अंबिकापुर. शिक्षा
विभाग में कार्रवाई के दो अलग-अलग पैमाने हैं। जहां एक तरफ जिले के तीन
बीईओ को मोबाइल पर बातचीत को आधार बनाते हुए पद से हटा दिया गया। वहीं कॉल
रिकार्ड के आधार पर आला अधिकारियों पर कार्रवाई करने के पूर्व जांच किए
जाने की बात कही जाती है।
गड़बड़ी छिपाने के लिए शिक्षा विभाग के आला अधिकारी रायपुर तक की दौड़ लगा रहे हैं। इसके लिए वे हर जुगत लगाने से भी बाज नहीं आ रहे हैं। लेखा जोखा की जांच करने पहुंची ऑडिट टीम की आपत्तियों को रफा-दफा करने के लिए सदस्यों को रकम दिए जाने की भी बात सामने आ रही है। ऐसे में अधिकारियों द्वारा किए गए गड़बडियों का उजागर हो पाना संभव नहीं है।
जिला शिक्षा अधिकारी के कार्यालय में जिले के दो आला अधिकारियों द्वारा आपसी बातचीत कर बिना कोई परीक्षा लिए अपने रिश्तेदारों को मैनपाट बीईओ कार्यालय में पदस्थापना किए जाने का बात सामने आई थी। इसके बाद शिक्षा विभाग के आला अधिकारी जिले कुछ राजनीतिज्ञों के घरों का भी चक्कर लगाना शुरू कर दिए हैं। सरगुजा जिले में बात नहीं बनता देख सूरजपुर जिले के सत्ता पक्ष के एक राजनीतिज्ञ से मिलीभगत कर सेटिंग करने में लगे हैं कि किसी तरह उनके पद का प्रभाव कम न हो और उनका स्थानंतरण भी ऐसी जगह पर हो जाए।
जहां से वे पूरी जांच प्रक्रिया को प्रभावित कर सकें। दूसरी तरफ पुराने गड़बडिय़ों को दबाने के लिए भी अधिकारियों द्वारा हर संभव प्रयास किया जा रहा है। लेखा जोखा की जांच करने पहुंची ऑडिट टीम की आपत्तियों को भी रफा-दफा करने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है। डीईओ व एडीईओ के आपसी बातचीत के कॉल रिकार्ड में इस बात का जिक्र भी किया गया है। इसके लिए बाकायदा ऑडिट टीम के परिचित एक अधिकारी से भी बातचीत कराई गई और सम्मानजनक रकम दिए जाने की बात की गई। इसके बाद ऑडिटर द्वारा किए गए आपत्तियों को हटाकर पूरा मामला रफा दफा कर दिया गया।
कागजों पर हो गया कई बिलों का भुगतान
स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम के लिए जो बिल भुगतान हेतु प्रस्तुत किए गए थे, उसमें से कई ऐसे संस्थान हैं। जो रायपुर गए ही नहीं थे, या फिर उनके द्वारा कोई काम किया ही नहीं गया था। लेकिन इन संस्थानों को लाखों रुपए का चेक काटकर भुगतान करने का दावा अधिकारियों द्वारा किया जा रहा है। अगर इसकी निष्पक्षता से जांच हो जाए तो शासन के सामने एक फर्जीवाड़ा का खुलासा होने की संभावना है।
चल रही है जांच
जांच की जानकारी शिक्षा विभाग के सभी अधिकारियों को हैं। अधिकारियों द्वारा अपनी पहुंच का फायदा उठा जांच को भी प्रभावित करने का प्रयास किया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार प्रशासन द्वारा पूरे मामले की जांच काफी गोपनीय तरीके से करई जा रही है और जल्द ही पूरे मामले का खुलासा किए जाने का दावा किया जा रहा है। जांच को अधिकारियों द्वारा प्रभावित न किया जा सके। इसलिए जांच अधिकारियों के भी नाम प्रशासन द्वारा गोपनीय रखे गए हैं।
कॉल रिकार्डिंग पर हटा दिए थे तीन बीईओ जिले के तीन बीईओ को डीईओ ने कुछ माह पूर्व इसलिए हटा दिया था कि उनकी एक कॉल रिकार्डिंग उन्हें मिली थी। इसमें लेन-देन की बात की जा रही थी। फिर डीईओ के मामले में मोबाइल पर हुए कॉल रिकार्डिंग को आधार पर कार्रवाई करने के बजाए जांच को आधार बनाया जा रहा है। विभाग में कार्रवाई के नाम पर दो अलग-अलग मापदंड जांच के लिए अपनाए जा रहे
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गड़बड़ी छिपाने के लिए शिक्षा विभाग के आला अधिकारी रायपुर तक की दौड़ लगा रहे हैं। इसके लिए वे हर जुगत लगाने से भी बाज नहीं आ रहे हैं। लेखा जोखा की जांच करने पहुंची ऑडिट टीम की आपत्तियों को रफा-दफा करने के लिए सदस्यों को रकम दिए जाने की भी बात सामने आ रही है। ऐसे में अधिकारियों द्वारा किए गए गड़बडियों का उजागर हो पाना संभव नहीं है।
जिला शिक्षा अधिकारी के कार्यालय में जिले के दो आला अधिकारियों द्वारा आपसी बातचीत कर बिना कोई परीक्षा लिए अपने रिश्तेदारों को मैनपाट बीईओ कार्यालय में पदस्थापना किए जाने का बात सामने आई थी। इसके बाद शिक्षा विभाग के आला अधिकारी जिले कुछ राजनीतिज्ञों के घरों का भी चक्कर लगाना शुरू कर दिए हैं। सरगुजा जिले में बात नहीं बनता देख सूरजपुर जिले के सत्ता पक्ष के एक राजनीतिज्ञ से मिलीभगत कर सेटिंग करने में लगे हैं कि किसी तरह उनके पद का प्रभाव कम न हो और उनका स्थानंतरण भी ऐसी जगह पर हो जाए।
जहां से वे पूरी जांच प्रक्रिया को प्रभावित कर सकें। दूसरी तरफ पुराने गड़बडिय़ों को दबाने के लिए भी अधिकारियों द्वारा हर संभव प्रयास किया जा रहा है। लेखा जोखा की जांच करने पहुंची ऑडिट टीम की आपत्तियों को भी रफा-दफा करने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है। डीईओ व एडीईओ के आपसी बातचीत के कॉल रिकार्ड में इस बात का जिक्र भी किया गया है। इसके लिए बाकायदा ऑडिट टीम के परिचित एक अधिकारी से भी बातचीत कराई गई और सम्मानजनक रकम दिए जाने की बात की गई। इसके बाद ऑडिटर द्वारा किए गए आपत्तियों को हटाकर पूरा मामला रफा दफा कर दिया गया।
कागजों पर हो गया कई बिलों का भुगतान
स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम के लिए जो बिल भुगतान हेतु प्रस्तुत किए गए थे, उसमें से कई ऐसे संस्थान हैं। जो रायपुर गए ही नहीं थे, या फिर उनके द्वारा कोई काम किया ही नहीं गया था। लेकिन इन संस्थानों को लाखों रुपए का चेक काटकर भुगतान करने का दावा अधिकारियों द्वारा किया जा रहा है। अगर इसकी निष्पक्षता से जांच हो जाए तो शासन के सामने एक फर्जीवाड़ा का खुलासा होने की संभावना है।
चल रही है जांच
जांच की जानकारी शिक्षा विभाग के सभी अधिकारियों को हैं। अधिकारियों द्वारा अपनी पहुंच का फायदा उठा जांच को भी प्रभावित करने का प्रयास किया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार प्रशासन द्वारा पूरे मामले की जांच काफी गोपनीय तरीके से करई जा रही है और जल्द ही पूरे मामले का खुलासा किए जाने का दावा किया जा रहा है। जांच को अधिकारियों द्वारा प्रभावित न किया जा सके। इसलिए जांच अधिकारियों के भी नाम प्रशासन द्वारा गोपनीय रखे गए हैं।
कॉल रिकार्डिंग पर हटा दिए थे तीन बीईओ जिले के तीन बीईओ को डीईओ ने कुछ माह पूर्व इसलिए हटा दिया था कि उनकी एक कॉल रिकार्डिंग उन्हें मिली थी। इसमें लेन-देन की बात की जा रही थी। फिर डीईओ के मामले में मोबाइल पर हुए कॉल रिकार्डिंग को आधार पर कार्रवाई करने के बजाए जांच को आधार बनाया जा रहा है। विभाग में कार्रवाई के नाम पर दो अलग-अलग मापदंड जांच के लिए अपनाए जा रहे
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