शहर के स्कूलों में 256 शिक्षक हैं, लेकिन यहां के परीक्षा केंद्रों में 10वीं-12वीं के लिए गांव के स्कूलों से पर्यवेक्षक बुलाए जा रहे हैं। चहेतों को परीक्षा में फायदा पहुंचाने शिक्षा विभाग ने 40 किमी दूर गढ़सिवनी और अछोला के प्राइमरी स्कूलों के शिक्षकों को पर्यवेक्षक बनाया है।
दूरस्थ गांवों से पर्यवेक्षक बुलाने का कारण शिक्षा विभाग नहीं बता पा रहा है। अब तक जो तथ्य सामने आए हैं, उसके हिसाब से ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों के शिक्षक महासमुंद के आदर्श बालक और कन्या हायर सेकंडरी स्कूल में पर्यवेक्षक बनने सिफारिश लगाते हैं। सिफारिश के चलते ही बीईओ और डीईओ दफ्तर से उनके लिए आदेश जारी किए जा रहे हैं। पर्यवेक्षक बनने और बनाने की हकीकत भास्कर की पड़ताल में सामने आई है। पता चला है कि जिन शिक्षकों की ड्यूटी पर्यवेक्षक के रूप में महासमुंद के दोनों स्कूलों में लगती है, वे महासमुंद में ही रहते हैं। स्कूल जाना न पड़े, इसके लिए अक्सर वे शहर में होने वाली शैक्षणिक गतिविधियों में अपनी ड्यूटी परीक्षा शाखा में मौजूद लोगों के पास एप्रोच कर लगाते हैं। खबर है कि इसके लिए वे परीक्षा ड्यूटी में मिलने वाले मानदेय को भी बाबुओं के पास पहुंचा देते हैं।
वे गांव जहां के शिक्षकों की ड्यूटी लगी : शहर के कन्या स्कूल और हाईस्कूल केंद्रों में पर्यवेक्षक नियुक्त किए गए 26 शिक्षकों में 10 शिक्षक ग्रामीण क्षेत्र से हैं। इनमें लोहारडीह, सोरिद, कोना, खरोरा, मालीडीह, अछोला, तुमगांव व गढ़सिवनी के प्राइमरी स्कूल से हैं। इन स्कूलों की दूरी मुख्यालय से 5 किमी से 40 किमी तक है।
स्कूलों में पढ़ाई लगातार हो रही है प्रभावित
सिफारिश से परीक्षा ड्यूटी लगवाने के बाद शिक्षक उस स्कूल में पढ़ाने से कतराते हैं। ग्रामीणों को परीक्षा ड्यूटी है कहकर स्कूल नहीं आते और उपस्थिति पंजी में अगले दिन हस्ताक्षर कर देते हैं।
कुछ शिक्षकों को प्रताड़ित करने लगाते हैं ड्यूटी
वहीं दूसरी ओर कुछ शिक्षकों की ड्यूटी उन्हें प्रताड़ित करने के उद्देश्य से भी लगाए जाने की शिकायत मिली है। भीमखोज, मामाभांचा के स्कूल बागबाहरा ब्लाॅक में आते हैं। वहां से भी कभी-कभी ड्यूटी लगाई जा रही है।
बाहर के शिक्षकों की ड्यूटी लगाना गलत
विभाग की ओर से जान-बूझकर दूरस्थ स्कूलों के शिक्षकों की ड्यूटी लगाई गई है, तो यह गलत है। कलेक्टर की अनुमति के बिना ऐसा नहीं किया जा सकता। यह विशेष परिस्थिति में ही संभव है। संजय शर्मा, पीआरओ, माशिमं रायपुर
दूरस्थ गांवों से पर्यवेक्षक बुलाने का कारण शिक्षा विभाग नहीं बता पा रहा है। अब तक जो तथ्य सामने आए हैं, उसके हिसाब से ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों के शिक्षक महासमुंद के आदर्श बालक और कन्या हायर सेकंडरी स्कूल में पर्यवेक्षक बनने सिफारिश लगाते हैं। सिफारिश के चलते ही बीईओ और डीईओ दफ्तर से उनके लिए आदेश जारी किए जा रहे हैं। पर्यवेक्षक बनने और बनाने की हकीकत भास्कर की पड़ताल में सामने आई है। पता चला है कि जिन शिक्षकों की ड्यूटी पर्यवेक्षक के रूप में महासमुंद के दोनों स्कूलों में लगती है, वे महासमुंद में ही रहते हैं। स्कूल जाना न पड़े, इसके लिए अक्सर वे शहर में होने वाली शैक्षणिक गतिविधियों में अपनी ड्यूटी परीक्षा शाखा में मौजूद लोगों के पास एप्रोच कर लगाते हैं। खबर है कि इसके लिए वे परीक्षा ड्यूटी में मिलने वाले मानदेय को भी बाबुओं के पास पहुंचा देते हैं।
वे गांव जहां के शिक्षकों की ड्यूटी लगी : शहर के कन्या स्कूल और हाईस्कूल केंद्रों में पर्यवेक्षक नियुक्त किए गए 26 शिक्षकों में 10 शिक्षक ग्रामीण क्षेत्र से हैं। इनमें लोहारडीह, सोरिद, कोना, खरोरा, मालीडीह, अछोला, तुमगांव व गढ़सिवनी के प्राइमरी स्कूल से हैं। इन स्कूलों की दूरी मुख्यालय से 5 किमी से 40 किमी तक है।
स्कूलों में पढ़ाई लगातार हो रही है प्रभावित
सिफारिश से परीक्षा ड्यूटी लगवाने के बाद शिक्षक उस स्कूल में पढ़ाने से कतराते हैं। ग्रामीणों को परीक्षा ड्यूटी है कहकर स्कूल नहीं आते और उपस्थिति पंजी में अगले दिन हस्ताक्षर कर देते हैं।
कुछ शिक्षकों को प्रताड़ित करने लगाते हैं ड्यूटी
वहीं दूसरी ओर कुछ शिक्षकों की ड्यूटी उन्हें प्रताड़ित करने के उद्देश्य से भी लगाए जाने की शिकायत मिली है। भीमखोज, मामाभांचा के स्कूल बागबाहरा ब्लाॅक में आते हैं। वहां से भी कभी-कभी ड्यूटी लगाई जा रही है।
बाहर के शिक्षकों की ड्यूटी लगाना गलत
विभाग की ओर से जान-बूझकर दूरस्थ स्कूलों के शिक्षकों की ड्यूटी लगाई गई है, तो यह गलत है। कलेक्टर की अनुमति के बिना ऐसा नहीं किया जा सकता। यह विशेष परिस्थिति में ही संभव है। संजय शर्मा, पीआरओ, माशिमं रायपुर