालने की भी प्रक्रिया नहीं अपनानी पड़ी। पालकों को फार्म मिलने से लेकर एडमिशन तक की प्रक्रिया नहीं मालूम होती। लिहाजा सीटें खाली रह जाती है। इसी वजह से पिछले बार 4 हजार सीटों की तुलना में सिर्फ 21 सौ सीटें भी भरी जा सकी जबकि 1900 सीटें खाली रह गई।

इस बार शेष बची सीटों पर नहीं हो पाएगी मनमानी
पिछली बार 1900 सीटें विभाग की लापरवाही की वजह से खाली रह गई थी। विभाग ने इतनी खाली सीटों की बाद में जानना भी मुनासिब नहीं समझा कि वे साल भर खाली रही की नहीं। अब जब पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन हो गई तब खाली सीटों पर निजी स्कूलों की मनमानी नहीं चलेगी। हर स्कूल को खाली सीटें पर जवाब देना होगा। हालांकि इस बार प्रक्रिया ऑनलाइन होने की वजह से सीटें खाली रहने की संभावना कम दिख रही है।

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