महासमुंद। पिथौरा शासकीय कन्या शाला में एक मजदूर की लड़की फीस जमा नहीं
कर पाने के कारण बीते 6-7 दिनों से स्कूल नहीं जा रही है। पिथौरा से दो
किमी दूर स्थित एक गांव की पिछड़ा वर्ग परिवार की छात्रा रोशनी (परिवर्तित
नाम) पिछले 6-7 दिनों से स्कूल नहीं जा रही है। रोशनी कक्षा 10वीं की
छात्रा है।
उसके पिता मजदूरी करते हैं। स्कूल द्वारा 780 रुपए फीस जमा कराया जा रहा है जबकि रोशनी के पिता के पास यह रकम नहीं है। स्कूल में फीस अदा नहीं कर पाने की शर्मिंदगी की वजह से यह छात्रा स्कूल नहीं जा रही है।
छात्रा के पिता ने बताया कि बीते वर्ष रोशनी कक्षा 9वीं में अध्ययनरत थी, तब भी 780 रुपए फीस जमा कराया गया था। जैसे-तैसे मेहनत मजदूरी से जोड़कर उसके पिता ने यह राशि जमा कराई थी। इस बार फिर यह राशि जमा कराई जा रही है। रोशनी के पिता ने बताया कि रोशनी के साथ उसकी बहन और भाई भी सरकारी स्कूल में पढ़ रहे हैं, उनके लिए भी उन्हें फीस की व्यवस्था करने कड़ी मेहनत करनी पड़ रही है। रोशनी के पिता ने कहा कि स्कूल किस बात के लिए इतना शुल्क ले रहा है, इसकी जानकारी नहीं है। रोशनी के पिता ने नाम सार्वजनिक नहीं करने का आग्रह, साथ ही उसने यह भी कहा कि चाहे जितनी भी दिक्कतें आए, वे अपने तीनों बच्चों को पढ़ाना नहीं छोड़ेंगे। बहरहाल स्कूल की फीस नहीं जमा कर पाने की वजह से कई बच्चियों की पढ़ाई छूट रही है। पढ़ाई बीच में छोड़ने वाले बच्चों की शिक्षा विभाग द्वारा कोई सुध नहीं ली जा रही है।
शाला विकास एवं प्रबंधन समिति को शाला विकास शुल्क लेने का अधिकार है। लेकिन जो गरीब परिवार हैं, जिनके लिए यह फीस भी दे पाना कठिन है, वे प्राचार्य को आवेदन कर सकते हैं, प्राचार्य फीस माफ करने या कम करने में सक्षम हैं।
- राकेश पांडेय, डीईओ-महासमुुंद
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
उसके पिता मजदूरी करते हैं। स्कूल द्वारा 780 रुपए फीस जमा कराया जा रहा है जबकि रोशनी के पिता के पास यह रकम नहीं है। स्कूल में फीस अदा नहीं कर पाने की शर्मिंदगी की वजह से यह छात्रा स्कूल नहीं जा रही है।
छात्रा के पिता ने बताया कि बीते वर्ष रोशनी कक्षा 9वीं में अध्ययनरत थी, तब भी 780 रुपए फीस जमा कराया गया था। जैसे-तैसे मेहनत मजदूरी से जोड़कर उसके पिता ने यह राशि जमा कराई थी। इस बार फिर यह राशि जमा कराई जा रही है। रोशनी के पिता ने बताया कि रोशनी के साथ उसकी बहन और भाई भी सरकारी स्कूल में पढ़ रहे हैं, उनके लिए भी उन्हें फीस की व्यवस्था करने कड़ी मेहनत करनी पड़ रही है। रोशनी के पिता ने कहा कि स्कूल किस बात के लिए इतना शुल्क ले रहा है, इसकी जानकारी नहीं है। रोशनी के पिता ने नाम सार्वजनिक नहीं करने का आग्रह, साथ ही उसने यह भी कहा कि चाहे जितनी भी दिक्कतें आए, वे अपने तीनों बच्चों को पढ़ाना नहीं छोड़ेंगे। बहरहाल स्कूल की फीस नहीं जमा कर पाने की वजह से कई बच्चियों की पढ़ाई छूट रही है। पढ़ाई बीच में छोड़ने वाले बच्चों की शिक्षा विभाग द्वारा कोई सुध नहीं ली जा रही है।
शाला विकास एवं प्रबंधन समिति को शाला विकास शुल्क लेने का अधिकार है। लेकिन जो गरीब परिवार हैं, जिनके लिए यह फीस भी दे पाना कठिन है, वे प्राचार्य को आवेदन कर सकते हैं, प्राचार्य फीस माफ करने या कम करने में सक्षम हैं।
- राकेश पांडेय, डीईओ-महासमुुंद
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