रायपुर। सूबे में शिक्षा की गुणवत्ता पर लगातार उठ रहे सवालों पर अब लगाम लग सकती है। नई व्यवस्था के अनुसार अब सरकार स्कूलों में लग रही हर क्लास पर नजर रखी जाएगी। यानि अब अधिकारियों द्वारा केवल स्कूल के दौरे नहीं होंगे बल्कि हर क्लास में शिक्षण गतिविधि की जांच होगी।
प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री केदार कश्यप ने मीडिया से बातचीत में बताया है कि राज्य में शालेय शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए बीते साल शुरू किये गए डॉ एपीजे अब्दुल कलाम शिक्षा गुणवत्ता अभियान को हमने इस साल थोडा अपग्रेड किया है। उन्होंने कहा कि इस साल 2016-17 में अभियान के तहत शालाओं की जगह कक्षाओं को केन्द्र में रखा गया है। इसमें स्कूल के कक्षाओं को केन्द्रित करते हुए क्लास में पढ़ा रहे शिक्षकों के बारे में विशेष रूप से आंकलन किया जाएगा।
अभियान से बढ़ी शिक्षकों की अटेंडेंस :
कश्यप ने बताया कि शिक्षा गुणवत्ता अभियान के तहत स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता के लिए हो रहे सुधार के बारे में लगातार समीक्षा कर रहे हैं और वहां कमियों को दूर करने के लिए आवश्यक उपाय तथा कार्य तत्परता से कराए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि अभियान के पहले साल के कार्यक्रम में राज्य के शालाओं में महत्वपूर्ण बदलाव आए है। इस अभियान से 11 हजार 562 शालाओं में शिक्षकों की नियमित उपस्थिति बढ़ी है। दस हजार 899 शालाओं के शिक्षकों द्वारा नियमित शिक्षण योजना प्रारंभ की गई।
मिली थीं शिकायतें :
गौरतलब है कि कुछ महीनों पहले ही सरकार के लोक सुराज अभियान के दौरान शिक्षा व्यवस्था को लेकर कई शिकायतें मिली थीं। जिनमें स्कूल के टीचर दोषी पाए गए थे। उसके बाद सरकार का ये अभियान क्लास में गंभीर न रहनेवाले शिक्षकों के लिए खतरे की घंटी साबित हो सकता है।
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प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री केदार कश्यप ने मीडिया से बातचीत में बताया है कि राज्य में शालेय शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए बीते साल शुरू किये गए डॉ एपीजे अब्दुल कलाम शिक्षा गुणवत्ता अभियान को हमने इस साल थोडा अपग्रेड किया है। उन्होंने कहा कि इस साल 2016-17 में अभियान के तहत शालाओं की जगह कक्षाओं को केन्द्र में रखा गया है। इसमें स्कूल के कक्षाओं को केन्द्रित करते हुए क्लास में पढ़ा रहे शिक्षकों के बारे में विशेष रूप से आंकलन किया जाएगा।
अभियान से बढ़ी शिक्षकों की अटेंडेंस :
कश्यप ने बताया कि शिक्षा गुणवत्ता अभियान के तहत स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता के लिए हो रहे सुधार के बारे में लगातार समीक्षा कर रहे हैं और वहां कमियों को दूर करने के लिए आवश्यक उपाय तथा कार्य तत्परता से कराए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि अभियान के पहले साल के कार्यक्रम में राज्य के शालाओं में महत्वपूर्ण बदलाव आए है। इस अभियान से 11 हजार 562 शालाओं में शिक्षकों की नियमित उपस्थिति बढ़ी है। दस हजार 899 शालाओं के शिक्षकों द्वारा नियमित शिक्षण योजना प्रारंभ की गई।
मिली थीं शिकायतें :
गौरतलब है कि कुछ महीनों पहले ही सरकार के लोक सुराज अभियान के दौरान शिक्षा व्यवस्था को लेकर कई शिकायतें मिली थीं। जिनमें स्कूल के टीचर दोषी पाए गए थे। उसके बाद सरकार का ये अभियान क्लास में गंभीर न रहनेवाले शिक्षकों के लिए खतरे की घंटी साबित हो सकता है।
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