छत्तीसगढ़ के कांकेर
जिले में शिक्षकों के हड़ताल पर जाने के कारण शिक्षा का स्तर बिगड़ गया है.
वहीं परीक्षा सिर पर होने से बच्चों की समस्या और बढ़ गई है. ऐसे में केवल
दो शिक्षकों पर पांच कक्षाएं निर्भर हैं.
मालूम हो कि पूरे प्रदेश में शिक्षाकर्मियों की हड़ताल चरम पर है. इस कारण अंदरूनी इलाकों में शिक्षकों की हड़ताल का खासा असर देखने को मिल रहा है. जिले में करीब 5000 शिक्षक जिला मुख्यालय से लेकर ब्लॉक मुख्यालय में अपनी मांग को लेकर लगातार धरना प्रदर्शन कर रहे हैं.
लिहाजा, इस वजह से जिले के तमाम स्कूलों में पढ़ाई ठप पड़ गई है. हड़ताली शिक्षाकर्मी नूतन वाहिले की मानें तो जब तक उनकी मांग पूरी नहीं हो जाती तब तक वे बच्चों को पढ़ाने स्कूल नहीं जाएंगे. उनका कहना है बीते 14 सालों से उन्हें शासन द्वारा ठगा जा रहा है.
उन्होंने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि पिछली चुनावी घोषणा पत्र में शिक्षकों की मांगों को रखा गया था, लेकिन आज तक उसे लागू नहीं किया गया. नूतन वाहिले का कहना है कि शिक्षाकर्मियों की जिंदगी सिर्फ सरकार के आश्वासन पर ही निर्भर होकर रह गई है.
सरकार शिक्षकों को ऊंचे दर्जे पर रखने की बात करती है, लेकिन ऐसा प्रतित होता है कि शिक्षक सिर्फ आश्वसन के दर्जे पर बैठे हुए हैं. शिक्षाकर्मियों ने मांग पूरी न होने तक आंदोलन पर डटे रहने की चेतावनी दी है.
वहीं इस दौरान शिक्षकों के हड़ताल पर जाने से कुछ जगहों पर बच्चे ही कक्षाएं लेते नजर आ रहे हैं.
मालूम हो कि पूरे प्रदेश में शिक्षाकर्मियों की हड़ताल चरम पर है. इस कारण अंदरूनी इलाकों में शिक्षकों की हड़ताल का खासा असर देखने को मिल रहा है. जिले में करीब 5000 शिक्षक जिला मुख्यालय से लेकर ब्लॉक मुख्यालय में अपनी मांग को लेकर लगातार धरना प्रदर्शन कर रहे हैं.
लिहाजा, इस वजह से जिले के तमाम स्कूलों में पढ़ाई ठप पड़ गई है. हड़ताली शिक्षाकर्मी नूतन वाहिले की मानें तो जब तक उनकी मांग पूरी नहीं हो जाती तब तक वे बच्चों को पढ़ाने स्कूल नहीं जाएंगे. उनका कहना है बीते 14 सालों से उन्हें शासन द्वारा ठगा जा रहा है.
उन्होंने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि पिछली चुनावी घोषणा पत्र में शिक्षकों की मांगों को रखा गया था, लेकिन आज तक उसे लागू नहीं किया गया. नूतन वाहिले का कहना है कि शिक्षाकर्मियों की जिंदगी सिर्फ सरकार के आश्वासन पर ही निर्भर होकर रह गई है.
सरकार शिक्षकों को ऊंचे दर्जे पर रखने की बात करती है, लेकिन ऐसा प्रतित होता है कि शिक्षक सिर्फ आश्वसन के दर्जे पर बैठे हुए हैं. शिक्षाकर्मियों ने मांग पूरी न होने तक आंदोलन पर डटे रहने की चेतावनी दी है.
वहीं इस दौरान शिक्षकों के हड़ताल पर जाने से कुछ जगहों पर बच्चे ही कक्षाएं लेते नजर आ रहे हैं.