भिलाई. शिक्षा
के अधिकार अधिनियम के तहत निजी स्कूल संचालक जितने बच्चों की फीस शासन से
ले रहे हैं उतने बच्चों को उन्हें क्लासरूम में दिखाना भी होगा। शिक्षा
विभाग अब स्कूल खुलते ही अपनी टीम के जरिए आरटीई की सीट पर मिलने वाली फीस
का ऑडिट कराएगा।
पैमेंट सीट पर दूसरे बच्चे कम
एक अधिकारी और तीन एकाउंटेंट की यह टीम डेढ़ सौ से ज्यादा निजी स्कूलों की जांच करेगी। पांच साल में यह पहला मौका है जब शिक्षा विभाग ने आरटीई की मद से दिए जाने वाले करोड़ों रुपए का हिसाब किताब जानने के लिए अपनी टीम स्कूल तक भेज रहा है। विभाग की मानें तो उन्हें कुछ स्कूलों पर संदेह है कि वे आरटीई की सीट के भरोसे ही अपना स्कूल चला रहे हैं और वहां पैमेंट सीट पर दूसरे बच्चे कम है।
पहली खेप में 16 नोडल
आरटीई में प्रवेश के लिए बने जिले के कुल 48 नोडल स्कूल में करीब 511 निजी स्कूल है इसमें से पहले शहरी क्षेत्र के नोडल अंतर्गत आने वाले स्कूलों का ऑडिट होगा। इसके लिए सहायक संचालक, या एबीईओ के साथ कम से कम तीन-तीन एकाउंटेंट को साथ भेजा जाएगा ताकि वे जल्द से जल्द स्कूलों का लेखा-जोखा देख सकें। पहली बार में 16 नोडल के अंतर्गत आने वाले निजी स्कूलों की जांच की जाएगी।
छोटे स्कूलों में सीट ज्यादा, बड़े में कम
निजी स्कूलों की प्रारंभिक कक्षाओं में उपलब्ध सीटों के आंकड़े पर गौर करें तो छोटे स्तर के स्कूलों में उपलब्ध सीटों की संख्या बड़े स्कूलों के मुकाबले ज्यादा है। इसके पीछे लॉजिक है कि ज्यादा सीट होने पर उसके 25 प्रतिशत सीटों की संख्या भी बढ़ जाती है और बच्चे भी ज्यादा आते हैं, जबकि बड़े स्कूल संचालक चाहते ही नहीं कि उनके यहां गरीब बच्चे पहुंचे। इसलिए वे जानबूझकर नर्सरी में सीट की संख्या कम बताते हैं ताकि आरटीई के तहत उनके स्कूल में कम बच्चों का एडमिशन हो।
बच्चों से पूछेंगे नाम-पता
शिक्षा विभाग की टीम स्कूलों में पहुंचकर उन बच्चों से नाम-पता पूछकर क्रास चैक करेगी ताकि सच्चाई सामने आ सके कि वाकई सरकार जिन बच्चों की फीस स्कूलों को दे रही है उन बच्चों को स्कूल प्रबंधन वाकई पढ़ा रहा है या नहीं।
पांच साल में पहली बार
2011 से शुरू हुए आरटीई फ्री सीट के एडमिशन के बाद शिक्षा विभाग ने एक बार भी स्कूलों में जाकर भौतिक सत्यापन नहीं किया। स्कूल प्रबंधन अपने हिसाब से बच्चों के नाम भेजते हैं और विभाग उन्हें फीस पैमेंट करता है। यह पहला मौका है जब विभाग स्कूल पहुंचकर सारा हिसाब देखेगा।
स्कूल खुलते ही शुरू होगा ऑडिट
जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय दुर्ग के आरटीई प्रभारी अमित घोष ने कहा कि निजी स्कूलों में आरटीई की सीटों के लिए डीईओ के मार्गदर्शन में टीम बनाई जा रही है, यह टीम जल्द ही स्कूलों में पहुंचकर ऑडिट करेगी और बच्चों का फिजिकल सत्यापन भी करेगी।
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पैमेंट सीट पर दूसरे बच्चे कम
एक अधिकारी और तीन एकाउंटेंट की यह टीम डेढ़ सौ से ज्यादा निजी स्कूलों की जांच करेगी। पांच साल में यह पहला मौका है जब शिक्षा विभाग ने आरटीई की मद से दिए जाने वाले करोड़ों रुपए का हिसाब किताब जानने के लिए अपनी टीम स्कूल तक भेज रहा है। विभाग की मानें तो उन्हें कुछ स्कूलों पर संदेह है कि वे आरटीई की सीट के भरोसे ही अपना स्कूल चला रहे हैं और वहां पैमेंट सीट पर दूसरे बच्चे कम है।
पहली खेप में 16 नोडल
आरटीई में प्रवेश के लिए बने जिले के कुल 48 नोडल स्कूल में करीब 511 निजी स्कूल है इसमें से पहले शहरी क्षेत्र के नोडल अंतर्गत आने वाले स्कूलों का ऑडिट होगा। इसके लिए सहायक संचालक, या एबीईओ के साथ कम से कम तीन-तीन एकाउंटेंट को साथ भेजा जाएगा ताकि वे जल्द से जल्द स्कूलों का लेखा-जोखा देख सकें। पहली बार में 16 नोडल के अंतर्गत आने वाले निजी स्कूलों की जांच की जाएगी।
छोटे स्कूलों में सीट ज्यादा, बड़े में कम
निजी स्कूलों की प्रारंभिक कक्षाओं में उपलब्ध सीटों के आंकड़े पर गौर करें तो छोटे स्तर के स्कूलों में उपलब्ध सीटों की संख्या बड़े स्कूलों के मुकाबले ज्यादा है। इसके पीछे लॉजिक है कि ज्यादा सीट होने पर उसके 25 प्रतिशत सीटों की संख्या भी बढ़ जाती है और बच्चे भी ज्यादा आते हैं, जबकि बड़े स्कूल संचालक चाहते ही नहीं कि उनके यहां गरीब बच्चे पहुंचे। इसलिए वे जानबूझकर नर्सरी में सीट की संख्या कम बताते हैं ताकि आरटीई के तहत उनके स्कूल में कम बच्चों का एडमिशन हो।
बच्चों से पूछेंगे नाम-पता
शिक्षा विभाग की टीम स्कूलों में पहुंचकर उन बच्चों से नाम-पता पूछकर क्रास चैक करेगी ताकि सच्चाई सामने आ सके कि वाकई सरकार जिन बच्चों की फीस स्कूलों को दे रही है उन बच्चों को स्कूल प्रबंधन वाकई पढ़ा रहा है या नहीं।
पांच साल में पहली बार
2011 से शुरू हुए आरटीई फ्री सीट के एडमिशन के बाद शिक्षा विभाग ने एक बार भी स्कूलों में जाकर भौतिक सत्यापन नहीं किया। स्कूल प्रबंधन अपने हिसाब से बच्चों के नाम भेजते हैं और विभाग उन्हें फीस पैमेंट करता है। यह पहला मौका है जब विभाग स्कूल पहुंचकर सारा हिसाब देखेगा।
स्कूल खुलते ही शुरू होगा ऑडिट
जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय दुर्ग के आरटीई प्रभारी अमित घोष ने कहा कि निजी स्कूलों में आरटीई की सीटों के लिए डीईओ के मार्गदर्शन में टीम बनाई जा रही है, यह टीम जल्द ही स्कूलों में पहुंचकर ऑडिट करेगी और बच्चों का फिजिकल सत्यापन भी करेगी।
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