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जिले के 195 स्कूल गुणवत्ता अभियान में नहीं उतरे खरे

रायगढ़। नईदुनिया प्रतिनिधि शिक्षा गुणवत्ता अभियान के इस सत्र के दूसरे व अंतिम चरण के परीक्षण के बाद जिले के 195 ऐसे स्कूल सामने आए हैं जो स्कूल गुणवत्ता अभियान में खरे नहीं उतरे। प्राथमिक व माध्यमिक स्तर के ऐसे 195 स्कूल जो गुणवत्ता परीक्षण में उर्त्तीण नहीं हो सके हैं।
एक तरह से कहा जा सकता है कि यह स्कूल पासिंग मार्क भी प्राप्त नहीं कर सके हैं। अब ऐसे कमजोर प्रदर्शन करने वाले शिक्षकों को जवाब देना होगा कि तमाम कवायद के भी बच्चों में शिक्षा का स्तर कमजोर क्यों है।
जिले में शिक्षा गुणवत्ता अभियान के दूसरे साल में 681 स्कूलों को शामिल किया गया था। जिसमें से प्राथमिक व माध्यमिक स्कूल के 195 स्कूल ऐसे सामने आए जिनका परिणाम 0 से 6 अंक ही प्राप्त कर सके हैं। शिक्षा गुणवत्ता अभियान के प्रथम चरण में जिले के 882 स्कूलों को अपग्रेट किया गया था इस वर्ष 681 स्कूलों को अपग्रेट करने का लक्ष्य रखा गया था लेकिन इसमें 195 स्कूल ऐसे सामने आए हैं जिनका गुणवत्ता परीक्षण के दूसरे व अंतिम चरण में ये स्कूल फिसड्डी रहे। बीते दो साल से सरकारी स्कूलों में शिक्षा गुणवत्ता अभियान चलाया जा रहा है। जिसमें बच्चों में शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए शिक्षकों को भी प्रशिक्षित किया गया है। तमाम कवायद के बाद भी सरकारी स्कूलों में शिक्षा के स्तर में सुधार नहीं हो पा रहा है। सरकारी स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था कुछ इस कदर चरमराई हुई है कि इसे सुधारने के लिए तमाम कवायद के बाद भी सुधरने का नाम नहीं ले रहा है।
मांग ज्यादा काम कम
दरअसर सरकारी स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था को लेकर शहर के जानकारों का मानना है कि पहले सरकारी स्कूलों के शिक्षकों में शिक्षा के प्रति अपना अलग लगाव होता था लेकिन आज सरकारी स्कूलों के शिक्षक शिक्षकीय कार्य से ज्यादा अपनी मांगों को लेकर ज्यादा सजग रहते हैं।
सरकारी स्कूलों में कैसे लौटे भरोसा
जिस तरह से शासन के तमाम कवायद के बाद भी सरकारी स्कूलों की शिक्षा गुणवत्ता में सुधार नहीं आ रहा है। आज भी प्राथमिक स्कूल के बच्चे ठीक से न तो पढ़ पाते हैं और न ही ठीक से पहाड़ा बोल पाते हैं। जिसे देखते हुए शासन द्वारा शिक्षा गुणवत्ता अभियान चलाया जा रहा है। लेकिन तमाम कवायद के बाद भी सरकारी स्कूलों में शिक्षा के स्तर में अपेक्षाकृत सुधार देखने को नहीं मिल पा रहा है।
अब बनाना होगा मिशन स्टेटमेंट
सरकारी स्कूलों के शिक्षक अब नए सत्र से शिक्षा गुणवत्ता में सुधार के लिए मिशन स्टेटमेंट बनाएंगे। जिसमें वे यह बताएंगे कि वे किस तरह से अपनी कक्षा का या अपने विषय को लेकर शिक्षा के स्तर को उंचा उठाने का काम करेंगे। प्राथमिक स्कूल में कक्षा के अनुसार शिक्षक अपने साल भर का मिशन स्टेटमेंट बनाएंगे व माध्यमिक व हाई हायर सेकेण्डरी स्कूल के शिक्षक विषयवार अपना मिशन स्टेटमेंट बनाकर बताएंगे कि वह किस तरह से शिक्षा गुणवत्ता को सुधारने के लिए छात्रों को पढ़ाएंगे जिससे छात्रों में विषय में अच्छी पकड़ बन सके।
कमजोर प्रदर्शन वाले को देना होगा जवाब
शासन के फरमान के अनुसार शिक्षा गुणवत्ता अभियान के सौ बिन्दु पर आधारित गुणवत्ता परीक्षण के बाद कमजोर प्रदर्शन करने वाले स्कूल के शिक्षकों को कमजोर प्रदर्शन पर जवाब देना होगा। जिस तरह से जिले के 30 माध्यमिक स्कूल के शिक्षकों को अपने विषयवार कमजोर प्रदर्शन पर जवाब देना होगा वहीं 165 प्राथमिक स्कूल के शिक्षकों को कमजोर प्रदर्शन पर जवाब देना होगा।
फैक्ट फाइल
कक्षा 0-6 अंक
पहली44
दूसरी35
तीसरी29
चौथी30
पांचवी27
छठवी9
सातवी8
आठवी13
यह सही है कि कुछ स्कूल ऐसे हैं जिनका गुणवत्ता अभियान में अच्छे परिणाम नहीं आए हैं। इसकी जानकारी भी उच्च स्तर पर मंगाई गई है जिसे हमने भेज दिया है। इसे अगले सत्र में विशेष फोकस वाले स्कूल में शामिल किया जाएगा साथ ही अब सभी स्कूल के शिक्षकों को शिक्षा गुणवत्ता के लिए मिशन स्टेटमेंट भी बनाना होगा।
रमेश देवांगन
जिला समन्वयक
राजीव गांधी शिक्षा मिशन

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