बिलासपुर. शहर
से लगे मस्तूरी ब्लॉक के देवरीखुर्द मिडिल स्कूल में 90 बच्चों को पढ़ाने
के लिए पहले से ही 9 शिक्षक हैं। यहां पर स्वीकृत 4 पदों के विपरीत 5 टीचर
अतिशेष हैं। इस पर शिक्षा विभाग ने तबादला करके इसी स्कूल में एक और शिक्षक
को पदस्थ कर दिया। इसे लेकर दुविधा में पड़े प्रधान पाठक ने जिला शिक्षा
अधिकारी (डीईओ) से उक्त शिक्षक की ज्वाइनिंग को लेकर मार्गदर्शन मांगा है।
दरअसल पिछले साल ही होसेलाल टंडन (उच्च वर्ग शिक्षक आदिवासी विकास विभाग) को छात्रावास बंद होने पर ट्राइबल ब्लॉक बैमा में स्थानांतरित किया गया था। लेकिन दूर होने के कारण उन्होंने ज्वाइन नहीं दी। उन्होंने डीईओ को देकर बिलासपुर में अपने बच्चों की पढ़ाई का हवाला देकर अपना स्थानांतरण बिलासपुर शहर के आसपास कराने की मांग की थी। लेकिन विभाग ने ट्राइबल विभाग के शिक्षकों को ट्राइबल विकासखण्ड में ही पदस्थापना करने के आदेश के कारण स्थानांतरण आदेश को संशोधित नहीं किया। इसके बाद अब 20 मार्च को जिला शिक्षा विभाग से एक आदेश जारी किया गया, जिसमें होसेलाल टंडन को मस्तूरी विकासखण्ड के देवरीखुर्द स्थित अनुसूचित जाति कन्या आश्रम में पदस्थ कर दिया गया है।
प्रधान पाठक ने डीईओ को लिखा पत्र : आदेश के दूसरे ही दिन 21 मार्च को देवरीखुर्द आश्रम की प्रधान अध्यापक प्रीति पाण्डे ने डीईओ को पत्र लिखकर बताया कि इस मिडिल शाला आश्रम में बच्चों की कुल दर्ज संख्या 90 है। यहां 4 उच्च वर्ग शिक्षक पदस्थ हैं। इसके अलावा एक व्यायाम अनुदेशक, 3 उच्च वर्ग शिक्षक और एक शिक्षक पंचायत वर्ग -2 सहित कुल 5 शिक्षक संलग्न एवं अतिशेष हैं। जबकि यहां पर उच्च वर्ग शिक्षक के केवल 4 पद ही स्वीकृत हैं। प्रधान पाठक ने होसेलाल टण्डन को यहां पदस्थ करने को लेकर मार्गदर्शन मांगा है।
बीईओ को पता ही नहीं, कब जारी हुआ आदेश : खास बात ये कि जब इस संबंध में बीईओ विकास तिवारी को कुछ नहीं पता। पूछने पर उन्होंने बताया कि इस तरह का कोई आदेश उनकी जानकारी में नहीं है। जबकि एेसे किसी भी प्रकार के आदेश संबंधित सेक्शन से ही जारी होते हैं। आदिवासी विकास विभाग के स्कूलों का स्थानांतरण शिक्षा विभाग में होने के बाद वहां पदस्थ 57 शिक्षकों का स्थानांतरण दूसरी स्कूलों में किया गया था। लेकिन इनमें से आधे से अधिक शिक्षकों ने अपनी मन पसंद जगह पर स्थानांतर न होने के कारण ज्वाइन नहीं किया और मेडिकल व अन्य कारणों को बताकर घर बैठ गए। इस संबंध में प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी एसके काठले से संपर्क किया गया, लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई।
दरअसल पिछले साल ही होसेलाल टंडन (उच्च वर्ग शिक्षक आदिवासी विकास विभाग) को छात्रावास बंद होने पर ट्राइबल ब्लॉक बैमा में स्थानांतरित किया गया था। लेकिन दूर होने के कारण उन्होंने ज्वाइन नहीं दी। उन्होंने डीईओ को देकर बिलासपुर में अपने बच्चों की पढ़ाई का हवाला देकर अपना स्थानांतरण बिलासपुर शहर के आसपास कराने की मांग की थी। लेकिन विभाग ने ट्राइबल विभाग के शिक्षकों को ट्राइबल विकासखण्ड में ही पदस्थापना करने के आदेश के कारण स्थानांतरण आदेश को संशोधित नहीं किया। इसके बाद अब 20 मार्च को जिला शिक्षा विभाग से एक आदेश जारी किया गया, जिसमें होसेलाल टंडन को मस्तूरी विकासखण्ड के देवरीखुर्द स्थित अनुसूचित जाति कन्या आश्रम में पदस्थ कर दिया गया है।
प्रधान पाठक ने डीईओ को लिखा पत्र : आदेश के दूसरे ही दिन 21 मार्च को देवरीखुर्द आश्रम की प्रधान अध्यापक प्रीति पाण्डे ने डीईओ को पत्र लिखकर बताया कि इस मिडिल शाला आश्रम में बच्चों की कुल दर्ज संख्या 90 है। यहां 4 उच्च वर्ग शिक्षक पदस्थ हैं। इसके अलावा एक व्यायाम अनुदेशक, 3 उच्च वर्ग शिक्षक और एक शिक्षक पंचायत वर्ग -2 सहित कुल 5 शिक्षक संलग्न एवं अतिशेष हैं। जबकि यहां पर उच्च वर्ग शिक्षक के केवल 4 पद ही स्वीकृत हैं। प्रधान पाठक ने होसेलाल टण्डन को यहां पदस्थ करने को लेकर मार्गदर्शन मांगा है।
बीईओ को पता ही नहीं, कब जारी हुआ आदेश : खास बात ये कि जब इस संबंध में बीईओ विकास तिवारी को कुछ नहीं पता। पूछने पर उन्होंने बताया कि इस तरह का कोई आदेश उनकी जानकारी में नहीं है। जबकि एेसे किसी भी प्रकार के आदेश संबंधित सेक्शन से ही जारी होते हैं। आदिवासी विकास विभाग के स्कूलों का स्थानांतरण शिक्षा विभाग में होने के बाद वहां पदस्थ 57 शिक्षकों का स्थानांतरण दूसरी स्कूलों में किया गया था। लेकिन इनमें से आधे से अधिक शिक्षकों ने अपनी मन पसंद जगह पर स्थानांतर न होने के कारण ज्वाइन नहीं किया और मेडिकल व अन्य कारणों को बताकर घर बैठ गए। इस संबंध में प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी एसके काठले से संपर्क किया गया, लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई।