कवर्धा। नईदुनिया न्यूज अपनी लंबित मांगों को लेकर पंचायत
शिक्षकों ने इस बार 5 सितंबर को शिक्षक दिवस नहीं मनाने का फैसला लिया है।
इस दिन सभी शिक्षक जिला मुख्यालय कवर्धा के पटेल ग्राउण्ड में प्रातः 11
बजे से धरना प्रदर्शन कर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपेगे।
छत्तीसगढ़ पंचायत नगरीय निकाय शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष रमेश कुमार चन्द्रवंशी एवं प्रांतीय महासचिव विनोद गुप्ता ने कहा कि प्रदेश में पंचायत शिक्षकों के शोषण की अब तक अंत नहीं हुआ है। 23 वर्ष की सेवा में 18 वर्ष छत्तीसगढ़ में हो गए, किन्तु अब तक संविलियन व शासकीयकरण की नीति नहीं बनाई गई है। पंचायत व नगरीय निकाय के अंदर 1 लाख 80 हजार शिक्षकों की भर्ती कर उनसे शासकीय शिक्षकों की तुलना में दोयम दर्जे का व्यवहार किया जाता है। शासकीय शिक्षकों की तुलना में पंचायत शिक्षकों को एक तिहाई वेतन दिया जाता है। ज्ञातव्य है कि पंचायत शिक्षकों को छठवां व सातवां वेतनमान नहीं दिया गया है। क्रमोन्नति व समयमान वेतनमान, प्रशिक्षण का लाभ व सुविधा, सहायक शिक्षक पंचायत को शिक्षक पंचायत व व्याख्याता पंचायत के समानुपातिक वेतनमान, विभिन्न प्रकार के भत्ते, प्राचार्य, प्रधानपाठक, व्याख्याता, व्यायाम शिक्षक व उर्दू शिक्षक की आवश्यक पदोन्नति, जीपीएफ. व समग्र कटौती में सीपीएफ, खुली स्थानांतरण नीति, बिना टेट व डीएड के अनुकम्पा नियुक्ति आदि विषय पर शासकीय शिक्षकों व पंचायत शिक्षकों में पूर्णतः भेदभाव बनाया गया है। संघ के जिलाध्यक्ष रमेश कुमार चन्द्रवंशी ने कहा कि अब ये भेदभाव, वेतनमान, सेवा शर्त व सुविधा में बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। अब निर्णायक व आर-पार के संघर्ष की चरणबद्घ रणनीति बनाया गया है, जिसके अगले चरण यह प्रदर्शन किया जा रहा है। उन्होंने आगे बताया कि शालाओं में पद शिक्षा व आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा सेटअप में स्वीकृत किया गया है, उसी के आधार पर वित्त विभाग द्वारा राशि शिक्षा व आदिम जाति कल्याण विभाग को दिया जाकर, वेतन दिया जा रहा है, केवल शोषण के लिए ही पंचायत व नगरीय निकाय के भीतर अब तक रखा गया है जो गलत है।
छत्तीसगढ़ पंचायत नगरीय निकाय शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष रमेश कुमार चन्द्रवंशी एवं प्रांतीय महासचिव विनोद गुप्ता ने कहा कि प्रदेश में पंचायत शिक्षकों के शोषण की अब तक अंत नहीं हुआ है। 23 वर्ष की सेवा में 18 वर्ष छत्तीसगढ़ में हो गए, किन्तु अब तक संविलियन व शासकीयकरण की नीति नहीं बनाई गई है। पंचायत व नगरीय निकाय के अंदर 1 लाख 80 हजार शिक्षकों की भर्ती कर उनसे शासकीय शिक्षकों की तुलना में दोयम दर्जे का व्यवहार किया जाता है। शासकीय शिक्षकों की तुलना में पंचायत शिक्षकों को एक तिहाई वेतन दिया जाता है। ज्ञातव्य है कि पंचायत शिक्षकों को छठवां व सातवां वेतनमान नहीं दिया गया है। क्रमोन्नति व समयमान वेतनमान, प्रशिक्षण का लाभ व सुविधा, सहायक शिक्षक पंचायत को शिक्षक पंचायत व व्याख्याता पंचायत के समानुपातिक वेतनमान, विभिन्न प्रकार के भत्ते, प्राचार्य, प्रधानपाठक, व्याख्याता, व्यायाम शिक्षक व उर्दू शिक्षक की आवश्यक पदोन्नति, जीपीएफ. व समग्र कटौती में सीपीएफ, खुली स्थानांतरण नीति, बिना टेट व डीएड के अनुकम्पा नियुक्ति आदि विषय पर शासकीय शिक्षकों व पंचायत शिक्षकों में पूर्णतः भेदभाव बनाया गया है। संघ के जिलाध्यक्ष रमेश कुमार चन्द्रवंशी ने कहा कि अब ये भेदभाव, वेतनमान, सेवा शर्त व सुविधा में बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। अब निर्णायक व आर-पार के संघर्ष की चरणबद्घ रणनीति बनाया गया है, जिसके अगले चरण यह प्रदर्शन किया जा रहा है। उन्होंने आगे बताया कि शालाओं में पद शिक्षा व आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा सेटअप में स्वीकृत किया गया है, उसी के आधार पर वित्त विभाग द्वारा राशि शिक्षा व आदिम जाति कल्याण विभाग को दिया जाकर, वेतन दिया जा रहा है, केवल शोषण के लिए ही पंचायत व नगरीय निकाय के भीतर अब तक रखा गया है जो गलत है।