दुर्ग। सरकार ने स्कूल खोला लेकिन शिक्षक नहीं भेजे। सात साल से
प्रधानपाठक अपने पैसे से गांव के दो अतिथि शिक्षक रखकर स्कूल चलाने की पहल
की है। नतीजा यह है कि यहां 88 बच्चें अपना भविष्य गढ़ रहे हैं।
ये प्रधानपाठक हैं दुर्ग जिला मुख्यालय से 14 किलोमीटर दूर शासकीय प्रोन्नत प्राइमरी स्कूल पुरई के मोहनसिंह अग्निवंशी। सरकार ने वर्ष 1997 में इस स्कूल को खोला ताकि गांव के बच्चे शिक्षा हासिल कर सके। तब एक प्रधानपाठक और दो शिक्षक जिला शिक्षा विभाग ने भेजे थे। विभाग ने युक्तियुक्तकरण किए तो एक शिक्षक अतिशेष की वजह से दूसरे स्कूल चले गए। एक और शिक्षक का प्रमोशन हो गया। इस तरह प्रधानपाठक अकेले बच गए।
0 अकेले ही पढ़ाते रहे लेकिन गुणवत्ता होने लगी प्रभावित
प्रधानपाठक मोहनसिंह यहां के बच्चों को अकेले पढ़ाने लगे। पहली से पांचवी तक के बच्चों को दो कक्षाओं में बांटा। पहली से तीसरी तक बच्चों को एक साथ किया और चौंथी और पांचवीं के बच्चों की एक कक्षा लगाई। एक कक्षा में होमवर्क देते थे तो दूसरे कक्षा में आकर पढ़ाई करवाते थे। इस व्यवस्था में उन्होने देखा कि पढ़ाई तो जैसे तैसे हो रही है लेकिन बच्चों की पढ़ाई में गुणवत्ता नहीं है। तब यह सोच आई कि बच्चों के भविष्य के लिए गांव की ही दो महिला शिक्षिकाओं की व्यवस्था कर ली जाए। इससे उन्हे रोजगार भी मिलेगा और स्कूल संचालन में मदद मिलेगी। तब से प्रधानपाठक अपने वेतन के एक-एक हजार रुपए इन शिक्षिकाओं को देते आ रहे हैं।
0 इस बीच आए शिक्षक लेकिन टिके नहीं
अतिथि शिक्षक की व्यवस्था के बाद चार महीने बाद शिक्षा विभाग ने अक्टूबर 2014 में एक शिक्षक अध्यापन व्यवस्था में दिए थे जो शिक्षण सत्र समाप्ति के बाद चले गए। सितंबर में फिर शिक्षक कुलेश्वर ताम्रकार को भेजा। उनकी ड्यूटी जनगणना में लगाई गई तो वापस नहीं लौटे। दिसंबर 2015 में शिक्षक राघव पांडेय की पदस्थापना की गई। पांडेय शराब पीकर स्कूल आते और ग्रामीणों की शिकायत व जांच के बाद उन्हे विभाग ने संस्पेंड कर दिया। जुलाई 2016 से फिर प्रधानपाठक अकेले पड़ गए। 21 अगस्त 2017 को शिक्षक दीप्ती पवार ने ज्वाइनिंग ली है और अब तक आठ सीएल यानि अवकाश ले चुकीं हैं। मौजूदा हालात की वजह से बच्चों की शिक्षा प्रभावित होने लगी और प्रधानपाठक अपने अतिथि शिक्षकों के भरोसे बच्चों का भविष्य गढ़ रहे हैं।
बाक्स
अतिथि शिक्षकों के भरोसे सुधरा रिजल्ट
प्रधानपाठक मोहनसिंह के वेतन से रखे गए अतिथि शिक्षिका आशासिंह और कविता साहू हैं। स्वयं भी प्रधानपाठक क्लास लेना नहीं भी चूकते। पिछले साल वर्ष 2016 में पांचवीं बोर्ड में छात्रा ज्ञानेश्वरी ने 78 प्रतिशत और संजू ने 74 प्रतिशत अंक हासिल किए हैं। इसके अलावा स्कूल में दर्ज 88 बच्चों में ज्यादातर बच्चे बी व सी ग्रेड में हैं।
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चार महीने में रिटायर हो जाएंगे प्रधानपाठक
इस स्कूल के प्रधानपाठक मोहनसिंह अग्निवंशी का कार्यकाल चार महीने बाकी हैं। अप्रैल 2018 में वे रिटायर हो जाएंगे। उनके रिटायरमेंट के बाद बच्चों की पढ़ाई इसी तरह जारी रहे इसका बीड़ा कौन उठाएगा यह चिंता ग्रामीणों को सता रही है। वहीं अतिथि शिक्षिकाएं भी मायूस हैं।
मिसाल हैं प्रधानपाठक
'प्रधानपाठक सात साल से इस स्कूल के बच्चों की पढ़ाई की खातिर अपने वेतन अतिथि शिक्षिकाओं को दे रहे हैं। विभाग और समाज के लिए वे मिसाल हैं। उनके रिटायरमेंट के बाद यह जिम्मेदारी शिक्षा विभाग के अफसर उठाएं तो ग्रामीणों को खुशी होगी।'
-सुखीत यादव, सरपंच पुरई
ये प्रधानपाठक हैं दुर्ग जिला मुख्यालय से 14 किलोमीटर दूर शासकीय प्रोन्नत प्राइमरी स्कूल पुरई के मोहनसिंह अग्निवंशी। सरकार ने वर्ष 1997 में इस स्कूल को खोला ताकि गांव के बच्चे शिक्षा हासिल कर सके। तब एक प्रधानपाठक और दो शिक्षक जिला शिक्षा विभाग ने भेजे थे। विभाग ने युक्तियुक्तकरण किए तो एक शिक्षक अतिशेष की वजह से दूसरे स्कूल चले गए। एक और शिक्षक का प्रमोशन हो गया। इस तरह प्रधानपाठक अकेले बच गए।
0 अकेले ही पढ़ाते रहे लेकिन गुणवत्ता होने लगी प्रभावित
प्रधानपाठक मोहनसिंह यहां के बच्चों को अकेले पढ़ाने लगे। पहली से पांचवी तक के बच्चों को दो कक्षाओं में बांटा। पहली से तीसरी तक बच्चों को एक साथ किया और चौंथी और पांचवीं के बच्चों की एक कक्षा लगाई। एक कक्षा में होमवर्क देते थे तो दूसरे कक्षा में आकर पढ़ाई करवाते थे। इस व्यवस्था में उन्होने देखा कि पढ़ाई तो जैसे तैसे हो रही है लेकिन बच्चों की पढ़ाई में गुणवत्ता नहीं है। तब यह सोच आई कि बच्चों के भविष्य के लिए गांव की ही दो महिला शिक्षिकाओं की व्यवस्था कर ली जाए। इससे उन्हे रोजगार भी मिलेगा और स्कूल संचालन में मदद मिलेगी। तब से प्रधानपाठक अपने वेतन के एक-एक हजार रुपए इन शिक्षिकाओं को देते आ रहे हैं।
0 इस बीच आए शिक्षक लेकिन टिके नहीं
अतिथि शिक्षक की व्यवस्था के बाद चार महीने बाद शिक्षा विभाग ने अक्टूबर 2014 में एक शिक्षक अध्यापन व्यवस्था में दिए थे जो शिक्षण सत्र समाप्ति के बाद चले गए। सितंबर में फिर शिक्षक कुलेश्वर ताम्रकार को भेजा। उनकी ड्यूटी जनगणना में लगाई गई तो वापस नहीं लौटे। दिसंबर 2015 में शिक्षक राघव पांडेय की पदस्थापना की गई। पांडेय शराब पीकर स्कूल आते और ग्रामीणों की शिकायत व जांच के बाद उन्हे विभाग ने संस्पेंड कर दिया। जुलाई 2016 से फिर प्रधानपाठक अकेले पड़ गए। 21 अगस्त 2017 को शिक्षक दीप्ती पवार ने ज्वाइनिंग ली है और अब तक आठ सीएल यानि अवकाश ले चुकीं हैं। मौजूदा हालात की वजह से बच्चों की शिक्षा प्रभावित होने लगी और प्रधानपाठक अपने अतिथि शिक्षकों के भरोसे बच्चों का भविष्य गढ़ रहे हैं।
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अतिथि शिक्षकों के भरोसे सुधरा रिजल्ट
प्रधानपाठक मोहनसिंह के वेतन से रखे गए अतिथि शिक्षिका आशासिंह और कविता साहू हैं। स्वयं भी प्रधानपाठक क्लास लेना नहीं भी चूकते। पिछले साल वर्ष 2016 में पांचवीं बोर्ड में छात्रा ज्ञानेश्वरी ने 78 प्रतिशत और संजू ने 74 प्रतिशत अंक हासिल किए हैं। इसके अलावा स्कूल में दर्ज 88 बच्चों में ज्यादातर बच्चे बी व सी ग्रेड में हैं।
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चार महीने में रिटायर हो जाएंगे प्रधानपाठक
इस स्कूल के प्रधानपाठक मोहनसिंह अग्निवंशी का कार्यकाल चार महीने बाकी हैं। अप्रैल 2018 में वे रिटायर हो जाएंगे। उनके रिटायरमेंट के बाद बच्चों की पढ़ाई इसी तरह जारी रहे इसका बीड़ा कौन उठाएगा यह चिंता ग्रामीणों को सता रही है। वहीं अतिथि शिक्षिकाएं भी मायूस हैं।
मिसाल हैं प्रधानपाठक
'प्रधानपाठक सात साल से इस स्कूल के बच्चों की पढ़ाई की खातिर अपने वेतन अतिथि शिक्षिकाओं को दे रहे हैं। विभाग और समाज के लिए वे मिसाल हैं। उनके रिटायरमेंट के बाद यह जिम्मेदारी शिक्षा विभाग के अफसर उठाएं तो ग्रामीणों को खुशी होगी।'
-सुखीत यादव, सरपंच पुरई