जगदलपुर। बस्तर विश्वविद्यालय में कुलपति व कुलसचिव के बीच उत्पन्न
मतभेद अब चरम पर पहुंच गया है। गुरूवार को कुलपति डॉ. एनडीआर चंद्रा ने
उच्च शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र लिखकर कुलसचिव पद के लिए प्रो
एसपी तिवारी को उम्रदराज बताया है।
विश्वविद्यालय में कुलपति व कुलसचिव के बीच अनबन चलने और इसका असर विश्वविद्यालय की कार्यप्रणाली पर पड़ने की खबर नईदुनिया ने मई माह में लगातार प्रकाशित की है। पिछले कुछ माह से विवादों के गढ़ बन चुके विश्वविद्यालय में गुरूवार को नया मोड़ आ गया। विश्वविद्यालय अधिनियम की धाराओं का हवाला देते कुलपति डा चंद्रा ने प्रमुख सचिव को पत्र लिखकर कुलसचिव को हटाने की मांग की है। पत्र में कहा गया है कि विश्वविद्यालय परिनियम क्रमांक 3 (4) के तहत कुलसचिव के पद पर 60 वर्ष या कुलपति की अनुशंसा पर कार्य परिषद के निर्णयानुसार अधिकतम 62 वर्ष की आयु तक कार्य किया जा सकता है जबकि तिवारी की आयु 7.7.2016 को 62 वर्ष एक माह 10 दिन की हो चुकी है। उनकी आयु के प्रमाण के तौर पर उच्च शिक्षा विभाग के अपर संचालक द्वारा 1 अप्रैल 2015 को जारी प्राचीन भारतीय इतिहास के सहायक प्राध्यापकों की अनंतिम वरिष्ठता सूची को संलग्न किया गया है। इसके सरल क्रमांक 1 में शिव प्रकाश तिवारी की जन्मतिथि 27 मई 1954 व वर्तमान पदस्थापना शासकीय महिला महाविद्यालय जगदलपुर अंकित है। यहां उल्लेखनीय है कि तिवारी वर्तमान में भी महिला महाविद्यालय में पदस्थ हैं और उन्हें विश्वविद्यालय के कुलसचिव का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। पत्र में आयु सीमा पूर्ण होने के आधार पर नियमानुसार उन्हें पदमुक्त करते मूल विभाग में वापस करने या अन्यत्र स्थानांतरित करने कहा गया है।
कुलसचिव पर कुलपति ने यह आरोप भी लगाए
1.कार्य परिषद की बैठक आयोजित होने के उपरांत बैठक का कार्यवाही विवरण 30 दिन के भीतर अनिवार्य रूप से जारी करने का प्रावधान है लेकिन 27 अप्रैल 2016 को हुई कार्य परिषद की बैठक में पारित निर्णयों का कार्यवृत्त बैठक में उपस्थित 9 में से 8 सदस्यों के पुष्टि व हस्ताक्षर करने के बावूजद आज दिनांक तक जारी नहीं किया गया है, जो परिनियम के प्रावधानों के सर्वथा विपरीत एवं उसका उल्लंघन है।
2.कुलसचिव स्वतंत्र रूप से मनमाने ढ़ंग से कार्य कर रहे हैं जबकि छग विश्वविद्यालय अधिनियम 1973 की धारा 16 (1) के तहत उन्हें कुलपति के सामान्य नियंत्रण में कार्य करना चाहिए। कुलसचिव बिना कुलपति के अनुमति के कर्मचारियों व अधिकारियों के विरूद्घ विभिन्न मामलों में सीधे एफआईआर करवाने एवं समाचार पत्रों व न्यूज चैनलों में बयानबाजी कर रहे हैं, जिससे विश्वविद्यालय की छवि अत्यंत धूमिल हो रही है। यह आरोप भी लगाया गया है कि एसपी तिवारी शासन, विश्वविद्यालय, छात्र, शिक्षकों एवं कर्मचारियों के हित में कार्य नहीं कर रहे हैं।
3.पत्र में कहा गया है कि प्रभारी कुलसचिव के विरूद्घ कई कर्मचारियों, शिक्षकों के द्वारा मानसिक रूप से प्रताड़ित करने एवं अनुसूचित जाति आयोग एवं अन्य आयोगों में शिकायतें की गई हैं। उनका कार्य संतोषप्रद नहीं है एवं निर्णय लेने की क्षमता नहीं है। वर्तमान में विश्वविद्यालय के कई प्रकरणों को उनके द्वारा उलझाते हुए लंबित रखा गया है।
कुलपति व कुलसचिव के बीच पिछले दो माह से मतभेद चल रहे हैं। इसकी अहम वजह अप्रैल माह में हुई कार्य परिषद की बैठक से संबंधित मिनट्स पर कुलसचिव द्वारा हस्ताक्षर न करना है। इस मिनट्स के आधार पर विश्वविद्यालय में प्राध्यापकों की नियुक्ति व तृतीय- चतुर्थ श्रेणी के पदों पर भर्ती का मार्ग प्रशस्त होना है। कार्य परिषद के नौ में से आठ सदस्य कार्यवृत्त पर हस्ताक्षर भी कर चुके हैं लेकिन कुलसचिव इस मामले को विवादित मानते दस्तखत नहीं कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में यह विषय रूके हुए हैं। चार दिन पहले कुलसचिव द्वारा कम्प्यूटरों की खरीदी से संबंधित मामले में कोतवाली में जांच व एफआईआर के लिए पत्र देने से विवादों की खाई और चौड़ी हो गई है। विश्वविद्यालय के कर्मचारी संगठन भी इस मामले में कुलसचिव के खिलाफ हो गए हैं। विवादों के सूत्रधार उच्च शिक्षा विभाग से लेकर संभाग के एक प्रमुख कालेज तक में हैं।
प्राध्यापक के तौर पर मैं 65 वर्ष की आयु तक कार्य कर सकता हूं। मैंने कुलसचिव का पद नहीं मांगा है, शासन ने मुझे यह जिम्मेदारी दी है। निर्णय मैं फटाफट लेता हूं। नियम से काम करूंगा। चूंकि शासन ने शिक्षक भर्ती मामले में प्रथम दृष्टया कुलपति को दोषी मानते शोकाज नोटिस जारी किया है इसलिए कार्यवृत्त पर मैंने हस्ताक्षर नहीं किया है।
- प्रो. एसपी तिवारी, कुलसचिव, बस्तर विश्वविद्यालय, जगदलपुर
विश्वविद्यालय में कुलपति व कुलसचिव के बीच अनबन चलने और इसका असर विश्वविद्यालय की कार्यप्रणाली पर पड़ने की खबर नईदुनिया ने मई माह में लगातार प्रकाशित की है। पिछले कुछ माह से विवादों के गढ़ बन चुके विश्वविद्यालय में गुरूवार को नया मोड़ आ गया। विश्वविद्यालय अधिनियम की धाराओं का हवाला देते कुलपति डा चंद्रा ने प्रमुख सचिव को पत्र लिखकर कुलसचिव को हटाने की मांग की है। पत्र में कहा गया है कि विश्वविद्यालय परिनियम क्रमांक 3 (4) के तहत कुलसचिव के पद पर 60 वर्ष या कुलपति की अनुशंसा पर कार्य परिषद के निर्णयानुसार अधिकतम 62 वर्ष की आयु तक कार्य किया जा सकता है जबकि तिवारी की आयु 7.7.2016 को 62 वर्ष एक माह 10 दिन की हो चुकी है। उनकी आयु के प्रमाण के तौर पर उच्च शिक्षा विभाग के अपर संचालक द्वारा 1 अप्रैल 2015 को जारी प्राचीन भारतीय इतिहास के सहायक प्राध्यापकों की अनंतिम वरिष्ठता सूची को संलग्न किया गया है। इसके सरल क्रमांक 1 में शिव प्रकाश तिवारी की जन्मतिथि 27 मई 1954 व वर्तमान पदस्थापना शासकीय महिला महाविद्यालय जगदलपुर अंकित है। यहां उल्लेखनीय है कि तिवारी वर्तमान में भी महिला महाविद्यालय में पदस्थ हैं और उन्हें विश्वविद्यालय के कुलसचिव का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। पत्र में आयु सीमा पूर्ण होने के आधार पर नियमानुसार उन्हें पदमुक्त करते मूल विभाग में वापस करने या अन्यत्र स्थानांतरित करने कहा गया है।
कुलसचिव पर कुलपति ने यह आरोप भी लगाए
1.कार्य परिषद की बैठक आयोजित होने के उपरांत बैठक का कार्यवाही विवरण 30 दिन के भीतर अनिवार्य रूप से जारी करने का प्रावधान है लेकिन 27 अप्रैल 2016 को हुई कार्य परिषद की बैठक में पारित निर्णयों का कार्यवृत्त बैठक में उपस्थित 9 में से 8 सदस्यों के पुष्टि व हस्ताक्षर करने के बावूजद आज दिनांक तक जारी नहीं किया गया है, जो परिनियम के प्रावधानों के सर्वथा विपरीत एवं उसका उल्लंघन है।
2.कुलसचिव स्वतंत्र रूप से मनमाने ढ़ंग से कार्य कर रहे हैं जबकि छग विश्वविद्यालय अधिनियम 1973 की धारा 16 (1) के तहत उन्हें कुलपति के सामान्य नियंत्रण में कार्य करना चाहिए। कुलसचिव बिना कुलपति के अनुमति के कर्मचारियों व अधिकारियों के विरूद्घ विभिन्न मामलों में सीधे एफआईआर करवाने एवं समाचार पत्रों व न्यूज चैनलों में बयानबाजी कर रहे हैं, जिससे विश्वविद्यालय की छवि अत्यंत धूमिल हो रही है। यह आरोप भी लगाया गया है कि एसपी तिवारी शासन, विश्वविद्यालय, छात्र, शिक्षकों एवं कर्मचारियों के हित में कार्य नहीं कर रहे हैं।
3.पत्र में कहा गया है कि प्रभारी कुलसचिव के विरूद्घ कई कर्मचारियों, शिक्षकों के द्वारा मानसिक रूप से प्रताड़ित करने एवं अनुसूचित जाति आयोग एवं अन्य आयोगों में शिकायतें की गई हैं। उनका कार्य संतोषप्रद नहीं है एवं निर्णय लेने की क्षमता नहीं है। वर्तमान में विश्वविद्यालय के कई प्रकरणों को उनके द्वारा उलझाते हुए लंबित रखा गया है।
कुलपति व कुलसचिव के बीच पिछले दो माह से मतभेद चल रहे हैं। इसकी अहम वजह अप्रैल माह में हुई कार्य परिषद की बैठक से संबंधित मिनट्स पर कुलसचिव द्वारा हस्ताक्षर न करना है। इस मिनट्स के आधार पर विश्वविद्यालय में प्राध्यापकों की नियुक्ति व तृतीय- चतुर्थ श्रेणी के पदों पर भर्ती का मार्ग प्रशस्त होना है। कार्य परिषद के नौ में से आठ सदस्य कार्यवृत्त पर हस्ताक्षर भी कर चुके हैं लेकिन कुलसचिव इस मामले को विवादित मानते दस्तखत नहीं कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में यह विषय रूके हुए हैं। चार दिन पहले कुलसचिव द्वारा कम्प्यूटरों की खरीदी से संबंधित मामले में कोतवाली में जांच व एफआईआर के लिए पत्र देने से विवादों की खाई और चौड़ी हो गई है। विश्वविद्यालय के कर्मचारी संगठन भी इस मामले में कुलसचिव के खिलाफ हो गए हैं। विवादों के सूत्रधार उच्च शिक्षा विभाग से लेकर संभाग के एक प्रमुख कालेज तक में हैं।
प्राध्यापक के तौर पर मैं 65 वर्ष की आयु तक कार्य कर सकता हूं। मैंने कुलसचिव का पद नहीं मांगा है, शासन ने मुझे यह जिम्मेदारी दी है। निर्णय मैं फटाफट लेता हूं। नियम से काम करूंगा। चूंकि शासन ने शिक्षक भर्ती मामले में प्रथम दृष्टया कुलपति को दोषी मानते शोकाज नोटिस जारी किया है इसलिए कार्यवृत्त पर मैंने हस्ताक्षर नहीं किया है।
- प्रो. एसपी तिवारी, कुलसचिव, बस्तर विश्वविद्यालय, जगदलपुर
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