शैक्षणिक सत्र शुरू होने के 5 महीने बाद राज्य शासन की ओर से सहायक
प्राध्यापकों के रिक्त पदों को भर्ती की तैयारी चल रही है। इसके लिए
काॅलेजों से जानकारी मंगाई है। हालांकि रिक्त पदों पर भर्ती कब तक हो
पाएगी, इस संबंध में स्थानीय प्राचार्य कुछ बता नहीं पा रहे हैं।
वैसे भी इस सत्र की पढ़ाई के लिए रिक्त पदों पर अस्थाई तौर पर अतिथि व्याख्याताओं की भर्ती की गई है। जिसके भरोसे पढ़ाई चल रही है और चलेगी भी, क्योंकि वार्षिक परीक्षा होने में अभी 3 महीने का समय और बचा है।
वहीं एक दिन पहले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अफसरों को रिक्त पदों पर भर्ती के लिए जरूरी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने गुरुवार रात वित्त विभाग के साथ हुई समीक्षा बैठक में इन पदों की मंजूरी दी। विभाग अब इन पदों को भरने छत्तीसगढ़ लोकसेवा आयोग के माध्यम से जरूरी कार्रवाई करेगा।
असर: केमेस्ट्री, फिजिक्स, राजनीति विज्ञान, हिन्दी, अंग्रेजी, इतिहास के सहायक प्राध्यापकों की कमी से रिजल्ट प्रभावित
सरकारी कॉलेजों में इस बार देरी से अतिथि व्याख्याता की भर्ती
सरकारी काॅलेजों में शैक्षणिक सत्र 2018-19 शुरू हुए 5 महीने बीत चुके हैं। इस सत्र व्याख्याताओं की भर्ती भी देरी से हुई है। जिसके चलते शुरुआत के एक महीने पढ़ाई प्रभावित रही। कारण शासन व उच्च शिक्षा विभाग की ओर से भर्ती को लेकर आदेश पत्र एक महीने देर से आया। हालांकि प्रबंधन तर्क दे रहा है कि जून से सत्र शुरू होता है, लेकिन जुलाई तक एडमिशन चलता है इसलिए नियमित कक्षाएं अगस्त में लगीं। दरअसल 31 मई से सत्र शुरू हो जाता है।
खेरथा काॅलेज दो स्टाफ के भरोसे: खेरथा काॅलेज में स्वीकृत 10 में दो पद पर ही भर्ती हो पाई है। इसी के भरोसे काॅलेज संचालित हो रहे हैं। अतिथि व्याख्याता के भरोसे पढ़ाई हो रही है।
कांग्रेस ने घोषणा पत्र में पदों को भरने किया था वादा
दरअसल कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में प्रदेश के काॅलेजों में रिक्त पदों में भर्ती किए जाने का वादा किया था। इसी सिलसिले में सीएम ने उच्च शिक्षा विभाग के अधीन शासकीय काॅलेजों में लंबे समय से रिक्त पदों को जल्द भरने के निर्देश उच्च शिक्षा विभाग को दिए हैं। मुख्यमंत्री ने गुरुवार रात वित्त विभाग के साथ हुई समीक्षा बैठक में इन पदों की मंजूरी दी।
जिनमें स्टूडेंट की दिलचस्पी, उसमें ही पढ़ाने वालों का टोटा: केमेस्ट्री, फिजिक्स, राजनीति विज्ञान, माइक्रो बायोलाॅजी, हिन्दी, अंग्रेजी, इतिहास सहित अन्य विषयों के सहायक प्राध्यापकों की कमी है। जबकि इन्हीं विषयों के आधार पर स्टूडेंट एडमिशन लेना चाहते हैं।
यूनिवर्सिटी बदल गई, लेकिन अब तक समस्या नहीं हुई दूर
भले ही पहले पंडित रविशंकर यूनिवर्सिटी से संबद्ध रहे जिले के सभी काॅलेज दुर्ग यूनिवर्सिटी के अंतर्गत आ चुके हैं। लेकिन पुरानी समस्या दूर नहीं हुई है। स्टूडेंट कह रहे हैं यूनिवर्सिटी बदलने से क्या होगा, नियमित प्राध्यापकों की भर्ती हो तो पढ़ाई का स्तर बेहतर होगा। यूं कहें कि प्रबंधक कह रहे प्राध्यापकों के रिक्त सीटों को भरने प्रस्ताव भेजते हैं और उच्च शिक्षा विभाग का फरमान आता है कि अतिथि व्याख्याता की भर्ती कर पढ़ाई शुरू कराएं। इस सत्र में भी ऐसा ही हो रहा है।
नियमित स्टाफ नहीं होने से यह प्रभाव: पढ़ाई प्रभावित, परीक्षा परिणाम पर असर, विषय के हिसाब से प्राध्यापकों की कमी के चलते मजबूरी में अधिकांश स्टूडेंट कला संकाय में एडमिशन लेते है।
अनुभव का फर्क तो पड़ता ही है
लीड काॅलेज के प्राचार्य श्रद्धा चंद्राकर का कहना है कि शासन की ओर से नियुक्त सहायक प्राध्यापक व अतिथि शिक्षक पढ़ाते है, इसमें अनुभव का फर्क तो पड़ता ही है। रिक्त पदों पर भर्ती की जाती है तो परिणाम बेहतर आएगा।
वैसे भी इस सत्र की पढ़ाई के लिए रिक्त पदों पर अस्थाई तौर पर अतिथि व्याख्याताओं की भर्ती की गई है। जिसके भरोसे पढ़ाई चल रही है और चलेगी भी, क्योंकि वार्षिक परीक्षा होने में अभी 3 महीने का समय और बचा है।
वहीं एक दिन पहले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अफसरों को रिक्त पदों पर भर्ती के लिए जरूरी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने गुरुवार रात वित्त विभाग के साथ हुई समीक्षा बैठक में इन पदों की मंजूरी दी। विभाग अब इन पदों को भरने छत्तीसगढ़ लोकसेवा आयोग के माध्यम से जरूरी कार्रवाई करेगा।
असर: केमेस्ट्री, फिजिक्स, राजनीति विज्ञान, हिन्दी, अंग्रेजी, इतिहास के सहायक प्राध्यापकों की कमी से रिजल्ट प्रभावित
सरकारी कॉलेजों में इस बार देरी से अतिथि व्याख्याता की भर्ती
सरकारी काॅलेजों में शैक्षणिक सत्र 2018-19 शुरू हुए 5 महीने बीत चुके हैं। इस सत्र व्याख्याताओं की भर्ती भी देरी से हुई है। जिसके चलते शुरुआत के एक महीने पढ़ाई प्रभावित रही। कारण शासन व उच्च शिक्षा विभाग की ओर से भर्ती को लेकर आदेश पत्र एक महीने देर से आया। हालांकि प्रबंधन तर्क दे रहा है कि जून से सत्र शुरू होता है, लेकिन जुलाई तक एडमिशन चलता है इसलिए नियमित कक्षाएं अगस्त में लगीं। दरअसल 31 मई से सत्र शुरू हो जाता है।
खेरथा काॅलेज दो स्टाफ के भरोसे: खेरथा काॅलेज में स्वीकृत 10 में दो पद पर ही भर्ती हो पाई है। इसी के भरोसे काॅलेज संचालित हो रहे हैं। अतिथि व्याख्याता के भरोसे पढ़ाई हो रही है।
कांग्रेस ने घोषणा पत्र में पदों को भरने किया था वादा
दरअसल कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में प्रदेश के काॅलेजों में रिक्त पदों में भर्ती किए जाने का वादा किया था। इसी सिलसिले में सीएम ने उच्च शिक्षा विभाग के अधीन शासकीय काॅलेजों में लंबे समय से रिक्त पदों को जल्द भरने के निर्देश उच्च शिक्षा विभाग को दिए हैं। मुख्यमंत्री ने गुरुवार रात वित्त विभाग के साथ हुई समीक्षा बैठक में इन पदों की मंजूरी दी।
जिनमें स्टूडेंट की दिलचस्पी, उसमें ही पढ़ाने वालों का टोटा: केमेस्ट्री, फिजिक्स, राजनीति विज्ञान, माइक्रो बायोलाॅजी, हिन्दी, अंग्रेजी, इतिहास सहित अन्य विषयों के सहायक प्राध्यापकों की कमी है। जबकि इन्हीं विषयों के आधार पर स्टूडेंट एडमिशन लेना चाहते हैं।
यूनिवर्सिटी बदल गई, लेकिन अब तक समस्या नहीं हुई दूर
भले ही पहले पंडित रविशंकर यूनिवर्सिटी से संबद्ध रहे जिले के सभी काॅलेज दुर्ग यूनिवर्सिटी के अंतर्गत आ चुके हैं। लेकिन पुरानी समस्या दूर नहीं हुई है। स्टूडेंट कह रहे हैं यूनिवर्सिटी बदलने से क्या होगा, नियमित प्राध्यापकों की भर्ती हो तो पढ़ाई का स्तर बेहतर होगा। यूं कहें कि प्रबंधक कह रहे प्राध्यापकों के रिक्त सीटों को भरने प्रस्ताव भेजते हैं और उच्च शिक्षा विभाग का फरमान आता है कि अतिथि व्याख्याता की भर्ती कर पढ़ाई शुरू कराएं। इस सत्र में भी ऐसा ही हो रहा है।
नियमित स्टाफ नहीं होने से यह प्रभाव: पढ़ाई प्रभावित, परीक्षा परिणाम पर असर, विषय के हिसाब से प्राध्यापकों की कमी के चलते मजबूरी में अधिकांश स्टूडेंट कला संकाय में एडमिशन लेते है।
अनुभव का फर्क तो पड़ता ही है
लीड काॅलेज के प्राचार्य श्रद्धा चंद्राकर का कहना है कि शासन की ओर से नियुक्त सहायक प्राध्यापक व अतिथि शिक्षक पढ़ाते है, इसमें अनुभव का फर्क तो पड़ता ही है। रिक्त पदों पर भर्ती की जाती है तो परिणाम बेहतर आएगा।