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9वीं में नया सिलेबस, रटने की बजाय समझने पर जोर

बिलासपुर(निप्र)। एनसीईआरटी की तर्ज पर राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद(एससीईआरटी) ने 9वीं के सिलेबस में बदलाव किया है। इसमें रट्टामार की बजाय व्यवहारिक पढ़ाई पर जोर दिया गया है। गणित के प्रश्नों को इस तरह समझाया गया है कि शिक्षक की मदद के बिना भी विद्यार्थी हल पाएं।

एसईसीआरटी ने बोर्ड के रिजल्ट में सुधार लाने सभी विषयों में लगभग 20 प्रतिशत सिलेबस में बदलाव किया है। 9वीं गणित के सिलेबस पर विशेष ध्यान दिया गया है। इससे बच्चे दसवीं में पहुंचने के बाद बोर्ड की परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन कर पाएंगे। शिक्षाविदों के मुताबिक नई किताबें विद्यार्थियों को नई दिशा देने वाली हैं। भुजा, सांख्यिकी, अनुपात, आंकड़े, प्रतिशत और ज्यामितीय व प्रयोजन को समझाने के लिए छात्रों को ब्रेन स्टार्रिमिंग(मंथन या स्वयं हल करने की विधि) बताई गई है। इससे विद्यार्थी शिक्षक की मदद के बिना भी प्रश्नों को हल कर सकेंगे। रट्टा मारकर पढ़ाई करना या उत्तर की कॉपी करना अब मुश्किल होगा। गणित के सवाल को आसपास के क्रियाकलाप और वस्तुओं को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। सिलेबर के अनुसार छपी पुस्तकों को छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम ने प्रत्येक जिलों के ब्लाक डिपो में भेज दिया है। जल्द ही स्कूलों में इसका वितरण शुरू होगा।
ऐसा होगा पढ़ाई का तरीका
अब तक गणित के शिक्षक किताब से एक दो प्रश्न हल करते थे। विद्यार्थी उसे हूबहू उतारते या रट लेते थे। अब बिना समझे उत्तर लिखना आसान नहीं होगा। उदाहरण के तौर पर अगर पूछा गया कि त्रिभुज कैसे होते हैं, तो छात्रों को अपने क्लास, घर या रास्ते से त्रिभुज का उदाहरण देना होगा। इसी तरह देश की जनसंख्या व आंकड़े पूछे गए तो क्लास या घर के सदस्यों की संख्या पर उदाहरण प्रस्तुत करना होगा।
शिक्षकों को भी प्रशिक्षण
नए सिलेबस पर शिक्षकों को भी प्रशिक्षण अनिवार्य है। कुछ दिनों पहले राजधानी में प्रदेश के प्रत्येक ब्लाकों से दो-दो शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया गया है। वे अब अपने ब्लाक के स्कूलों में शिक्षकों को प्रशिक्षित करेंगे। अधिकारियों की मानें तो पढ़ाई में शिक्षकों की ईमानदारी बेहद जरूरी है। जिले में बोर्ड के रिजल्ट खराब आने में शिक्षक भी जिम्मेदार हैं।
कलेवर भी बदला
सिलेबर के साथ किताब का कलेवर भी बदल गया है। रंगीन प्रिटिंग के साथ उदहरण को महत्व दिया गया है। भीतर के पन्नों में भी उदाहरण को अलग-अलग रंगों में प्रस्तुत कर आकर्षिक बनाने की कोशिश की गई है। स्वच्छता और साफ सफाई को लेकर जागरूक किया गया है। किताब होशियार और कमजोर दोनों बच्चों को ध्यान में रखकर तैयार करने का दावा भी किया जा रहा है।
75 व 25 नंबर के प्रश्नपत्र
एनसीईआरटी की तर्ज पर अब राज्य के स्कूलों के विद्यार्थियों को भी 75 नंबर के सैद्धांतिक व 25 नंबर के प्रायोजन, अभिव्यक्त कौशल की परीक्षा देनी होगी। वार्षिक परीक्षा में दोनों के अंक जोड़े जाएंगे। इसके साथ ही हर महीने टेस्ट होगा। शिक्षकों को इसके लिए खास मशक्कत भी करनी होगी। क्लास में पढ़ाई के बाद अभिभावकों को हर महीने फीडबैक भी देना होगा कि उनका बच्चा कैसी पढ़ाई कर रहा है।
एससीआरटी ने 9वीं के सिलेबर में व्यापक बदलाव किए हैं। विद्यार्थियों को इससे काफी फायदा होगा। सवालों को समझने के साथ स्वयं हल कर पाएंगे। रट्टा मारने वाले को परेशानी होगी। गणित के अधिकांश सवाल व्यवहारिक जीवन से जुड़े हैं। शिक्षकों को जल्द ही इसके लिए ट्रेनिंग दी जाएगी।
डॉ.आरके गौरहा
लेखक समूह में शामिल सदस्य एवं प्राचार्य
गवर्नमेंट मल्टीपरपज स्कूल बिलासपुर
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