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गरीब और कमजोर वर्ग समूह के बच्चों को निजी स्कूलों में शिक्षा का अधिकार के तहत आरक्षित सीटों में प्रवेश

गरीब और कमजोर वर्ग समूह के बच्चों को निजी स्कूलों में शिक्षा का अधिकार के तहत आरक्षित सीटों में प्रवेश दिया जाना है। इसके लिए 1 मार्च से ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया चल रही है। 30 मार्च को पोर्टल बंद हो जाएगा। इसके बाद आवेदन नहीं कर पाएंगे। वहीं अंतिम दौर में ही 5263 आरक्षित सीटों के एवज में 4045 आवेदन आ चुके हैं।
आवेदनों की संख्या को देखते हुए शिक्षा विभाग को सीट आवंटन के लिए लॉटरी का सहारा लेना पड़ जाएगा। जिले में पहली बार 5 हजार से ज्यादा सीट आरक्षित होने की वजह से बड़ी संख्या में आवेदन आ रहे हैं। वहीं पोर्टल में बार-बार सुधार की वजह से भी आवेदन करने में दिक्कत आ रही है। हालांकि वार्डों के नाम अब बदलने का काम चल रहा है। शिकायत सामने आने पर अब नए स्कूलों की सीटें भी दिखाने लगी हैं।

30 मार्च से आए आवेदनों की 1 से 7 अप्रैल के बीच जांच होगी। नोडल अफसर दस्तावेजों की भौतिक सत्यापन करेंगे।

लॉटरी से होगा फैसला:गलत जानकारी देेने पर स्कूलों की मान्यता खतरे में पड़ेगी

राजनांदगांव. बच्चों के एडमिशन के लिए फॉर्म जमा कर रहे पालक।

मांगे जाने पर पेश करना होंगे ये दस्तावेज

बच्चे का आधार कार्ड, जन्म प्रमाण पत्र देना है। दोनों नहीं होने की स्थिति में पालक स्वयं कोरे कागज में लिखकर जन्म संबंधी जानकारी दे सकते हैं। शहरी क्षेत्र के पालकों का नाम सर्वे सूची 2007-8 व ग्रामीण क्षेत्र के पालकों का नाम सर्वे सूची 2002-03 में शामिल होना चाहिए। यह दस्तावेज मांगे जाने पर पेश करना होगा।

अंग्रेजी माध्यम स्कूल के ज्यादा आवेदन अा रहे

नि:शुल्क शिक्षा का अधिकार के तहत ज्यादा पालकों ने अंग्रेजी माध्यम स्कूल को चुना है। इन्ही स्कूलों के नाम से ज्यादा आवेदन जमा हुए हैं। इसलिए जांच के बाद सीट वार लॉटरी निकालनी पड़ेगी। इसके बाद ही तय हो पाएगा कि किस बच्चे को कौन से स्कूल की सीट मिल पा रही है। जहां कम अावेदन वहां पर सीधी भर्ती होगी।

नहीं बनाए सेवा केन्द्र, निजी सेंटरों में जा रहे पालक

तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी ने नोडल अफसरों की बैठक लेकर स्पष्ट निर्देश दिए थे कि संबंधित नोडल अपने स्कूल में सेवा केन्द्र स्थापित करेंगे जहां पर पालक ऑनलाइन आवेदन कर सकेंगे। इसके लिए एक कर्मचारी ड्यूटी लगाने के भी निर्देश दिए थे पर नोडल अफसरों ने यह सुविधा पालकों को नहीं दी। इस वजह से पालक निजी कंप्यूटर सेंटरों में पैसे देकर फॉर्म सबमिट कर रहे हैं। यानी की नि:शुल्क योजना के लिए भी पालकों को पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं।

पोर्टल की जानकारी भी भ्रमित करने वाली

डीपीआई की ओर से बनाए गए पोर्टल में एक साइट में आरक्षित सीटों की जानकारी 5263 बता रही है और सार्वजनिक जानकारी वाले पोर्टल के दूसरे साइट में 4 हजार के आसपास सीटें दिखा रहीं हैं। शिक्षा विभाग के अफसरों से बात करने पर पता चला कि डीपीआई से जानकारी अपडेट होने में देरी हो रही है। इस वजह से जानकारी सही नहीं दिखा रही है। विभाग की ओर से अंतिम दौर में भी वार्डों का नाम बदला जा रहा है। वहीं वार्ड क्रमांक बदले जा रहे हैं। मिली जानकारी के अनुसार पोर्टल में यह सूचना भी दी जा रही है कि पुराने मोहल्लों का नाम आगामी सत्र में हटाए जाएंगे, लेकिन जिन पालकों ने पुराने मोहल्ले के नाम से आवेदन किए हैं, वे मान्य होंगे। 

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