बिलासपुर.16 जून
से शैक्षणिक सत्र शुरू होने के बावजूद मॉडल स्कूल अभी तक नहीं खुले हैं।
जो स्कूल खुले भी हैं वहां पर अभी इक्का-दुक्का शिक्षक ही आ रहे हैं। इन
स्कूलों के संचालन की जिम्मेदारी डीएवी को देने के बाद शिक्षा विभाग भी अब
स्वयं लाचार महसूस कर रहा है, वहीं यहां पढऩे वाले करीब ढाई हजार बच्चे भी
पढ़ाई में पिछड़ रहे हैं।
दरअसल जिले में सीबीएसई पाठ्यक्रम से अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई करवाने के लिए शिक्षा विभाग ने कुछ वर्ष पूर्व मॉडल स्कूल खोले थे। इन स्कूलों में बच्चे छठवीं से लेकर बारहवीं तक नि:शुल्क पढ़ाई कर सकते थे, लेकिन इस वर्ष से विभाग ने जिले में संचालित सातों मॉडल स्कूलों का संचालन निजी शैक्षणिक संस्था डीएवी को दे दिया। निजी संस्था द्वारा विद्यालय के प्रत्येक कक्षा की 33 प्रतिशत सीटों पर नि:शुल्क और शेष बची 67 फीसदी सीटों पर स्वयं द्वारा प्रवेश लेना है।
नि:शुल्क पढ़ेंगे बच्चे
निर्धारित फीस लेकर पढ़ाई कराई जाएगी। वहां पहले से पढ़ रहे बच्चों को भी संस्था 12वीं तक नि:शुल्क पढ़ाएगी। 16 जून से संस्था को स्कूल खोलकर पढ़ाई शुरू करानी थी, लेकिन संस्था ने व्यवस्था के नाम पर इसे 23 जून से स्कूल खोलने की बात कही है। 23 जून को पेंड्रा के चारबहारा का स्कूल फिर भी नहीं खुला। वहीं अन्य सात विकासखण्डों में स्कूल तो खुले, लेकिन उसमें 3-4 शिक्षक ही आए। एेसे में पढ़ाई भी पूरी तरह से शुरू नहीं हो पाई। मजे की बात तो यह है कि स्कूल भवन हस्तांतरण के बाद संस्था का विभाग से कोई संपर्क भी नहीं है।
शिक्षकों की नहीं हुई नियुक्ति
मॉडल स्कूलों में पढ़ाने के लिए डीएवी शिक्षकों की व्यवस्था करेगा। इसके पहले वहां पढ़ा रहे शिक्षकों का कार्यकाल पूरा हो गया है। अब नए शिक्षक निजी संस्था ही स्वयं के वेतन पर नियुक्त करेगी। एक मॉडल स्कूल में करीब डेढ़ दर्जन शिक्षकों की आवश्यकता होती है, लेकिन वर्तमान की बात करें तो एक स्कूल में अभी तक संस्था ने केवल 3 या 4 शिक्षक ही भेजे हैं। जबकि स्कूल में अभी 7वीं से लेकर 11वीं तक की कक्षाएं संचालित हो रही हैं।
प्रवेश में भी पिछड़ा
मॉडल स्कूलों में विभाग का स्वयं का भवन और फर्नीचर आदि होने के बावजूद केवल प्रत्येक क्लास में केवल 33 प्रतिशत बच्चों के प्रवेश का अधिकार है। 25 प्रतिशत आटीई और 8 प्रतिशत दिव्यांग आदि बच्चों के प्रवेश विभाग नि:शुल्क कराया जाएगा। अभी तक केवल 4 स्कूलों में ही नि:शुल्क प्रवेश के लिए गौदरीपाट कोटा में 27, कुडकई पेड्रा 64 देवरीखुर्द तखतपुर 12 और परसोबंद मस्तूरी में 9 आवेदन ही आए हैं। बांकी स्कूलों में अभी तक नि:शुल्क प्रवेश की कोई जानकारी नहीं है।
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दरअसल जिले में सीबीएसई पाठ्यक्रम से अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई करवाने के लिए शिक्षा विभाग ने कुछ वर्ष पूर्व मॉडल स्कूल खोले थे। इन स्कूलों में बच्चे छठवीं से लेकर बारहवीं तक नि:शुल्क पढ़ाई कर सकते थे, लेकिन इस वर्ष से विभाग ने जिले में संचालित सातों मॉडल स्कूलों का संचालन निजी शैक्षणिक संस्था डीएवी को दे दिया। निजी संस्था द्वारा विद्यालय के प्रत्येक कक्षा की 33 प्रतिशत सीटों पर नि:शुल्क और शेष बची 67 फीसदी सीटों पर स्वयं द्वारा प्रवेश लेना है।
नि:शुल्क पढ़ेंगे बच्चे
निर्धारित फीस लेकर पढ़ाई कराई जाएगी। वहां पहले से पढ़ रहे बच्चों को भी संस्था 12वीं तक नि:शुल्क पढ़ाएगी। 16 जून से संस्था को स्कूल खोलकर पढ़ाई शुरू करानी थी, लेकिन संस्था ने व्यवस्था के नाम पर इसे 23 जून से स्कूल खोलने की बात कही है। 23 जून को पेंड्रा के चारबहारा का स्कूल फिर भी नहीं खुला। वहीं अन्य सात विकासखण्डों में स्कूल तो खुले, लेकिन उसमें 3-4 शिक्षक ही आए। एेसे में पढ़ाई भी पूरी तरह से शुरू नहीं हो पाई। मजे की बात तो यह है कि स्कूल भवन हस्तांतरण के बाद संस्था का विभाग से कोई संपर्क भी नहीं है।
शिक्षकों की नहीं हुई नियुक्ति
मॉडल स्कूलों में पढ़ाने के लिए डीएवी शिक्षकों की व्यवस्था करेगा। इसके पहले वहां पढ़ा रहे शिक्षकों का कार्यकाल पूरा हो गया है। अब नए शिक्षक निजी संस्था ही स्वयं के वेतन पर नियुक्त करेगी। एक मॉडल स्कूल में करीब डेढ़ दर्जन शिक्षकों की आवश्यकता होती है, लेकिन वर्तमान की बात करें तो एक स्कूल में अभी तक संस्था ने केवल 3 या 4 शिक्षक ही भेजे हैं। जबकि स्कूल में अभी 7वीं से लेकर 11वीं तक की कक्षाएं संचालित हो रही हैं।
प्रवेश में भी पिछड़ा
मॉडल स्कूलों में विभाग का स्वयं का भवन और फर्नीचर आदि होने के बावजूद केवल प्रत्येक क्लास में केवल 33 प्रतिशत बच्चों के प्रवेश का अधिकार है। 25 प्रतिशत आटीई और 8 प्रतिशत दिव्यांग आदि बच्चों के प्रवेश विभाग नि:शुल्क कराया जाएगा। अभी तक केवल 4 स्कूलों में ही नि:शुल्क प्रवेश के लिए गौदरीपाट कोटा में 27, कुडकई पेड्रा 64 देवरीखुर्द तखतपुर 12 और परसोबंद मस्तूरी में 9 आवेदन ही आए हैं। बांकी स्कूलों में अभी तक नि:शुल्क प्रवेश की कोई जानकारी नहीं है।
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