रायपुर .
पंचायत मंत्री अजय चन्द्राकर ने कहा, संविलियन की मांग संवैधानिक दृष्टि
से पूरी नहीं की जा सकती। इसकी वजह बताते हुए चंद्राकर ने कहा, संविधान के
73वें संशोधन के जरिये त्रि-स्तरीय पंचायत राज व्यवस्था लागू की गई है।
इससे देश में चार स्तरीय लोकतांत्रिक व्यवस्था लागू हो गई है, जिसमें विधायिका, न्यायपालिका और कार्यपालिका के बाद एक और लोकतांत्रिक व्यवस्था पंचायत राज संस्थाओं के रूप में शामिल हैं। शिक्षाकर्मी पंचायत संवर्ग के कर्मचारी हैं।
जिस तरह सरकारी सेवाओं में भारतीय प्रशासनिक सेवा, न्यायिक सेवा और पुलिस सेवा आदि संवर्गों के अफसरों का संविलियन दूसरे संवर्ग में नहीं हो सकता। ठीक उसी तरह पंचायत संवर्ग के शिक्षकों का संविलियन भी तकनीकी दृष्टि से संभव नहीं है। इसके बावजूद मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने संविलियन को छोड़कर उनकी सभी मांगों पर विगत वर्षोंं में समय-समय पर उदारता के साथ विचार करते हुए उनकी आर्थिक स्थिति को लगातार बेहतर बनाया है। मुख्यमंत्री ने उन्हें सरकारी शिक्षकों के समतुल्य वेतनमान भी दिया है। फिर भी शिक्षाकर्मी अपनी हठधर्मिता का परिचय दे रहे हैं।
इससे पहले शिक्षाकर्मी और सरकार के बीच रविवार को होनी वाली वार्ता नहीं हो सकी। छत्तीसगढ़ शिक्षक पंचायत नगरीय निकाय मोर्चा के संयोजक संजय शर्मा ने अपने वीडियो संदेश में दो टूक कहा, जब तक सरकार गिरफ्तार नेताओं को रिहा नहीं करेगी, तब तक बातचीत नहीं हो सकती। चर्चा के लिए सरकार की ओर से कोई प्रस्ताव नहीं मिला है।
इधर, शिक्षाकर्मियों ने पुलिस को चकमा देते हुए दोपहर 11.30 बजे रावणभाटा मैदान में पहुंच गए। पुलिस ने उन्हें लाठी लहराते हुए खदेड़ा भी। इससे नाराज शिक्षाकर्मियों ने रिंग रोड पर जाम लगा दिया। बाद में 2000 से अधिक शिक्षाकर्मी रावणभाटा मैदान में शाम तक नारेबाजी करते रहे। पुलिस ने राजधानी पहुंचे 292 शिक्षाकर्मियों को गिरफ्तार किया।
संकुल समन्वयक पद से 33 को हटाया
जांजगीर-चांपा में जिला प्रशासन ने संकुल समन्वयक पद से 33 परवीक्षा अवधि वाले शिक्षाकर्मियों को हटा दिया है। इनके स्थान पर नियमित शिक्षकों की तैनाती की गई है। कलक्टर एवं जिला मिशन संचालक डॉ. एस भारतीदासन के हस्ताक्षर से जारी आदेश में संकुल समन्वयकों के कार्य को असंतोषजनक बताया गया है। आदेश से 40 संकुल केंद्र प्रभारी प्रभावित हुए हैं,इनमें शिक्षक संगठनों से जुड़े सबसे ज्यादा लोग हैं। इनमें ७ नियमित शिक्षाकर्मियों के भी तबादले किया गया है।
इससे देश में चार स्तरीय लोकतांत्रिक व्यवस्था लागू हो गई है, जिसमें विधायिका, न्यायपालिका और कार्यपालिका के बाद एक और लोकतांत्रिक व्यवस्था पंचायत राज संस्थाओं के रूप में शामिल हैं। शिक्षाकर्मी पंचायत संवर्ग के कर्मचारी हैं।
जिस तरह सरकारी सेवाओं में भारतीय प्रशासनिक सेवा, न्यायिक सेवा और पुलिस सेवा आदि संवर्गों के अफसरों का संविलियन दूसरे संवर्ग में नहीं हो सकता। ठीक उसी तरह पंचायत संवर्ग के शिक्षकों का संविलियन भी तकनीकी दृष्टि से संभव नहीं है। इसके बावजूद मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने संविलियन को छोड़कर उनकी सभी मांगों पर विगत वर्षोंं में समय-समय पर उदारता के साथ विचार करते हुए उनकी आर्थिक स्थिति को लगातार बेहतर बनाया है। मुख्यमंत्री ने उन्हें सरकारी शिक्षकों के समतुल्य वेतनमान भी दिया है। फिर भी शिक्षाकर्मी अपनी हठधर्मिता का परिचय दे रहे हैं।
इससे पहले शिक्षाकर्मी और सरकार के बीच रविवार को होनी वाली वार्ता नहीं हो सकी। छत्तीसगढ़ शिक्षक पंचायत नगरीय निकाय मोर्चा के संयोजक संजय शर्मा ने अपने वीडियो संदेश में दो टूक कहा, जब तक सरकार गिरफ्तार नेताओं को रिहा नहीं करेगी, तब तक बातचीत नहीं हो सकती। चर्चा के लिए सरकार की ओर से कोई प्रस्ताव नहीं मिला है।
इधर, शिक्षाकर्मियों ने पुलिस को चकमा देते हुए दोपहर 11.30 बजे रावणभाटा मैदान में पहुंच गए। पुलिस ने उन्हें लाठी लहराते हुए खदेड़ा भी। इससे नाराज शिक्षाकर्मियों ने रिंग रोड पर जाम लगा दिया। बाद में 2000 से अधिक शिक्षाकर्मी रावणभाटा मैदान में शाम तक नारेबाजी करते रहे। पुलिस ने राजधानी पहुंचे 292 शिक्षाकर्मियों को गिरफ्तार किया।
संकुल समन्वयक पद से 33 को हटाया
जांजगीर-चांपा में जिला प्रशासन ने संकुल समन्वयक पद से 33 परवीक्षा अवधि वाले शिक्षाकर्मियों को हटा दिया है। इनके स्थान पर नियमित शिक्षकों की तैनाती की गई है। कलक्टर एवं जिला मिशन संचालक डॉ. एस भारतीदासन के हस्ताक्षर से जारी आदेश में संकुल समन्वयकों के कार्य को असंतोषजनक बताया गया है। आदेश से 40 संकुल केंद्र प्रभारी प्रभावित हुए हैं,इनमें शिक्षक संगठनों से जुड़े सबसे ज्यादा लोग हैं। इनमें ७ नियमित शिक्षाकर्मियों के भी तबादले किया गया है।