रायपुर। मापदंड तो यह है कि कम से कम 50 फीसदी अंकों के साथ बीएससी पास शिक्षक ही छठवीं से आठवीं तक के बच्चों को विज्ञान, गणित विषय पढ़ाएं, लेकिन आलम यह है कि दस हजार आर्ट के शिक्षक विभिन्न स्कूलों में बच्चों को साइंस पढ़ा रहे हैं। छात्र-छात्राओं की पढ़ाई का स्तर सुधारने के लिए राज्य सरकार डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम शिक्षा गुणवत्ता अभियान चला रही है।
लेकिन अगर आर्ट की शिक्षक विज्ञान-गणित पढ़ाएंगे तो बच्चों की नैया कैसे पार होगी?
फैक्ट फाइल
47 हजार स्कूल हैं प्रदेश में
10 हजार आर्ट के शिक्षक पढ़ा रहे
35 हजार 325 प्राइमरी स्कूल हैं प्रदेश में
2 लाख से ज्यादा शिक्षक पढ़ाने के लिए तैनात बच्चों को
बेसिक साइंस पढ़ाने के लिए राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) ने एक कोर्स डिजाइन किया था, लेकिन सेवा नियमों में इस तरह के कोई प्रावधान न होने से मामला अटक गया है। लिहाजा हजारों बच्चों को विज्ञान के कम ज्ञान वाले शिक्षक पढ़ा रहे हैं। शिक्षा का स्तर न सुधरने के लिए यह भी एक अहम कारण है।
विज्ञान स्नातक की मान्यता देने की थी योजना
शिक्षा विभाग ने कला संकाय के उन शिक्षकों को जो विज्ञान पढ़ा रहे हैं, विज्ञान में स्नातक की मान्यता देने की तैयारी की थी। ये शिक्षक अपनी इच्छा से विज्ञान पढ़ा रहे हैं। एससीईआरटी इन शिक्षकों के लिए अपर प्राइमरी सर्टिफिकेट प्रोग्राम चलाने की योजना बनाई थी। सिलेबस भी तैयार कर लिया गया है, लेकिन कोर्स अभी तक नहीं शुरू हो पाया।
युक्तियुक्तकरण में हुआ था खुलासा
पिछले सालों में सरकार ने कला के शिक्षकों की नियुक्ति ज्यादा कर ली है। लिहाजा इन शिक्षकों को खपाने के लिए पदों का सेटअप भी नहीं है। पिछले साल इस बात का खुलासा तब हुआ था, जब विषयवार शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण करके एक स्थान से दूसरे स्थान के लिए तबादला किया जा रहा था। कई शिक्षकों ने अपनी जगह में टिके रहने के लिए दूसरे विषय पढ़ाने के लिए हामी भरी थी। स्कूल शिक्षा विभाग के एक सर्वे में यह बात सामने आई है कि कई सरकारी स्कूलों में विज्ञान पढ़ाने वाले 60 फीसदी से अधिक शिक्षक ऐसे हैं, जो विज्ञान विषय में स्नातक ही नहीं हैं। इसके बाद उनकी योग्यता परखने के लिए सर्टिफिकेट प्रोग्राम बनाया गया था।
यह होना चाहिए मापदंड
आरटीई के मापदंडों के अनुसार 6वीं से 8वीं तक कक्षाओं में विज्ञान पढ़ाने वाले शिक्षकों को कम से कम 50 प्रतिशत अंकों के साथ बीएससी उत्तीर्ण होना जरूरी है। प्रदेश में शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण के बाद अभी करीब 10 हजार कला के शिक्षक विभिन्ना स्कूलों में गणित और अंग्रेजी पढ़ा रहे हैं। रायपुर में करीब एक हजार शिक्षक ऐसे हैं जो दूसरे विषय पढ़ा रहे हैं।
नियमों में अटका कोर्स
कला संकाय से स्नातक करने वाले उन शिक्षकों को जो स्कूलों में विज्ञान पढ़ा रहे हैं, साइंस का सर्टिफिकेट देने के लिए कोर्स डिजाइन किया गया है लेकिन कुछ सेवा नियमों के कारण यह प्रस्ताव अटका हुआ है।
- संजय ओझा, संचालक , एससीईआरटी
एक्सपर्ट व्यू
जिन शिक्षकों ने बारहवीं तक विज्ञान से पढ़ाई की है, वे तो कुछ हद तक ठीक हैं, लेकिन जिन्होंने दसवीं से विज्ञान की पढ़ाई छोड़कर आगे कला में पढ़ाई की है तो ऐसे शिक्षक यदि पढ़ा रहे हैं तो पढ़ाई प्रभावित होगी। शिक्षा की गुणवत्ता परखने के लिए बच्चों से परखा जा सकता है कि क्या उनके शिक्षक जो पढ़ा रहे हैं वह बेहतर है या नहीं।
- डॉ. अम्बादेवी सेठ, शिक्षाविद्
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