बिलासपुर.
लोकसेवा आयोग द्वारा 23 दिसंबर 2015 को तकनीकी शिक्षा विभाग के अंतर्गत
विभिन्न पदों के लिए भर्ती हेतु विज्ञापन जारी किया गया था जिसमें दुर्ग
निवासी डॉ. शांति शर्मा ने भी विभागाध्यक्ष (पॉलिटेक्निक संस्था) माडर्न
ऑफिस मैनेजमेंट पद के लिए ऑनलाइन आवेदन जमा किया था।
लोक सेवा आयोग द्वारा मार्डन ऑफिस मैनेजमेंट के लिए शैक्षणिक अहर्ता निर्धारित की गई थी जिसके अनुसार अभ्यर्थी को किसी मान्यता प्राप्त संस्था से पीएचडी एवं माडर्न ऑफिस मैनेजमेंट में 5 वर्ष का अनुभव अनिवार्य किया गया था।
याचिकाकर्ता ने 1.8 1998 में शासकीय पॉलिटेक्निक में तकनीकी सहायक के पद पर नियुक्त हुई थी। उनके द्वारा आधुनिक कार्यालय प्रबंध विभाग में लगातार अध्यापन कार्य आज तक किया जा रहा है। इस संदर्भ में प्राचार्य द्वारा उन्हें समय -समय पर अनुभव पत्र जारी किया गया है। लोक सेवा आयोग द्वारा याचिकाकर्ता को 27 मई को साक्षात्कार के लिए बुलाया गया था। साक्षात्कार के पूर्व याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत प्रमाणनपत्रों की जांच के दौरान आयोग ने आपत्ति ली गई की याचिकाकर्ता का पांच वर्ष का अनुभव सहायक प्राध्यापक के पद का नहीं है। लोक सेवा आयोग ने उन्हें साक्षात्कार के लिए नहीं बुलाया गया। मामले से क्षुब्ध होकर उन्होंने अधिवक्ता जितेंद्र पाली व विकास दुबे के माध्यम से कोर्ट में याचिका दाखिल की, जिसकी सुनवाई वेकेशन कोर्ट के जज मनींद्र मोहन श्रीवास्तव केो कोर्ट में की गई।
कोर्ट ने याचिकाकर्ता के पक्ष में अंतरिम राहत प्रदान करते हुए लोक सेवा आयोग एवं तकनीकी शिक्षा विभाग को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने आयोग को निर्देशित किया है कि विभागाध्यक्ष पॉलिटेक्निक संस्था माडर्न मैनेजमेंट के पद पर की गई कोई भी नियुक्ति याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत रिट याचिका में पारित अंतिम निर्णय से बाधित रहेगी। मामले की आगामी सुनवाई 17 जून को रखी गई है।
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लोक सेवा आयोग द्वारा मार्डन ऑफिस मैनेजमेंट के लिए शैक्षणिक अहर्ता निर्धारित की गई थी जिसके अनुसार अभ्यर्थी को किसी मान्यता प्राप्त संस्था से पीएचडी एवं माडर्न ऑफिस मैनेजमेंट में 5 वर्ष का अनुभव अनिवार्य किया गया था।
याचिकाकर्ता ने 1.8 1998 में शासकीय पॉलिटेक्निक में तकनीकी सहायक के पद पर नियुक्त हुई थी। उनके द्वारा आधुनिक कार्यालय प्रबंध विभाग में लगातार अध्यापन कार्य आज तक किया जा रहा है। इस संदर्भ में प्राचार्य द्वारा उन्हें समय -समय पर अनुभव पत्र जारी किया गया है। लोक सेवा आयोग द्वारा याचिकाकर्ता को 27 मई को साक्षात्कार के लिए बुलाया गया था। साक्षात्कार के पूर्व याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत प्रमाणनपत्रों की जांच के दौरान आयोग ने आपत्ति ली गई की याचिकाकर्ता का पांच वर्ष का अनुभव सहायक प्राध्यापक के पद का नहीं है। लोक सेवा आयोग ने उन्हें साक्षात्कार के लिए नहीं बुलाया गया। मामले से क्षुब्ध होकर उन्होंने अधिवक्ता जितेंद्र पाली व विकास दुबे के माध्यम से कोर्ट में याचिका दाखिल की, जिसकी सुनवाई वेकेशन कोर्ट के जज मनींद्र मोहन श्रीवास्तव केो कोर्ट में की गई।
कोर्ट ने याचिकाकर्ता के पक्ष में अंतरिम राहत प्रदान करते हुए लोक सेवा आयोग एवं तकनीकी शिक्षा विभाग को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने आयोग को निर्देशित किया है कि विभागाध्यक्ष पॉलिटेक्निक संस्था माडर्न मैनेजमेंट के पद पर की गई कोई भी नियुक्ति याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत रिट याचिका में पारित अंतिम निर्णय से बाधित रहेगी। मामले की आगामी सुनवाई 17 जून को रखी गई है।
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