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Govt Jobs : Opening

छत्तीसगढ़ सब-इंस्पेक्टर भर्ती: 655 पदों के लिए फॉर्म भरवाकर भूल गई सरकार!

सोचिए सरकार कोई योजना लॉन्च करे, कोई वैकेंसी निकाले और इसे पूरा करना या क्रियान्वित करना भूल जाए. सुनने में थोड़ा अजीब लग रहा है, लेकिन छत्तीसगढ़ की सरकार ने ऐसा करके दिखाया है. साल 2018 में निकाली गई सब-इंस्पेक्टर और सूबेदार की भर्ती का फॉर्म भरवाने के बाद छत्तीसगढ़ सरकार इसे भूल गई. दो साल बीत चुके हैं और अब तक न इस भर्ती की कोई परीक्षा हुई है, न ही आगे होने की कोई जानकारी है.     


क्या है मामला? 
अगस्त 2018 में 655 पदों पर SI सूबेदार, प्लाटून कमांडर की भर्ती के लिए छत्तीसगढ़ पुलिस की ओर से ऑनलाइन आवेदन मंगाए गए. 24 अक्टूबर 2018 तक इसके लिए आवेदन लिए गए. इसी बीच राज्य में विधानसभा चुनाव शुरू हो जाते हैं और भर्ती की प्रक्रिया पर ब्रेक लग जाती है. सुकमा जिले के रहने वाले सूरज बताते हैं,
अगस्त 2018 में भर्ती आई थी. 655 पदों पर. उसमें प्लाटून कमांडर, सूबेदार वगैरह मिलाकर पांच तरह की पोस्ट थी. हर पोस्ट के लिए अलग-अलग फॉर्म भराए गए थे. जैसे अगर आप प्लाटून कमांडर, सब-इंस्पेक्टर और सूबेदार- तीनों के लिए अप्लाई करते हैं, तो 1200 रुपए लगेंगे. फॉर्म भर दिया. सबकुछ हो गया, लेकिन अब तक एग्जाम नहीं हुआ. न तो कोई फिजिकल हुआ, न ही कोई रिटेन एग्जाम हुआ. दो साल पूरे हो गए. न तो शासन से कोई रिस्पॉन्स मिलता है, न ही प्रशासन से. सरकार का इस पर कोई स्टैंड ही नहीं है.
छत्तीसगढ़ सब-इंस्पेक्टर भर्ती का विज्ञापन
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हर पोस्ट के लिए अलग आवेदन
655 पदों की वैकेंसी में सूबेदार, सब-इंस्पेक्टर, सब-इंस्पेक्टर (स्पेशल ब्रांच), प्लाटून कमाण्डर समेत  तरह आठ तरह के पद थे. सबके लिए अलग-अलग आवेदन लिया गया था. रायपुर के अमर ठाकुर बताते हैं,
सब-इंस्पेक्टर के लिए मैंने भी अप्लाई किया था. एक पोस्ट के लिए एप्लीकेशन चार्ज 400 रुपए था. जो चार पोस्ट के लिए अप्लाई कर रहा था, उससे 1600 रुपए लिए गए. उसमें 1.5 लाख के लगभग लोगों ने भरा था. हम लोगों ने आन्दोलन वगैरह भी किया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. गृह मंत्री ने भी आश्वासन दिया था कि भर्ती कराएंगे, लेकिन हुआ कुछ नहीं. कोई कुछ क्लियर जवाब देता ही नहीं है. देख रहे हैं, बता रहे हैं, करेंगे- इस टाइप के जवाब आते हैं. अगर दो साल से देखें यानी कि जब से ये गवर्नमेंट चेंज हुई है, एक CGPSC का एग्जाम हुआ है बस. बाकी आप कोई भी वैकेंसी ले लो, अटका ही हुआ है. 
मुख्यमंत्री के जनचौपाल में भी अभ्यर्थियों को आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला.
मुख्यमंत्री के जन चौपाल में भी अभ्यर्थियों को आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला.
सब-इंस्पेक्टर भर्ती के लिए आवदेन करने वालों ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से इस भर्ती को पूरा कराने के लिए पत्र लिखा. ज्ञापन सौंपा और जनचौपाल में भी अपील की. लेकिन हर बार केवल आश्वासन ही मिला. ये अभ्यर्थी कई बार धरना दे चुके हैं, साथ ही ट्विटर पर सीएम को टैग कर भी अनुरोध कर चुके हैं, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. स्थानीय पत्रकार रवि मिरी बताते हैं,
 छह महीने तो नई सरकार बनाने में ही लग गए. फिर भर्ती के लिए अप्लाई करने वालों ने अलग-अलग जगहों पर प्रदर्शन करना शुरू कर दिया. लेकिन सरकार ने उनकी बात नहीं सुनी. अभ्यर्थी जन चौपाल में गए. वहां मुख्यमंत्री जी को अपनी सारी दिक्कतें बताईं. तो उन्होंने आश्वासन दिया कि हां हम देखते हैं, लेकिन ये बस आश्वासन ही रह गया. इससे पहले सब-इंस्पेक्टर की भर्ती 2011 में आई थी. आप सोचिए सात साल तक इंतजार के बाद भर्ती आई थी, लेकिन इसमें भी कुछ नहीं हो रहा. 
जिला आरक्षकों की भर्ती भी है अटकी
655 सब-इंस्पेक्टर की भर्ती इकलौती भर्ती नहीं है, जो अटकी पड़ी हो. 2017 में जिला आरक्षक बल में 2259 आरक्षकों की भर्ती आई थी. लेकिन अब तक पूरी नहीं हो पाई है. अभ्यर्थियों का आरोप है कि इस भर्ती में नियमों को इतना तोड़ा-मरोड़ा गया कि लिखित परीक्षा और फिजिकल टेस्ट हो जाने के बावजूद हाईकोर्ट ने भर्ती को रद्द कर दिया था. हालांकि बाद में हाईकोर्ट ने अपने फैसले को बदला, लेकिन फिजिकल टेस्ट को कैंसिल कर दिया. सरकार को दोबारा फिजिकल टेस्ट कराने और तीन महीने के अंदर भर्ती को पूरा करने का आदेश दिया था. लेकिन COVID-19 की वजह से ये अभी पूरी नहीं हो सकी है.
पूर्व आईएएस और बीजेपी से विधानसभा चुनाव लड़ चुके ओपी चौधरी सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कहते हैं,
छत्तीसगढ़ राज्य में कांग्रेस की सरकार करप्ट एनार्की चला रही है. भर्ती उद्योग, ट्रांसफर इंडस्ट्री चल रही है. भर्तियों में लेट-लतीफी और व्यापक भ्रष्टाचार चल रहा है. शिक्षक भर्ती, पुलिस भर्ती, SI भर्ती, सब इसके उदाहरण हैं. 
अब सवाल ये है कि लगभग दो साल बीत जाने के बाद भी छत्तीसगढ़ सरकार सब-इंस्पेक्टर और तीन साल में जिला आरक्षकों की भर्ती क्यों नहीं कर पाई? ये सवाल हमने सरकार से पूछा भी. सब-इंस्पेक्टर के 655 पदों की भर्ती पर हमें कोई जवाब नहीं मिला. जिला आरक्षकों की भर्ती के लिए हाईकोर्ट ने सरकार को तीन महीने का समय दिया था. अब सरकार हाईकोर्ट से तीन महीने का समय और चाहती है.

छत्तीसगढ़ सरकार से मिली जानकारी के मुताबिक, डीजीपी डीएम अवस्थी ने हाईकोर्ट से फिजिकल टेस्ट कराने के लिए तीन महीने का समय और मांगा है. डीजीपी ने कहा है कि कोरोना वायरस संक्रमण के कारण आरक्षक भर्ती प्रक्रिया के तहत होने वाली शारीरिक दक्षता परीक्षा अभी करा पाना संभव नहीं है.

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