जिले में
सहायक शिक्षकों के तबादले को लेकर शिक्षाकर्मी संघ ने जिला पंचायत शिक्षा
इकाई पर जमकर सौदे-बाजी का आरोप लगाया है। संघ का कहना है कि पहले 283
सहायक शिक्षकों को अतिशेष बता उन्हें जिले से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया
था।
अब 64 पदों को रिक्त बता चुपके से बाहर से आने वाले शिक्षकों को एनओसी दी गई। मामले में उच्चाधिकारियों को अंधेरे में रखकर जिला पंचायत के शिक्षा शाखा में तैनात अमला भ्रष्टाचार को अंजाम दिया जा है। जिला पंचायत ने सफाई में कहा कि ट्रांसफर के दौरान जिले से बाहर जाने वाले शिक्षकों के चलते ही 51 पद खाली हुए थे। इसके अलावा अंतागढ़ व कोयलीबेड़ा ब्लॉक में हाल ही में 13 पद रिक्त होने की जानकारी मिली है। इसमें बाहर से आने वाले शिक्षकों की पदस्थापना की जा रही है।
जिला पंचायत के शिक्षा ईकाई से जुड़े सरकारी नुमाइंदों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते संघ के स्वदेश शुक्ला, हेमंद्र साहसी, वजीद खान, मनीष तिवारी, धर्मजार कुरेटी, डुमेंद्र साहू समेत अन्य शिक्षकों ने सवाल किया कि अचानक इतने पद रिक्त होना समझ से परे हैं। अब बाहर से आने वाले शिक्षकों से सौदेबाजी कर उन्हें यहां पदस्थ किया जा रहा है। ट्रांसफर, एनओसी व पदस्थापना के नाम पर जिला पंचायत में जमकर पैसों का खेल खेला गया है। एसे शिक्षाकर्मियों से अच्छी खासी मोटी रकम वसूल की गई है। एक-एक कर एनओसी देना ही संदेहास्पद है।
जिले के 283 शिक्षकों को बाहर का रास्ता दिखाने के बाद उनमें से 140 शिक्षकों ने कोर्ट में याचिका लगाई है। शिक्षक सात माह से फैसले के इंतजार में बैठे हैं। शिक्षाकर्मी संघ पदाधिकारियों ने कहा कि शिक्षाकर्मी ट्रांसफर पोस्टिंग के नाम किसी को पैसे ना दें। कोई पैसे के लिए दबाव बनाता है तो उसके खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज कराएं।
नियमानुसार की गई कार्रवाई, पैसे लेनदेन का आरोप बेबुनियाद
अतिशेष
की कार्रवाई पहले की गई थी। वर्तमान में जिले से कुछ शिक्षाकर्मी बाहर गए
उसके बाद पद रिक्त हुए हैं। बाहर से आने वाले शिक्षकों को भर्ती की जा रही
है। इसके लिए पैसे लेनदेन का आरोप बेबुनियाद है। अतिशेष की कार्रवाई
नियमानुसार की गई है। दिलीप कुर्रे, एडिशनल सीईओ जिला पंचायत कांकेर
बीईओ और जिला पंचायत द्वारा अतिशेष की जारी सूची में भारी अंतर
अतिशेष को लेकर जो सूची जारी की गई है उसमें भारी अंतर है। इसे लेकर भी कई तरह के संदेह है। शिक्षाकर्मी त्रिवेणी जैन ने बताया जब बीईओ के कार्यालय से अतिशेष की सूची जारी की गई थी, उसमें उनका नाम नहीं था। वहीं जब जिला पंचायत की सूची जारी हुई तो उनका नाम अतिशेष में आ गया। ये कैसे हो सकता है।
जिले के शिक्षाकर्मियों को नहीं मिली प्राथमिकता
एक ओर जिला प्रशासन पति-प|ी प्रकरण के तहत बाहर जाने वाले लोगों के कारण पद रिक्त होना बता रहा है। वहीं दूसरी ओर बड़ी संख्या में जिले के अंदर ही पति-प|ी प्रकरण के तहत तबादले के लिए शिक्षाकर्मियों ने आवेदन लगाए थे। इन लोगों के आवेदन पर कोई विचार नहीं किया गया। इसके चलते वे आज भी जिला पंचायत के चक्कर लगा रहे हैं।
अलग अलग काम के लिए अलग-अलग रेट
संघ का कहना है कि जिला पंचायत में अलग अलग काम के लिए अलग अलग रेट फिक्स किया गया है। उसी के मुताबिक शिक्षाकर्मियों से रेट वसूले जा रहे हैं। बाहर से आने वाले शिक्षकों को एनओसी व पदस्थापना के लिए 30 हजार से एक लाख रुपए तक लिया जा रहा है। यहां से बाहर जाने वाले शिक्षकों को एनओसी देने के लिए 10 हजार और पदोन्नति संशोधन के लिए 20 हजार रुपए का रेट फिक्स किया गया है।
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अब 64 पदों को रिक्त बता चुपके से बाहर से आने वाले शिक्षकों को एनओसी दी गई। मामले में उच्चाधिकारियों को अंधेरे में रखकर जिला पंचायत के शिक्षा शाखा में तैनात अमला भ्रष्टाचार को अंजाम दिया जा है। जिला पंचायत ने सफाई में कहा कि ट्रांसफर के दौरान जिले से बाहर जाने वाले शिक्षकों के चलते ही 51 पद खाली हुए थे। इसके अलावा अंतागढ़ व कोयलीबेड़ा ब्लॉक में हाल ही में 13 पद रिक्त होने की जानकारी मिली है। इसमें बाहर से आने वाले शिक्षकों की पदस्थापना की जा रही है।
जिला पंचायत के शिक्षा ईकाई से जुड़े सरकारी नुमाइंदों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते संघ के स्वदेश शुक्ला, हेमंद्र साहसी, वजीद खान, मनीष तिवारी, धर्मजार कुरेटी, डुमेंद्र साहू समेत अन्य शिक्षकों ने सवाल किया कि अचानक इतने पद रिक्त होना समझ से परे हैं। अब बाहर से आने वाले शिक्षकों से सौदेबाजी कर उन्हें यहां पदस्थ किया जा रहा है। ट्रांसफर, एनओसी व पदस्थापना के नाम पर जिला पंचायत में जमकर पैसों का खेल खेला गया है। एसे शिक्षाकर्मियों से अच्छी खासी मोटी रकम वसूल की गई है। एक-एक कर एनओसी देना ही संदेहास्पद है।
जिले के 283 शिक्षकों को बाहर का रास्ता दिखाने के बाद उनमें से 140 शिक्षकों ने कोर्ट में याचिका लगाई है। शिक्षक सात माह से फैसले के इंतजार में बैठे हैं। शिक्षाकर्मी संघ पदाधिकारियों ने कहा कि शिक्षाकर्मी ट्रांसफर पोस्टिंग के नाम किसी को पैसे ना दें। कोई पैसे के लिए दबाव बनाता है तो उसके खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज कराएं।
नियमानुसार की गई कार्रवाई, पैसे लेनदेन का आरोप बेबुनियाद
बीईओ और जिला पंचायत द्वारा अतिशेष की जारी सूची में भारी अंतर
अतिशेष को लेकर जो सूची जारी की गई है उसमें भारी अंतर है। इसे लेकर भी कई तरह के संदेह है। शिक्षाकर्मी त्रिवेणी जैन ने बताया जब बीईओ के कार्यालय से अतिशेष की सूची जारी की गई थी, उसमें उनका नाम नहीं था। वहीं जब जिला पंचायत की सूची जारी हुई तो उनका नाम अतिशेष में आ गया। ये कैसे हो सकता है।
जिले के शिक्षाकर्मियों को नहीं मिली प्राथमिकता
एक ओर जिला प्रशासन पति-प|ी प्रकरण के तहत बाहर जाने वाले लोगों के कारण पद रिक्त होना बता रहा है। वहीं दूसरी ओर बड़ी संख्या में जिले के अंदर ही पति-प|ी प्रकरण के तहत तबादले के लिए शिक्षाकर्मियों ने आवेदन लगाए थे। इन लोगों के आवेदन पर कोई विचार नहीं किया गया। इसके चलते वे आज भी जिला पंचायत के चक्कर लगा रहे हैं।
अलग अलग काम के लिए अलग-अलग रेट
संघ का कहना है कि जिला पंचायत में अलग अलग काम के लिए अलग अलग रेट फिक्स किया गया है। उसी के मुताबिक शिक्षाकर्मियों से रेट वसूले जा रहे हैं। बाहर से आने वाले शिक्षकों को एनओसी व पदस्थापना के लिए 30 हजार से एक लाख रुपए तक लिया जा रहा है। यहां से बाहर जाने वाले शिक्षकों को एनओसी देने के लिए 10 हजार और पदोन्नति संशोधन के लिए 20 हजार रुपए का रेट फिक्स किया गया है।
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