कोरबा. गैर शिक्षकीय कार्यों में संलग्न शिक्षकों को मूल पदस्थापना में
वापस करने का आदेश शासन द्वारा जारी कर दिया गया है। विभाग के जिम्मेदारी
अधिकारियों का इन दिनों शिक्षकों के संलग्नीकरण पर कुछ ज्यादा ही फोकस है।
लगभग हर विभागीय बैठकों में डीईओ अपने अधीनस्थों को कहते हैं कि जल्द ही
शिक्षकों का संलग्नीकरण समाप्त कर दिया जाएगा।
कई महीने बीत गए संलग्न शिक्षकों की सूची भी तैयार हो गई, लेकिन जिला स्तर से संलग्नीकरण समाप्त करने का आदेश जारी नहीं किया गया है। वहीं दूसरी तरफ शिक्षकों की कमी और हर बात में गुणवत्ता की दुहाई देने वाले विभाग ने जिले भर के हाई व हायर सेकेंडरी स्कूलों में विद्या मितानों (अंशकालीक शिक्षक) को आऊटसोर्सिंग से नियुक्त किया है। जिनके वेतन पर हर माह १९ लाख रूपयों का आर्थिक भार शासन को पहुंचाया जा रहा है।
शिक्षा विभाग के अधिकारी यह तो बताते हैं कि जिले के वनांचल व दूरस्थ इलाकों के स्कूलों में विषय विशेषज्ञ शिक्षकों की कमी है, और इसका कारण संलग्नीकरण है, लेकिन आऊटसोर्सिंग के माध्यम से इस कमी को दूर करने के लिए शिक्षकों की आऊटसोर्सिंग करने वाली जानकारी को कम ही सार्वजनिक किया जाता।
पिछले एक साल से भी ज्यादा समय से आऊसोर्सिंग के जरिए विद्या मितान जिले के विभिन्न स्कूलों अपनी सेवाएं दे रहे हैं। ज्यादातर स्कूल ग्रामीण अंचलों के हैं। जहां भी शिक्षकों की कमी है, वहां विद्या मितानों को निर्धारित मापदण्डों के तहत आऊटसोर्स किया गया है। जिस तरह प्रदेश की भाजपा सरकार ने शराब दुकानों के संचालन के लिए कर्मचारियों को नियुक्त किया था।
संलग्न शिक्षकों की सूची तैयार
हाल ही में डीईओ के निर्देश पर जिले के एक-एक प्राचार्य से संलग्र शिक्षकों की जानकारी जुटाई गई है। जिसमें यह बात सामने आई कि जिले मे ं२७४ शिक्षक अटैच हैं। विभागीय बैठकों में विकासखंड शिक्षा अधिकारियों को कहा जाता है कि शिक्षक अटैच हैं। हर बार इस विषय पर सिर्फ चर्चा की जाती है। इसके पीछे मंशा क्या है, यह जांच का विषय है। हालांकि अटैचमेंट का दूसरा पहलु यह भी है कि जिले में तकनीकी तौर पर कई विद्यालय शिक्षकविहीन या एकल शिक्षकीय हैं। जहां किसी शिक्षक को स्थाई पदस्थापना नहीं दी गई है लेकिन व्यवस्था बनाकर अध्यापन कार्य के लिए शिक्षकों को संलग्र किया गया है। कई शिक्षक रिक्त पद के विरूद्ध कार्य कर रहे हैं। ऐसे शिक्षकों का संलग्रीकरण समाप्त हुआ तो शिक्षण व्यवस्था बुरी तरह से प्रभावित होगी। हालांकि कई शिक्षक अतिशेष हैं, जिन्हें नियम विरूद्ध तरीके अटैच किया गया है।
कई शिक्षक जिला कार्यालय में कर रहे गैर शिक्षकीय कार्य
हाल ही में प्रदेश सरकार ने निर्देश जारी किया है कि गैर शिक्षकीय कार्यों में लगे शिक्षकों को तत्काल प्रभाव से कार्यमुक्त कर मूल शाला में वापस भेजा जाए। विडंबना यह है कि शिक्षकीय कार्यों में लगे अटैच शिक्षकों का मुद्दा विभाग की हर बैठक में उठता है। सूचना यह है कि कुछ संलग्र शिक्षकों को डीईओ के निर्देश पर प्राचार्यों ने अपने स्तर पर ही कार्यमुक्त कर दिया है। जबकि जिला स्तर से कोई आदेश जारी नहीं किया गया है। जबकि शासन के आदेश के अनुसार गैरशिक्षकीय कार्यों मेें संलग्र शिक्षकों को तत्काल स्कूल भेजा जाना चाहिए।
प्रत्येक विद्या मितान को 18 हजार 500 प्रतिमाह
शिक्षा विभाग द्वारा अटैचमेंट की आड़ लेकर गुणवत्ता की दुहाई तो जाती है, लेकिन दूसरी तरफ जिले के स्कूलों में १०४ विद्यामितानों को नियुक्त किया गया है। जोकि विज्ञान, गणित, बायोलॉजी, फिजिक्स, कैमिस्ट्री, कॉमर्स जैसे प्रमुख विषय के शिक्षकों की कमी दूर कर रहे हैं। प्रत्येक विद्यामितान को १८ हजार ५०० के मान से मानदेय दिया जाता है। हर माह को शासन को १९ लाख रूपयों का आर्थिक भार पहुंचाया जा रहा है।
इन स्कूलों में विद्या मितान
विभाग के खासतौर से ग्रामीण क्षेत्रों के आमाखोखरा, पतुरियाडांड, बरपाली, जवाली, पड़निया, फरसवानी, लमना, कर्री, कुदमुरा, सिल्ली, फुलसरी, सरभोंका, तिवरता, कनकी, लेमरू, पिपरिया, लाफा, सिरमिना, सेमरा, रंजना व पसान आदि जैसे कई हाई व हायकेंडरी स्कूलों में विद्यामितान कार्य कर रहे हैं। कई स्कूलों में जरूरत के अनुसार एक से अधिक विद्यामितान भी कार्य कर रहे हैं।
-जरूरत के आधार पर शिक्षकों की कमी वाले स्कूलों में रिक्त पद के विरूद्ध जिला पंचायत द्वारा शिक्षकों को अटैच या पदस्थ भी किया गया है ताकि शिक्षण व्यवस्था प्रभावित ना हो। ऐसे शिक्षकों को कार्यमुक्त नहीं किया जा सकता। इसकी जानकारी मांगी गई है- देवी सिंह टेकाम, जिला पंचायत अध्यक्ष
-अटैच शिक्षकों की सूची तैयार कर ली गई है। गैर शिक्षकीय कार्यों में लगे शिक्षकों के विषय में शासन ने निर्देश जारी किए हैं। जल्द ही इस पर निर्णय लिया जाएगा। कार्यवाही प्रक्रिया में है- केपी मनहर, सहायक संचालक, शिक्षा विभाग
कई महीने बीत गए संलग्न शिक्षकों की सूची भी तैयार हो गई, लेकिन जिला स्तर से संलग्नीकरण समाप्त करने का आदेश जारी नहीं किया गया है। वहीं दूसरी तरफ शिक्षकों की कमी और हर बात में गुणवत्ता की दुहाई देने वाले विभाग ने जिले भर के हाई व हायर सेकेंडरी स्कूलों में विद्या मितानों (अंशकालीक शिक्षक) को आऊटसोर्सिंग से नियुक्त किया है। जिनके वेतन पर हर माह १९ लाख रूपयों का आर्थिक भार शासन को पहुंचाया जा रहा है।
शिक्षा विभाग के अधिकारी यह तो बताते हैं कि जिले के वनांचल व दूरस्थ इलाकों के स्कूलों में विषय विशेषज्ञ शिक्षकों की कमी है, और इसका कारण संलग्नीकरण है, लेकिन आऊटसोर्सिंग के माध्यम से इस कमी को दूर करने के लिए शिक्षकों की आऊटसोर्सिंग करने वाली जानकारी को कम ही सार्वजनिक किया जाता।
पिछले एक साल से भी ज्यादा समय से आऊसोर्सिंग के जरिए विद्या मितान जिले के विभिन्न स्कूलों अपनी सेवाएं दे रहे हैं। ज्यादातर स्कूल ग्रामीण अंचलों के हैं। जहां भी शिक्षकों की कमी है, वहां विद्या मितानों को निर्धारित मापदण्डों के तहत आऊटसोर्स किया गया है। जिस तरह प्रदेश की भाजपा सरकार ने शराब दुकानों के संचालन के लिए कर्मचारियों को नियुक्त किया था।
संलग्न शिक्षकों की सूची तैयार
हाल ही में डीईओ के निर्देश पर जिले के एक-एक प्राचार्य से संलग्र शिक्षकों की जानकारी जुटाई गई है। जिसमें यह बात सामने आई कि जिले मे ं२७४ शिक्षक अटैच हैं। विभागीय बैठकों में विकासखंड शिक्षा अधिकारियों को कहा जाता है कि शिक्षक अटैच हैं। हर बार इस विषय पर सिर्फ चर्चा की जाती है। इसके पीछे मंशा क्या है, यह जांच का विषय है। हालांकि अटैचमेंट का दूसरा पहलु यह भी है कि जिले में तकनीकी तौर पर कई विद्यालय शिक्षकविहीन या एकल शिक्षकीय हैं। जहां किसी शिक्षक को स्थाई पदस्थापना नहीं दी गई है लेकिन व्यवस्था बनाकर अध्यापन कार्य के लिए शिक्षकों को संलग्र किया गया है। कई शिक्षक रिक्त पद के विरूद्ध कार्य कर रहे हैं। ऐसे शिक्षकों का संलग्रीकरण समाप्त हुआ तो शिक्षण व्यवस्था बुरी तरह से प्रभावित होगी। हालांकि कई शिक्षक अतिशेष हैं, जिन्हें नियम विरूद्ध तरीके अटैच किया गया है।
कई शिक्षक जिला कार्यालय में कर रहे गैर शिक्षकीय कार्य
हाल ही में प्रदेश सरकार ने निर्देश जारी किया है कि गैर शिक्षकीय कार्यों में लगे शिक्षकों को तत्काल प्रभाव से कार्यमुक्त कर मूल शाला में वापस भेजा जाए। विडंबना यह है कि शिक्षकीय कार्यों में लगे अटैच शिक्षकों का मुद्दा विभाग की हर बैठक में उठता है। सूचना यह है कि कुछ संलग्र शिक्षकों को डीईओ के निर्देश पर प्राचार्यों ने अपने स्तर पर ही कार्यमुक्त कर दिया है। जबकि जिला स्तर से कोई आदेश जारी नहीं किया गया है। जबकि शासन के आदेश के अनुसार गैरशिक्षकीय कार्यों मेें संलग्र शिक्षकों को तत्काल स्कूल भेजा जाना चाहिए।
प्रत्येक विद्या मितान को 18 हजार 500 प्रतिमाह
शिक्षा विभाग द्वारा अटैचमेंट की आड़ लेकर गुणवत्ता की दुहाई तो जाती है, लेकिन दूसरी तरफ जिले के स्कूलों में १०४ विद्यामितानों को नियुक्त किया गया है। जोकि विज्ञान, गणित, बायोलॉजी, फिजिक्स, कैमिस्ट्री, कॉमर्स जैसे प्रमुख विषय के शिक्षकों की कमी दूर कर रहे हैं। प्रत्येक विद्यामितान को १८ हजार ५०० के मान से मानदेय दिया जाता है। हर माह को शासन को १९ लाख रूपयों का आर्थिक भार पहुंचाया जा रहा है।
इन स्कूलों में विद्या मितान
विभाग के खासतौर से ग्रामीण क्षेत्रों के आमाखोखरा, पतुरियाडांड, बरपाली, जवाली, पड़निया, फरसवानी, लमना, कर्री, कुदमुरा, सिल्ली, फुलसरी, सरभोंका, तिवरता, कनकी, लेमरू, पिपरिया, लाफा, सिरमिना, सेमरा, रंजना व पसान आदि जैसे कई हाई व हायकेंडरी स्कूलों में विद्यामितान कार्य कर रहे हैं। कई स्कूलों में जरूरत के अनुसार एक से अधिक विद्यामितान भी कार्य कर रहे हैं।
-जरूरत के आधार पर शिक्षकों की कमी वाले स्कूलों में रिक्त पद के विरूद्ध जिला पंचायत द्वारा शिक्षकों को अटैच या पदस्थ भी किया गया है ताकि शिक्षण व्यवस्था प्रभावित ना हो। ऐसे शिक्षकों को कार्यमुक्त नहीं किया जा सकता। इसकी जानकारी मांगी गई है- देवी सिंह टेकाम, जिला पंचायत अध्यक्ष
-अटैच शिक्षकों की सूची तैयार कर ली गई है। गैर शिक्षकीय कार्यों में लगे शिक्षकों के विषय में शासन ने निर्देश जारी किए हैं। जल्द ही इस पर निर्णय लिया जाएगा। कार्यवाही प्रक्रिया में है- केपी मनहर, सहायक संचालक, शिक्षा विभाग