जगदलपुर। नईदुनिया प्रतिनिधि राज्य शासन द्वारा शिक्षक पंचायत
संवर्ग के कर्मचारियों को अशासकीय कर्मचारी बताते हुए शिक्षा विभाग में
शिक्षक के नियमित पद पर संविलियन करने से इंकार करने पर शिक्षक पंचायत
संवर्ग के कर्मचारी संगठन संयुक्त शिक्षाकर्मी संघ की ओर से कड़ी
प्रतिक्रिया आई है।
रविवार को संघ की संभागीय बैठक में शामिल होने जगदलपुर पहुंचे संयुक्त शिक्षाकर्मी संघ के प्रदेश अध्यक्ष केदार जैन ने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि संविलियन भीख नहीं अधिकार है। शिक्षा का अधिकार कानून के प्रावधान के तहत शिक्षक पंचायत संवर्ग के कर्मचारियों का शासकीयकरण किया जाना चाहिए। सरकार पहली बार नहीं है जब शिक्षक पंचायत संवर्ग के कर्मचारियों के संविलियन से इंकार किया है, पिछले बीस सालों से यही बात कही जा रही है चाहे सरकारें किसी भी पार्टी की रही हों। केदार जैन ने कहा कि शिक्षा जैसे सामाजिक सारोकार के क्षेत्र में शिक्षकीय कार्य करने वालों को अशासकीय कर्मचारी का दर्जा शोभा नहीं देता। शिक्षकों के समतुल्य वेतन देनें की घोषणा के बाद सरकार द्वारा मंहगाई भत्ता को छोड़कर अन्य सभी भत्ते व सुविधाओं को बंद करने से समतुल्य वेतन की अवधारणा स्वमेव ही खत्म हो जाती है। केदार जैन ने कहा कि शिक्षक पंचायत संवर्ग के कर्मचारियों को अभी तक जो भी थोड़ा कुछ मिला है वो सिर्फ संघर्ष और हड़ताल का परिणाम है। आगे अपने हक के लिए शिक्षक पंचायत संवर्ग के कर्मचारियों को फिर एकजुट होकर संघर्ष का शंखनाद करना होगा। उन्होंने कहा कि शिक्षक पंचायत संवर्ग के कर्मचारियों को हड़ताली कर्मचारी की उपमा देकर वैसे भी बदनाम किया जाता है और जब भी हड़ताल होगी एक बार फिर यही नारा दिया जाएगा पर इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। शिक्षाकर्मियों में भय नहीं है और हर परेशानियां सहते हुए भी अपने हक की लड़ाई जारी रखेंगे।
क्यों नहीं दी रही है पदोन्नति
बैठक में संयुक्त शिक्षाकर्मी संघ के प्रांताध्यक्ष केदार जैन ने सवाल उठाते हुए कहा कि बस्तर संभाग के सात में से चार जिलों में सहायक शिक्षक पंचायत से शिक्षक पंचायत के पद पर पदोन्नति नहीं दी गई है। सालों से कर्मचारी पदोन्नति की बाट जोह रहे हैं। संघ के जिला अध्यक्ष शैलेन्द्र तिवारी ने कहा कि यदि पदोन्नति की प्रक्रिया जल्दी पूरी नहीं की गई तो एक अप्रेल से हड़ताल की जाएगी। उन्होंने बताया कि सुकमा जिले के शिक्षाकर्मी सर्वाधिक त्रस्त हैं वहां उनकी छोटी-छोटी समस्याएं भी नहीं सुनी जा रही हैं। संघ के प्रांतीय महामंत्री शिवराज सिंह ठाकुर ने कहा कि शिक्षक पंचायत संवर्ग के कर्मचारी सबसे अधिक प्रताड़ित हैं। राज्य शासन के अधिकारी प्रांतीय स्तर पर बैठक बुलाकर समस्याओं और मांगो पर चर्चा तो करते हैं और बैठक में मांगो और समस्याओं को उचित बताते हुए निराकरण का भरोसा भी दिलाया जाता है पर जैसे ही शासन तक बात पहुंचती है अधिकांश मांगें खारिज कर दी जाती हैं।
रविवार को संघ की संभागीय बैठक में शामिल होने जगदलपुर पहुंचे संयुक्त शिक्षाकर्मी संघ के प्रदेश अध्यक्ष केदार जैन ने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि संविलियन भीख नहीं अधिकार है। शिक्षा का अधिकार कानून के प्रावधान के तहत शिक्षक पंचायत संवर्ग के कर्मचारियों का शासकीयकरण किया जाना चाहिए। सरकार पहली बार नहीं है जब शिक्षक पंचायत संवर्ग के कर्मचारियों के संविलियन से इंकार किया है, पिछले बीस सालों से यही बात कही जा रही है चाहे सरकारें किसी भी पार्टी की रही हों। केदार जैन ने कहा कि शिक्षा जैसे सामाजिक सारोकार के क्षेत्र में शिक्षकीय कार्य करने वालों को अशासकीय कर्मचारी का दर्जा शोभा नहीं देता। शिक्षकों के समतुल्य वेतन देनें की घोषणा के बाद सरकार द्वारा मंहगाई भत्ता को छोड़कर अन्य सभी भत्ते व सुविधाओं को बंद करने से समतुल्य वेतन की अवधारणा स्वमेव ही खत्म हो जाती है। केदार जैन ने कहा कि शिक्षक पंचायत संवर्ग के कर्मचारियों को अभी तक जो भी थोड़ा कुछ मिला है वो सिर्फ संघर्ष और हड़ताल का परिणाम है। आगे अपने हक के लिए शिक्षक पंचायत संवर्ग के कर्मचारियों को फिर एकजुट होकर संघर्ष का शंखनाद करना होगा। उन्होंने कहा कि शिक्षक पंचायत संवर्ग के कर्मचारियों को हड़ताली कर्मचारी की उपमा देकर वैसे भी बदनाम किया जाता है और जब भी हड़ताल होगी एक बार फिर यही नारा दिया जाएगा पर इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। शिक्षाकर्मियों में भय नहीं है और हर परेशानियां सहते हुए भी अपने हक की लड़ाई जारी रखेंगे।
क्यों नहीं दी रही है पदोन्नति
बैठक में संयुक्त शिक्षाकर्मी संघ के प्रांताध्यक्ष केदार जैन ने सवाल उठाते हुए कहा कि बस्तर संभाग के सात में से चार जिलों में सहायक शिक्षक पंचायत से शिक्षक पंचायत के पद पर पदोन्नति नहीं दी गई है। सालों से कर्मचारी पदोन्नति की बाट जोह रहे हैं। संघ के जिला अध्यक्ष शैलेन्द्र तिवारी ने कहा कि यदि पदोन्नति की प्रक्रिया जल्दी पूरी नहीं की गई तो एक अप्रेल से हड़ताल की जाएगी। उन्होंने बताया कि सुकमा जिले के शिक्षाकर्मी सर्वाधिक त्रस्त हैं वहां उनकी छोटी-छोटी समस्याएं भी नहीं सुनी जा रही हैं। संघ के प्रांतीय महामंत्री शिवराज सिंह ठाकुर ने कहा कि शिक्षक पंचायत संवर्ग के कर्मचारी सबसे अधिक प्रताड़ित हैं। राज्य शासन के अधिकारी प्रांतीय स्तर पर बैठक बुलाकर समस्याओं और मांगो पर चर्चा तो करते हैं और बैठक में मांगो और समस्याओं को उचित बताते हुए निराकरण का भरोसा भी दिलाया जाता है पर जैसे ही शासन तक बात पहुंचती है अधिकांश मांगें खारिज कर दी जाती हैं।