छत्तीसगढ़ में कोरिया जिले के वनांचल क्षेत्रों में शिक्षकों की कमी से
पढ़ाई का स्तर निरंतर गिर रहा है. जिले के सोनहत विकासखंड के दो स्कूलों को
बच्चों कमी से बंद करना पड़ा.
दूसरी ओर कुछ ऐसे भी स्कूल हैं, जहां शिक्षकों की कमी से स्कूलों में तालाबंदी की नौबत आ रही है. ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर इस अव्यवस्था के लिए जिम्मेदार कौन है.
सोनहत विकासखंड के ग्राम पंचायत आनंदपुर के अंतर्गत आने वाले मिडिल स्कूल गोयनी में बीते दो वर्षों से किसी शिक्षक की नियुक्ति नहीं की गई है. मिडिल स्कूल में शिक्षक नहीं होने से नजदीक ही संचालित प्रायमरी स्कूल के एक शिक्षक बच्चों की परेशानी को समझते हुए उन्हें किसी प्रकार पढ़ा रहे हैं.
इसके अलावा इसी विकासखंड में दशेर और उधैनी के मिडिल स्कूल भी शिक्षक विहीन हैं. ऐसे में साफ है कि वनांचल क्षेत्रों में संचालित स्कूलों की दशा की ओर किसी भी अधिकारी और जनप्रतिनिधि का ध्यान नहीं है.
नया शिक्षा सत्र शुरू होने से पहले जिले के अधिकारी ये कहते नहीं थक रहे थे कि किसी भी स्कूल को शिक्षक विहीन नहीं रहने दिया जाएगा. उनके इस दावे में कितनी सच्चाई है, यह इन स्कूलों के हालात को देखकर आसानी से समझा जा सकता है.
दूसरी ओर कुछ ऐसे भी स्कूल हैं, जहां शिक्षकों की कमी से स्कूलों में तालाबंदी की नौबत आ रही है. ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर इस अव्यवस्था के लिए जिम्मेदार कौन है.
सोनहत विकासखंड के ग्राम पंचायत आनंदपुर के अंतर्गत आने वाले मिडिल स्कूल गोयनी में बीते दो वर्षों से किसी शिक्षक की नियुक्ति नहीं की गई है. मिडिल स्कूल में शिक्षक नहीं होने से नजदीक ही संचालित प्रायमरी स्कूल के एक शिक्षक बच्चों की परेशानी को समझते हुए उन्हें किसी प्रकार पढ़ा रहे हैं.
इसके अलावा इसी विकासखंड में दशेर और उधैनी के मिडिल स्कूल भी शिक्षक विहीन हैं. ऐसे में साफ है कि वनांचल क्षेत्रों में संचालित स्कूलों की दशा की ओर किसी भी अधिकारी और जनप्रतिनिधि का ध्यान नहीं है.
नया शिक्षा सत्र शुरू होने से पहले जिले के अधिकारी ये कहते नहीं थक रहे थे कि किसी भी स्कूल को शिक्षक विहीन नहीं रहने दिया जाएगा. उनके इस दावे में कितनी सच्चाई है, यह इन स्कूलों के हालात को देखकर आसानी से समझा जा सकता है.