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एक साल से स्कूल नहीं आई टीचर, बच्चों ने की तालाबंदी

एक ओर छत्तीसगढ़ सरकार स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था सुधारने की कई योजनाएं चला रही है, वहीं दूसरी ओर कोरिया जिले के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में शिक्षक ही इन योजनाओं का मजाक बना रहे हैं. जिन शिक्षकों पर इन योजनाओं का दारोमदार है, वे शिक्षक ही स्कूल से नदारद हैं.
ऐसे में भला प्रदेश सरकार की योजनाएं कैसे सफल हो सकती हैं.
एक ऐसा ही मामला मनेन्द्रगढ़ ग्राम पंचायत लालपुर के आश्रित ग्राम कलमडांड में देखने को मिला, जहां के प्राथिमक स्कूल की एक शिक्षिका बीते एक साल से स्कूल नहीं आ रही हैं. ऐसे में स्कूल की एक मात्र शिक्षिका ही पहली से पांचवी तक के 52 बच्चों को एक साथ बिठाकर पढ़ाने को मजबूर हैं.
मनेन्द्रगढ़ के लालपुर ग्राम पंचायत का आश्रित ग्राम है कलमडांड, यहां के प्राथिमक स्कूल में ललिता सिंह और खुशबू दास नाम की दो शिक्षिकाओं को पदस्थ किया गया है. इनमें से एक शिक्षिका खुशबू दास बीते फरवरी माह से स्कूल नहीं आ रही हैं, जिससे बच्चों की पढ़ाई बुरी तरह से प्रभावित हो रही है. इसी अव्यवस्था को लेकर स्कूल के बच्चों ने स्कूल में तालाबंदी कर जिला प्रशासन से व्यवस्था बनाने की मांग की है.
छोटे-छोटे बच्चों के स्कूल में ताला बंद किए जाने की खबर मिलने के बाद शाला प्रबंध समिति के अध्यक्ष ने बच्चों को आश्वासन देकर किसी तरह ताला खुलवाया. तब कहीं जाकर पढ़ाई शुरू हो पाई. वहीं, इस मामले की जानकारी जब मनेन्द्रगढ़ के स्कूलों का निरीक्षण करने आई जिला पंचायत सीईओ संतन देवी जांगडे को मिली तो उन्होंने जो जबाव दिया वह काफी चौंकाने वाला था.

जब बच्चों के स्कूल में तालाबंदी कर शिक्षिका की मांग की बात उन्हें बताई तो उन्होंने अपने अंदाज में यह कहते हुए बच्चों को ही दोषी ठहरा दिया कि बच्चों को गलत चीजें न सिखाएं. बच्चों को इस तरह से नहीं बरगलाएं, वर्ना बच्चे पढ़ाई की जगह आंदोलन करने लगेंगे.

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