बिलासपुर. जस्टिस पी सैम कोशी की एकलपीठ ने सहायक
प्राध्यापक पद की अधिकतम आयुसीमा में लोक सेवा आयोग को छूट देने का निर्देश
देते हुए याचिकाकर्ता के आवेदन को शासन के 2004 एवं 2019 के परिपत्रों के
आधार पर स्वीकार करने को कहा है।
रायगढ़ जिले के सारंगगढ़ में शासकीय माध्यमिक विद्यालय कलमी में भारतेंदु भूषण त्रिपाठी की नियुक्ति शिक्षाकर्मी वर्ग 2 के पद पर 2008 में हुई थी। अगस्त 2018 में इनकी सेवाओं का संविलियन स्कूल शिक्षा विभाग में किया गया और एलबी के रुप में सेवाएं जारी रही। जनवरी 2019 में विभिन्न विषयों के सहायक प्राध्यापक पद के लिए छग लोक सेवा आयोग द्वारा एक विज्ञापन जारी किया गया। इस विज्ञापन में सहायक प्राध्यापक के पद पर भर्ती के लिए पदखंड 4 में अधिकतम आयु सीमा का निर्धारण 35 वर्ष अंकित था, जो कि आयोग द्वारा फरवरी 2019 में एक शुद्धिपत्र जारी कर 40 वर्ष के रुप में संशोध कर दिया गया।
उल्लेखनीय है कि राज्य के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जून 2004 में प्रसारित प्रपत्र में आयुसीमा में छूट का प्रावधान किया गया था, इसमें 6 माह की सेवा पूरी कर चुके शिक्षाकर्मियों की सेवाओं को एक वर्ष के रुप में मान्य करते हुए 45 वर्ष निर्धारित करने संबंधी स्पष्ट आदेश था। साथ ही जनवरी 2019 में इसी विभाग ने एक अन्य आदेश जारी कर स्थानीय निवासियों की सेवा भर्ती के लिए अधिकतम आयुसीमा में 5 वर्ष की छूट देते हुए अधिकतम आयुसीमा 45 वर्ष निर्धारित की है। उक्त दोनों परिपत्रों के दिशा-निर्देेशों के बावजूद आयोग द्वारा अधिकतम आयुसीमा में छूट नहीं दिए जाने के कारण आनलाइन आवदेन करने में आवेदक त्रिपाठी को कठिनाई हो रही थी, याचिकाकर्ता की आयु 41 वर्ष 3 माह हो चुकी थी।
आनलाइन आवेदन स्वीकार नहीं किए जाने पर याचिकाकर्ता त्रिपाठी द्वारा अधिवक्ता मतीन सि²ीकी एवं संदीप सिंह के माधयम से सेवा याचिका लगाई गई। अधिवक्ताओं ने याचिकाकर्ता का पक्ष रखते हुए कहा कि शासन के वर्ष 2004 और 2019 वाले परिपत्र के आधार पर 6 माह से अधिक सेवा कर चुके शिक्षाकर्मियों की सेवाओं को एक वर्ष मान्य करते हुए कुल सेवावधि के समकक्ष छूट के साथ स्थानीय निवासी वाली 45 वर्ष का लाभ मिलना चाहिए।
रायगढ़ जिले के सारंगगढ़ में शासकीय माध्यमिक विद्यालय कलमी में भारतेंदु भूषण त्रिपाठी की नियुक्ति शिक्षाकर्मी वर्ग 2 के पद पर 2008 में हुई थी। अगस्त 2018 में इनकी सेवाओं का संविलियन स्कूल शिक्षा विभाग में किया गया और एलबी के रुप में सेवाएं जारी रही। जनवरी 2019 में विभिन्न विषयों के सहायक प्राध्यापक पद के लिए छग लोक सेवा आयोग द्वारा एक विज्ञापन जारी किया गया। इस विज्ञापन में सहायक प्राध्यापक के पद पर भर्ती के लिए पदखंड 4 में अधिकतम आयु सीमा का निर्धारण 35 वर्ष अंकित था, जो कि आयोग द्वारा फरवरी 2019 में एक शुद्धिपत्र जारी कर 40 वर्ष के रुप में संशोध कर दिया गया।
उल्लेखनीय है कि राज्य के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जून 2004 में प्रसारित प्रपत्र में आयुसीमा में छूट का प्रावधान किया गया था, इसमें 6 माह की सेवा पूरी कर चुके शिक्षाकर्मियों की सेवाओं को एक वर्ष के रुप में मान्य करते हुए 45 वर्ष निर्धारित करने संबंधी स्पष्ट आदेश था। साथ ही जनवरी 2019 में इसी विभाग ने एक अन्य आदेश जारी कर स्थानीय निवासियों की सेवा भर्ती के लिए अधिकतम आयुसीमा में 5 वर्ष की छूट देते हुए अधिकतम आयुसीमा 45 वर्ष निर्धारित की है। उक्त दोनों परिपत्रों के दिशा-निर्देेशों के बावजूद आयोग द्वारा अधिकतम आयुसीमा में छूट नहीं दिए जाने के कारण आनलाइन आवदेन करने में आवेदक त्रिपाठी को कठिनाई हो रही थी, याचिकाकर्ता की आयु 41 वर्ष 3 माह हो चुकी थी।
आनलाइन आवेदन स्वीकार नहीं किए जाने पर याचिकाकर्ता त्रिपाठी द्वारा अधिवक्ता मतीन सि²ीकी एवं संदीप सिंह के माधयम से सेवा याचिका लगाई गई। अधिवक्ताओं ने याचिकाकर्ता का पक्ष रखते हुए कहा कि शासन के वर्ष 2004 और 2019 वाले परिपत्र के आधार पर 6 माह से अधिक सेवा कर चुके शिक्षाकर्मियों की सेवाओं को एक वर्ष मान्य करते हुए कुल सेवावधि के समकक्ष छूट के साथ स्थानीय निवासी वाली 45 वर्ष का लाभ मिलना चाहिए।