रायगढ़। मैं एक
किसान का बेटा हूंए मैं अपने पिता के खेत में खेती का कार्य भी करता हूं और
पढ़ाई भी करता हूं। पर ये सच है कि दोनो कार्य को मैं पूरे लगन के साथ
करता हूं। ये बातें 12 वीं टॉपर विनोद बेहरा ने कही। बारहवीं के टॉपर सूची
में 95.80 प्रतिशत अंक के साथ 8 वें स्थान पर आने वाले पुसौर के विनोद
बेहरा ने चर्चा के दौरान बताया कि पढ़ाई दबाव के साथ नहीं होना चाहिए रुचि
के साथ पढ़ाई करनी चाहिए।
इससे सफलता मिलती है। आदर्श ग्राम्य भारती स्कूल पुसौर में पढऩे वाला छात्र विनोद बेहरा ने बताया कि 10 वीं में उसका परिणाम 93 प्रतिशत था। गणित विषय में शुरू से ही उसकी रुचि रही है और वह इसी विषय में आगे बढ़ते हुए इंजीनियर बनना चाहता है। उसने यह भी बताया कि सामान्य दिनों में जहां 6.7 घंटे व एग्जाम के दिनों में 8.10 घंटे पढ़ाई किया जाता था लेकिन एकाग्रचित होकर 2.3 घंटे ही पढ़ाई हो पाती थी। किसान का बेटा होने के कारण कई बार खेती किसानी का काम आता था पर वो कार्य मुझे मेरे मार्ग से भटकाते नहीं थे। ऐसे में मैं दोनों ही कार्य को बेहतर तरीके से पूरी तरह से एकाग्र होकर करता था। मेरी पढ़ाई में पिता और परिवार के अन्य सदस्यों द्वारा काफी सहयोग मिला जिससे एकाग्रचित होकर पढ़ाई करने के लिए समय मिल जाता था। विनोद बेहरा ने बताया कि उसके पिता सामान्य किसान हैं। पर वह अपने मेहनत के दम पर इंजीनियर बनना चाहता है। ताकि वह अपने परिवार और अपने गांव का नाम रोशन कर सके।
शिक्षकों ने की पूरी मदद- टॉपर छात्र विनोद बेहरा ने यह भी बताया कि उसकी इस सफलता में शिक्षकों का बहुत बढ़ा हाथ है। कुछ विषयों में परेशानी होने पर शिक्षक घर तक आकर बता जाते थे जिससे कभी समस्या नहीं हुई। शिक्षकों ने हमेशा उसे स्नेह दिया इसका परिणाम यह हुआ कि आज वो टॉपर की लिस्ट में शामिल हो गया है।
इससे सफलता मिलती है। आदर्श ग्राम्य भारती स्कूल पुसौर में पढऩे वाला छात्र विनोद बेहरा ने बताया कि 10 वीं में उसका परिणाम 93 प्रतिशत था। गणित विषय में शुरू से ही उसकी रुचि रही है और वह इसी विषय में आगे बढ़ते हुए इंजीनियर बनना चाहता है। उसने यह भी बताया कि सामान्य दिनों में जहां 6.7 घंटे व एग्जाम के दिनों में 8.10 घंटे पढ़ाई किया जाता था लेकिन एकाग्रचित होकर 2.3 घंटे ही पढ़ाई हो पाती थी। किसान का बेटा होने के कारण कई बार खेती किसानी का काम आता था पर वो कार्य मुझे मेरे मार्ग से भटकाते नहीं थे। ऐसे में मैं दोनों ही कार्य को बेहतर तरीके से पूरी तरह से एकाग्र होकर करता था। मेरी पढ़ाई में पिता और परिवार के अन्य सदस्यों द्वारा काफी सहयोग मिला जिससे एकाग्रचित होकर पढ़ाई करने के लिए समय मिल जाता था। विनोद बेहरा ने बताया कि उसके पिता सामान्य किसान हैं। पर वह अपने मेहनत के दम पर इंजीनियर बनना चाहता है। ताकि वह अपने परिवार और अपने गांव का नाम रोशन कर सके।
शिक्षकों ने की पूरी मदद- टॉपर छात्र विनोद बेहरा ने यह भी बताया कि उसकी इस सफलता में शिक्षकों का बहुत बढ़ा हाथ है। कुछ विषयों में परेशानी होने पर शिक्षक घर तक आकर बता जाते थे जिससे कभी समस्या नहीं हुई। शिक्षकों ने हमेशा उसे स्नेह दिया इसका परिणाम यह हुआ कि आज वो टॉपर की लिस्ट में शामिल हो गया है।