रायपुर(निप्र)। सरकारी स्कूलों में कुछ शिक्षक इनोवेशन के जरिए पढ़ाई के
साथ-साथ व्यवहारिक ज्ञान देने का प्रयास कर रहे हैं। इन शिक्षकों का मानना
है कि बच्चों को सिर्फ किताबी ज्ञान देना ही पर्याप्त नहीं है, उन्हें
जिंदगी की वास्तविकता से रूबरू कराने की भी जरूरत है। समस्याएं दूर करने,
विषयों को समझाने, पानी बचाने के तरीके खोजकर ये शिक्षक पढ़ाई के साथ अमूल्य
सामाजिक योगदान भी दे रहे हैं।
किसी ने हाथ धोने के लिए मोबाइल स्लैब बनाया है तो किसी ने पानी बचाने के लिए टपक सिंचाई पद्धति विकसित की है तो कोई घरेलू वेस्ट मटेरियल से एक्टिव लर्निंग साइंस पढ़ा रहा है, वीडियो के जरिए समझा रहा है।
केस 01
हाथ धुलाई के लिए बनाया मोबाइल स्लैब
शिक्षक : नितेश सिंगरौल, शिक्षाकर्मी वर्ग 02
स्कूलः सरकारी मिडिल स्कूल मोढ़े, तखतपुर, बिलासपुर
नवाचार : शिक्षक नितेश ने चलित हाथ धुलाई स्लैब तैयार किया है। इसे बच्चे आसानी से एक से दूसरी जगह ले जा सकते हैं। इसे मोबाइल स्लैब नाम दिया गया है, जो बहुत ही कम संसाधन से बना है।
प्रेरणाः गांव के बच्चे एक साथ मिलकर सुरक्षित व सही तरीके हाथ धोएं। इससे पहले यहां हाथ धोने के लिए बने स्लैब को आसामाजिक तत्व तोड़ देते थे। इसलिए शिक्षक ने यह इनोवेशन किया।
आगे क्याः नितेश ने बताया कि वे अब बच्चों में मानचित्र की व्यवहारिक समझ विकसित करने का प्रयास कर रहे हैं। ब्लैकबोर्ड पर या किताब से मानचित्र को समझाने के बजाय स्कूल परिसर में जमीन पर चित्र बनाकर समझा रहे हैं।
केस 02
गर्मी में पानी बचाने पौधों की टपक सिंचाई
शिक्षकः राजेश कुमार सूर्यवंशी, शिक्षक पंचायत
स्कूल : सरकारी मिडिल स्कूल नवापारा जांजगीर-चांपा
नवाचारः भीषण गर्मी में स्कूल परिसर में लगे पौधों को बचाने के लिए यहां के शिक्षक राजेश कुमार ने टपक सिंचाई (ड्रिप इरीगेशन) पद्धति विकसित की है। ताकि कम पानी भी पौधों की जड़ों तक पहुंचे और लगातार नमी बनी रहे। इसके लिए प्लास्टिक की बोतलें एकत्र की गई हैं। अस्पताल में उपयोग में लाए जाने वाले आईवी सेट की सहायता से पौंधों पर उसी तरह पानी टपकाया जा रहा है, जिस तरह मरीजों को बॉटल चढ़ाया जाता है।
प्रेरणाः आसपास के इलाके में पानी की बेहद कमी है। गर्मी में बोर सूख गए हैं, ऐसे में पानी बचाने के साथ पौधों को हरा-भरा रखने की तरकीब सोची।
आगे क्याः शिक्षक का कहना है कि हर बच्चे को पानी बचाने की सीख दे रहा हूं। बच्चे अपने घर के पौधों को भी पानी देने के लिए टपक सिंचाई पद्धति अपनाएं, इसके लिए प्रयास कर रहा हूं। इसका वीडियो बनाकर यू-ट्यूब में भी अपलोड किया गया है।
केस 03
घरेलू वेस्ट मटेरियल से साइंस की पढ़ाई
शिक्षकः केशव राम वर्मा
स्कूलः पंचम दीवान उच्च प्राइमरी सरकारी स्कूल भाटापारा
नवाचारः एक्टिव लर्निंग इन साइंस के जरिए बच्चों को खराब घरेलू सामान से विज्ञान पढ़ा रहे हैं। गुब्बारे से हवा के बारे में जानकारी देते हैं। पानी को पेन में डुबोकर और कांच के गिलास में पानी लेकर प्रकाश के अपवर्तन के बारे में पढ़ाते हैं। यानी विज्ञान के हर चैप्टर को पढ़ाने में घरेलू वेस्ट मटेरियल का इस्तेमाल करते हैं। ग्लोबल वॉर्मिंग जैसे ज्वलंत मुद्दे को वीडियो के जरिए पढ़ा रहे हैं।
प्रेरणाः सिर्फ किताबी ज्ञान साइंस में काफी नहीं है, व्यवहारिक ज्ञान बहुत जरूरी है।
आगे क्याः केशव चाहते हैं कि प्रदेश के दूसरे स्कूलों में भी प्राइमरी स्तर से किट के जरिए साइंस की पढ़ाई कराई जाए। इसके लिए वे अपने स्तर पर प्रयास कर रहे हैं।
केस 04
ऑनलाइन वीडियो से करा रहीं पढ़ाई
शिक्षिकः प्रेरणा मिश्रा, शिक्षाकर्मी वर्ग एक रसायन
स्कूलः सरकारी कन्या हायर सेकंडरी स्कूल नवापारा
इनोवेशनः शिक्षिका प्रेरणा मिश्रा ऑनलाइन लर्निंग मटेरियल निर्माता कंपनियों से मटेरियल खरीदकर बच्चों को कम्प्यूटर के जरिए पढ़ा रही हैं। खासकर विज्ञान में सारे प्रैक्टिकल वीडियो के जरिए बच्चों को समझाती हैं। इसके लिए कोई सरकारी मदद नहीं मिलती है। पे्ररणा बड़े बच्चों को पढ़ाने के बाद प्राइमरी के बच्चों को कम्प्यूटर में वीडियो के जरिए अल्फाबेट, ककहरा, पहाड़ा पढ़ा रही हैं।
प्रेरणाः बच्चे जो किताब में पढ़ रहे हैं, उन्हीं को क्लास में वीडियो के जरिए बेहतर तरीके से सिखाने की उत्सुकता।
आगे क्याः प्रेरणा का कहना है अब बदले हुए परिवेश में सरकारी स्कूलों के बच्चों को भी नई तकनीक से पढ़ाया जाए, इसके लिए सरकार तक आवाज पहुंचाऊंगी।
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
किसी ने हाथ धोने के लिए मोबाइल स्लैब बनाया है तो किसी ने पानी बचाने के लिए टपक सिंचाई पद्धति विकसित की है तो कोई घरेलू वेस्ट मटेरियल से एक्टिव लर्निंग साइंस पढ़ा रहा है, वीडियो के जरिए समझा रहा है।
केस 01
हाथ धुलाई के लिए बनाया मोबाइल स्लैब
शिक्षक : नितेश सिंगरौल, शिक्षाकर्मी वर्ग 02
स्कूलः सरकारी मिडिल स्कूल मोढ़े, तखतपुर, बिलासपुर
नवाचार : शिक्षक नितेश ने चलित हाथ धुलाई स्लैब तैयार किया है। इसे बच्चे आसानी से एक से दूसरी जगह ले जा सकते हैं। इसे मोबाइल स्लैब नाम दिया गया है, जो बहुत ही कम संसाधन से बना है।
प्रेरणाः गांव के बच्चे एक साथ मिलकर सुरक्षित व सही तरीके हाथ धोएं। इससे पहले यहां हाथ धोने के लिए बने स्लैब को आसामाजिक तत्व तोड़ देते थे। इसलिए शिक्षक ने यह इनोवेशन किया।
आगे क्याः नितेश ने बताया कि वे अब बच्चों में मानचित्र की व्यवहारिक समझ विकसित करने का प्रयास कर रहे हैं। ब्लैकबोर्ड पर या किताब से मानचित्र को समझाने के बजाय स्कूल परिसर में जमीन पर चित्र बनाकर समझा रहे हैं।
केस 02
गर्मी में पानी बचाने पौधों की टपक सिंचाई
शिक्षकः राजेश कुमार सूर्यवंशी, शिक्षक पंचायत
स्कूल : सरकारी मिडिल स्कूल नवापारा जांजगीर-चांपा
नवाचारः भीषण गर्मी में स्कूल परिसर में लगे पौधों को बचाने के लिए यहां के शिक्षक राजेश कुमार ने टपक सिंचाई (ड्रिप इरीगेशन) पद्धति विकसित की है। ताकि कम पानी भी पौधों की जड़ों तक पहुंचे और लगातार नमी बनी रहे। इसके लिए प्लास्टिक की बोतलें एकत्र की गई हैं। अस्पताल में उपयोग में लाए जाने वाले आईवी सेट की सहायता से पौंधों पर उसी तरह पानी टपकाया जा रहा है, जिस तरह मरीजों को बॉटल चढ़ाया जाता है।
प्रेरणाः आसपास के इलाके में पानी की बेहद कमी है। गर्मी में बोर सूख गए हैं, ऐसे में पानी बचाने के साथ पौधों को हरा-भरा रखने की तरकीब सोची।
आगे क्याः शिक्षक का कहना है कि हर बच्चे को पानी बचाने की सीख दे रहा हूं। बच्चे अपने घर के पौधों को भी पानी देने के लिए टपक सिंचाई पद्धति अपनाएं, इसके लिए प्रयास कर रहा हूं। इसका वीडियो बनाकर यू-ट्यूब में भी अपलोड किया गया है।
केस 03
घरेलू वेस्ट मटेरियल से साइंस की पढ़ाई
शिक्षकः केशव राम वर्मा
स्कूलः पंचम दीवान उच्च प्राइमरी सरकारी स्कूल भाटापारा
नवाचारः एक्टिव लर्निंग इन साइंस के जरिए बच्चों को खराब घरेलू सामान से विज्ञान पढ़ा रहे हैं। गुब्बारे से हवा के बारे में जानकारी देते हैं। पानी को पेन में डुबोकर और कांच के गिलास में पानी लेकर प्रकाश के अपवर्तन के बारे में पढ़ाते हैं। यानी विज्ञान के हर चैप्टर को पढ़ाने में घरेलू वेस्ट मटेरियल का इस्तेमाल करते हैं। ग्लोबल वॉर्मिंग जैसे ज्वलंत मुद्दे को वीडियो के जरिए पढ़ा रहे हैं।
प्रेरणाः सिर्फ किताबी ज्ञान साइंस में काफी नहीं है, व्यवहारिक ज्ञान बहुत जरूरी है।
आगे क्याः केशव चाहते हैं कि प्रदेश के दूसरे स्कूलों में भी प्राइमरी स्तर से किट के जरिए साइंस की पढ़ाई कराई जाए। इसके लिए वे अपने स्तर पर प्रयास कर रहे हैं।
केस 04
ऑनलाइन वीडियो से करा रहीं पढ़ाई
शिक्षिकः प्रेरणा मिश्रा, शिक्षाकर्मी वर्ग एक रसायन
स्कूलः सरकारी कन्या हायर सेकंडरी स्कूल नवापारा
इनोवेशनः शिक्षिका प्रेरणा मिश्रा ऑनलाइन लर्निंग मटेरियल निर्माता कंपनियों से मटेरियल खरीदकर बच्चों को कम्प्यूटर के जरिए पढ़ा रही हैं। खासकर विज्ञान में सारे प्रैक्टिकल वीडियो के जरिए बच्चों को समझाती हैं। इसके लिए कोई सरकारी मदद नहीं मिलती है। पे्ररणा बड़े बच्चों को पढ़ाने के बाद प्राइमरी के बच्चों को कम्प्यूटर में वीडियो के जरिए अल्फाबेट, ककहरा, पहाड़ा पढ़ा रही हैं।
प्रेरणाः बच्चे जो किताब में पढ़ रहे हैं, उन्हीं को क्लास में वीडियो के जरिए बेहतर तरीके से सिखाने की उत्सुकता।
आगे क्याः प्रेरणा का कहना है अब बदले हुए परिवेश में सरकारी स्कूलों के बच्चों को भी नई तकनीक से पढ़ाया जाए, इसके लिए सरकार तक आवाज पहुंचाऊंगी।
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC