रायपुर। शिक्षाकर्मियों की हड़ताल फिलहाल जारी रहेगी।
संविलियन की मांग पर अड़े शिक्षाकर्मियों के साथ राज्य सरकार की दूसरी
वार्ता भी बेनतीजा रही। शुक्रवार को पंचायत विभाग के नए प्रमुख सचिव आरपी
मंडल के साथ शिक्षाकर्मी मोर्चा के पदाधिकारियों के बीच पौन घंटे चली
वार्ता में कोई निर्णय नहीं हो सका।
दोपहर 12 बजे से 12ः45 तक चली बैठक में सरकार की तरफ से सिर्फ सातवें वेतनमान पर कमेटी बनाने का प्रस्ताव दिया गया। संविलियन को खारिज कर सातवां वेतनमान, क्रमोन्नति, वेतन विसंगति समेत 09 सूत्रीय मांगों को कमेटी पर ही टाल दिया गया। लिहाजा पहले से प्रस्तावित 02 दिसम्बर को राजधानी में महारैली करने शिक्षाकर्मियों ने तत्काल ऐलान कर दिया। रैली में एक लाख शिक्षाकर्मी परिवार समेत जुटेंगे।
शिक्षाकर्मियों को उम्मीद थी कि पुराने प्रमुख सचिव एमके राउत के जाने के बाद नए प्रमुख सचिव मंडल मांगों का समाधान करेंगे। शिक्षाकर्मियों ने नए अधिकारी का स्वागत भी किया लेकिन निराशा ही हाथ लगी। शिक्षाकर्मियों की मानें तो सरकार एक भी कदम आगे नहीं बढ़ी।
हड़ताल शुरू होने से पहले 19 नवम्बर को राउत ने जो बात की थी, वही बात दोहराई गई। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने मुख्य सचिव विवेक ढांड की अध्यक्षता में कमेटी गठित करने का निर्णय लिया था। इधर रविवार के प्रदर्शन से सख्ती से निपटने की तैयारी जिला प्रशासन ने शुरु कर दी है। शिक्षाकर्मियों की महारैली को प्रशासन ने अनुमति देने से इनकार कर दिया है और धरना भी अवैध घोषित कर दिया गया है।
कमेटियों पर नहीं रहा एतबार
शिक्षाकर्मियों को अपर मुख्य सचिव आरपी मंडल ने वार्ता के लिए बुलाया था। इस मौके पर पंचायत के संचालक तारन प्रकाश सिन्हा, उप संचालक बीएन मिश्रा मौजूद रहे। छत्तीसगढ़ शिक्षक नगरीय निकाय मोर्चा की ओर से प्रांतीय संचालक सदस्य में वीरेंद्र दुबे, संजय शर्मा, विकास राजपूत, केदार जैन, चंद्रदेव राय समेत 11 प्रतिनिधि शामिल हुए। सातवां वेतनमान समेत सारे मसलों पर कमेटी बनाने की बात हुई है। प्रांतीय संचालक वीरेंद्र दुबे का कहना है कि इसके पहले भी सरकार कई कमेटी बना चुकी है। इन कमेटी पर शिक्षाकर्मियों को भरोसा नहीं रहा। सरकार कोई घोषणा करती तो एक बार आंदोलन रोकने पर भी विचार किया जा सकता था। मोर्चा का कहना है कि प्रदेश के मुखिया ने शिक्षाकर्मियों के संविलियन को लेकर पहले हामी भरी थी। उनकी घोषणा की सीडी और दस्तावेज साथ लेकर बैठक में ले गए थे लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ।
दोपहर 12 बजे से 12ः45 तक चली बैठक में सरकार की तरफ से सिर्फ सातवें वेतनमान पर कमेटी बनाने का प्रस्ताव दिया गया। संविलियन को खारिज कर सातवां वेतनमान, क्रमोन्नति, वेतन विसंगति समेत 09 सूत्रीय मांगों को कमेटी पर ही टाल दिया गया। लिहाजा पहले से प्रस्तावित 02 दिसम्बर को राजधानी में महारैली करने शिक्षाकर्मियों ने तत्काल ऐलान कर दिया। रैली में एक लाख शिक्षाकर्मी परिवार समेत जुटेंगे।
शिक्षाकर्मियों को उम्मीद थी कि पुराने प्रमुख सचिव एमके राउत के जाने के बाद नए प्रमुख सचिव मंडल मांगों का समाधान करेंगे। शिक्षाकर्मियों ने नए अधिकारी का स्वागत भी किया लेकिन निराशा ही हाथ लगी। शिक्षाकर्मियों की मानें तो सरकार एक भी कदम आगे नहीं बढ़ी।
हड़ताल शुरू होने से पहले 19 नवम्बर को राउत ने जो बात की थी, वही बात दोहराई गई। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने मुख्य सचिव विवेक ढांड की अध्यक्षता में कमेटी गठित करने का निर्णय लिया था। इधर रविवार के प्रदर्शन से सख्ती से निपटने की तैयारी जिला प्रशासन ने शुरु कर दी है। शिक्षाकर्मियों की महारैली को प्रशासन ने अनुमति देने से इनकार कर दिया है और धरना भी अवैध घोषित कर दिया गया है।
कमेटियों पर नहीं रहा एतबार
शिक्षाकर्मियों को अपर मुख्य सचिव आरपी मंडल ने वार्ता के लिए बुलाया था। इस मौके पर पंचायत के संचालक तारन प्रकाश सिन्हा, उप संचालक बीएन मिश्रा मौजूद रहे। छत्तीसगढ़ शिक्षक नगरीय निकाय मोर्चा की ओर से प्रांतीय संचालक सदस्य में वीरेंद्र दुबे, संजय शर्मा, विकास राजपूत, केदार जैन, चंद्रदेव राय समेत 11 प्रतिनिधि शामिल हुए। सातवां वेतनमान समेत सारे मसलों पर कमेटी बनाने की बात हुई है। प्रांतीय संचालक वीरेंद्र दुबे का कहना है कि इसके पहले भी सरकार कई कमेटी बना चुकी है। इन कमेटी पर शिक्षाकर्मियों को भरोसा नहीं रहा। सरकार कोई घोषणा करती तो एक बार आंदोलन रोकने पर भी विचार किया जा सकता था। मोर्चा का कहना है कि प्रदेश के मुखिया ने शिक्षाकर्मियों के संविलियन को लेकर पहले हामी भरी थी। उनकी घोषणा की सीडी और दस्तावेज साथ लेकर बैठक में ले गए थे लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ।