3 साल का अवसर देने के बाद भी बीएड एवं डीएड नहीं कर सके अप्रशिक्षित शिक्षकों की अब सेवा समाप्ति करने के लिए प्रक्रिया शुुरू हो गई है। जिले में भी ऐसे 540 अप्रशिक्षित शिक्षक प्राइमरी स्कूल से लेकर हायर सेकेंडरी तक की क्लास ले रहे हैं। ऐसे में शिक्षा गुणवत्ता एवं नियमाें का हवाला देकर शासन ने ऐसे शासकीय शिक्षकों का रिकार्ड मांगा लिया है।
शासकीय स्कूलों में सालों से पढ़ा रहे अप्रशिक्षित शिक्षकों को स्कूल से बाहर करने का रास्ता साफ हो गया है। नियमों के अनुसार स्कूलों में अध्यापन कार्य के लिए शिक्षकों के पास बीएड एवं डीएड की उपाधि होना जरूरी है लेकिन पूर्व में नियमों को शिथिल कर सरकार ने शिक्षाकर्मियों की भर्ती कर दी थी। जिससे बिना डीएड एवं बीएड वाले शिक्षकों की भी नियुक्ति हो गई थी। हालांकि राज्य सरकार की ओर से ऐसे शिक्षकों को प्रशिक्षित करने के लिए लगातार 3 सालों से अवसर दिया जा रहा है लेकिन इसके बाद भी जिले के 540 शिक्षक यह योग्यता हासिल नहीं कर सके हैं। ऐसे में अब इन शिक्षकों की मुसीबत बढ़ गई है। दरअसल लोक शिक्षण संचालनालय ने 10 जून को आदेश जारी कर जिला पंचायत एवं शिक्षा विभाग से ऐसे शिक्षकों का रिकार्ड मांगा था और सितंबर 2001 के बाद आए शिक्षकों के प्रशिक्षित एवं अप्रशिक्षित होने की जानकारी वेब पोर्टल में अपलोड करने का आदेश दिया था। आदेश के अनुसार ऐसे अप्रशिक्षित शिक्षकों को सेवा से समाप्त किया जाना है और इसके लिए विभाग की ओर से भी 30 जून तक जानकारी भेजी जानी थी लेकिन जिले में प्रारंभिक रूप से जो जानकारी बनी है। उसके अनुसार करीब 540 ऐसे शिक्षक हैं। जिन्होंने यह योग्यता हासिल नहीं की है और बिना किसी उचित प्रशिक्षण के ही ऐसे शिक्षक सरकारी स्कूलों में अध्यापन का काम करा रहे हैं।
सरकारी मदद के बाद भी अनदेखी
शासन की ओर से ऐसे अप्रशिक्षित शिक्षकों को डीएड एवं बीएड करने के लिए सुविधा दी जाती है । इसके लिए बीएड कालेजों में ऐसे शिक्षकों के एडमिशन का कोटा भी तय होता है और इसकी पढ़ाई के दौरान शिक्षकों को बाकायदा सैलरी भी दी जाती है लेकिन इसके बाद भी शिक्षकों ने लापरवाही दिखाई है।
कैसे आएगा शिक्षा में सुधार
जिले के प्राइमरी स्कूलों से लेकर हायर सेकेंडरी स्कूलों में ऐसे अप्रशिक्षित शिक्षक छात्रों की क्लास ले रहे हैं। इसके कारण छात्रों को गुणवत्तायुक्त शिक्षा नहीं मिल पा रही है, जबकि यदि इन्हें सेवा से पृथक कर दोबारा से भर्ती की जाए तो बीएड डीएड की योग्यता वाले बेहतर शिक्षक मिल सकते हैं।
धरमजयगढ़ एवं सारंगढ़ में सबसे ज्यादा अप्रशिक्षित
जनपद पंचायत अप्रशिक्षित शिक्षक
रायगढ़ 42
खरसिया 54
बरमकेला 51
सारंगढ़ 100
तमनार 35
धरमजयगढ़ 116
लैलूंगा 55
घरघोड़ा 61
पुसौर 26
कुल 540
सरकार की ओर से ऐसे अप्रशिक्षित शिक्षकों को योग्यता पूरी करने के लिए 3 साल का अवसर दिया गया था लेकिन इसके बाद भी शिक्षकों ने ध्यान नहीं दिया । सेवा समाप्ति का आदेश लोक शिक्षण संचालनालय की ओर से ही जारी किया जाएगा। '' एचआर सोम, डीइओ
अप्रशिक्षित शिक्षकों के इस आदेश की जानकारी नहीं है। शिक्षकों के डीएड बीएड करने का रिकार्ड शिक्षा विभाग के पास ही होता है। यदि सरकारी स्कूलों में ऐसे शिक्षक अध्यापन का काम कर रहे हैं तो गलत हैं। '' चंदन संजय त्रिपाठी, सीइओ जिपं
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शासकीय स्कूलों में सालों से पढ़ा रहे अप्रशिक्षित शिक्षकों को स्कूल से बाहर करने का रास्ता साफ हो गया है। नियमों के अनुसार स्कूलों में अध्यापन कार्य के लिए शिक्षकों के पास बीएड एवं डीएड की उपाधि होना जरूरी है लेकिन पूर्व में नियमों को शिथिल कर सरकार ने शिक्षाकर्मियों की भर्ती कर दी थी। जिससे बिना डीएड एवं बीएड वाले शिक्षकों की भी नियुक्ति हो गई थी। हालांकि राज्य सरकार की ओर से ऐसे शिक्षकों को प्रशिक्षित करने के लिए लगातार 3 सालों से अवसर दिया जा रहा है लेकिन इसके बाद भी जिले के 540 शिक्षक यह योग्यता हासिल नहीं कर सके हैं। ऐसे में अब इन शिक्षकों की मुसीबत बढ़ गई है। दरअसल लोक शिक्षण संचालनालय ने 10 जून को आदेश जारी कर जिला पंचायत एवं शिक्षा विभाग से ऐसे शिक्षकों का रिकार्ड मांगा था और सितंबर 2001 के बाद आए शिक्षकों के प्रशिक्षित एवं अप्रशिक्षित होने की जानकारी वेब पोर्टल में अपलोड करने का आदेश दिया था। आदेश के अनुसार ऐसे अप्रशिक्षित शिक्षकों को सेवा से समाप्त किया जाना है और इसके लिए विभाग की ओर से भी 30 जून तक जानकारी भेजी जानी थी लेकिन जिले में प्रारंभिक रूप से जो जानकारी बनी है। उसके अनुसार करीब 540 ऐसे शिक्षक हैं। जिन्होंने यह योग्यता हासिल नहीं की है और बिना किसी उचित प्रशिक्षण के ही ऐसे शिक्षक सरकारी स्कूलों में अध्यापन का काम करा रहे हैं।
सरकारी मदद के बाद भी अनदेखी
शासन की ओर से ऐसे अप्रशिक्षित शिक्षकों को डीएड एवं बीएड करने के लिए सुविधा दी जाती है । इसके लिए बीएड कालेजों में ऐसे शिक्षकों के एडमिशन का कोटा भी तय होता है और इसकी पढ़ाई के दौरान शिक्षकों को बाकायदा सैलरी भी दी जाती है लेकिन इसके बाद भी शिक्षकों ने लापरवाही दिखाई है।
कैसे आएगा शिक्षा में सुधार
जिले के प्राइमरी स्कूलों से लेकर हायर सेकेंडरी स्कूलों में ऐसे अप्रशिक्षित शिक्षक छात्रों की क्लास ले रहे हैं। इसके कारण छात्रों को गुणवत्तायुक्त शिक्षा नहीं मिल पा रही है, जबकि यदि इन्हें सेवा से पृथक कर दोबारा से भर्ती की जाए तो बीएड डीएड की योग्यता वाले बेहतर शिक्षक मिल सकते हैं।
धरमजयगढ़ एवं सारंगढ़ में सबसे ज्यादा अप्रशिक्षित
जनपद पंचायत अप्रशिक्षित शिक्षक
रायगढ़ 42
खरसिया 54
बरमकेला 51
सारंगढ़ 100
तमनार 35
धरमजयगढ़ 116
लैलूंगा 55
घरघोड़ा 61
पुसौर 26
कुल 540
सरकार की ओर से ऐसे अप्रशिक्षित शिक्षकों को योग्यता पूरी करने के लिए 3 साल का अवसर दिया गया था लेकिन इसके बाद भी शिक्षकों ने ध्यान नहीं दिया । सेवा समाप्ति का आदेश लोक शिक्षण संचालनालय की ओर से ही जारी किया जाएगा। '' एचआर सोम, डीइओ
अप्रशिक्षित शिक्षकों के इस आदेश की जानकारी नहीं है। शिक्षकों के डीएड बीएड करने का रिकार्ड शिक्षा विभाग के पास ही होता है। यदि सरकारी स्कूलों में ऐसे शिक्षक अध्यापन का काम कर रहे हैं तो गलत हैं। '' चंदन संजय त्रिपाठी, सीइओ जिपं
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